कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार, सरकारी दिशा-निर्देशों के उल्लंघन और पुलिस तथा डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार को लेकर तबलीगी जमात से जुड़े लोगों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने 59 चार्जशीट दायर की है।
36 देशों के उन जमातियों को भी आरोपित बनाया गया है, जिन्होंने वीजा नियमों की धज्जियाँ उड़ाई। निजामुद्दीन मरकज़ द्वारा जाँच एजेंसियों से सच्चाई छिपाने की बात भी पुलिस ने बताई है।
खुलासा हुआ है कि दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज की तरह मलेशिया में भी कार्यक्रम हुआ था और वहाँ भी कोरोना के कई मरीज मिले थे। इंडोनेशिया में भी ऐसा ही कार्यक्रम प्रस्तावित था जो रद्द हो गया।
पुलिस ने कहा है कि इनमें से कई विदेशी जमातियों ने ख़तरनाक कोरोना वायरस का संक्रमण चारों ओर फैलाया। दिल्ली पुलिस ने मरकज के हाजी यूनुस को पहले ही वहाँ 20 से ज्यादा जमातियों का जुटान न करने का निर्देश दिया था, जिसका खुलेआम उल्लंघन किया गया।
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की ख़बर के अनुसार, चार्जशीट में खुलासा किया गया है कि मलेशिया में हुई मरकज 27 फरवरी से 1 मार्च के बीच आयोजित की गई थी। इस कार्यक्रम के बाद मलेशिया में कोरोना के 500 संक्रमित मरीज मिले थे। इंडोनेशिया में भी 18 मार्च को मरकज का कार्यक्रम आयोजित होने वाला था, जिसे बाद में कोरोना संक्रमण फैलने के भय से रद्द कर दिया गया था। कई देशों के जमातियों ने फिर भारत आकर संक्रमण फैलाया।
ऐसा नहीं है कि दिल्ली पुलिस आँख बंद किए हुए थी और उसने निजामुद्दीन मरकज में हो रही मनमानी के विषय में कुछ नहीं किया या प्रबंधकों को आगाह नहीं किया। दरअसल, दिल्ली के दक्षिण-पूर्वी जिले के शीर्ष अधिकारियों ने कई बार मरकज को चेताया था। मरकज प्रबंधन से एक-दो बार नहीं बल्कि कई बार संपर्क कर सोशल डिस्टेंसिंग का प्लान करने की चेतावनी दी गई थी। 19 मार्च को उन्हें प्रशासन ने लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा था।
मार्च 21, 2020 को पुलिस-प्रशासन के अधिकारी फिर से मरकज के मुफ़्ती शहजाद से मिले और सारे विदेशी जमातियों को उनके देश वापस भेजने की सलाह दी, जिसे नज़रअंदाज़ कर दिया गया। इसके 3 दिन बाद दिल्ली पुलिस ने लॉकडाउन सम्बन्धी प्रतिबंधों की सार्वजनिक घोषणा की, लेकिन मरकज़ का प्रबंधन आँख मूँदे रहा। 25 मार्च को मरकज़ में एक बांग्लादेशी नागरिक में कोरोना के लक्षण दिखे थे।
इसके बाद इसकी जाँच के लिए वहाँ मेडिकल टीम पहुँची थी। मेडिकल टीम ने भी पाया था कि वहाँ सोशल डिस्टेंसिंग या ऐसे किसी भी दिशा-निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है। इसके ठीक पहले पुलिस ने मरकज़ में जाकर छानबीन की थी। तब दिल्ली पुलिस ने पाया था कि वहाँ की इमारत में 1709 लोग रह रहे हैं। इनमें से 1183 भारतीय नागरिक थे और विदेशी नागरिकों की संख्या 526 थी। तब भी पुलिस ने कार्रवाई की थी।
“It is needless to point out that some of these foreigners have acted as carriers of the highly infectious coronavirus and had thus brought over the infection from their respective countries to India,” the chargesheet states.https://t.co/L6Lhf0ZKa7
— The Indian Express (@IndianExpress) June 27, 2020
चार्जशीट में बताया गया है कि जिस समय मरकज में मौजूद एक इंडोनेशियाई जमाती कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया था, तब भी मौलाना साद के करीबी लगातार दावा कर रहे थे कि मरकज में किसी भी शख्स में कोरोना के लक्षण नहीं हैं और सभी के स्वस्थ होने के झूठे दावे किए जा रहे थे। 28 मार्च को हजरत निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन के एसएचओ ने डीसीपी क्राइम ब्रांच को मरकज और मौलाना साद की हरकतों के बारे में लिखित में अवगत कराया था।
हालाँकि, मरकज के वकील मुजीद रहमान का कहना है कि पुलिस-प्रशासन द्वारा उस वक़्त सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की सलाह देने का क्या तुक था, जब मरकज में सारे जमाती पहले से ही सेल्फ-आइसोलेशन में थे। वकील ने हैरतअंगेज बयान देते हुए कहा कि प्रशासन को हवाई अड्डे बंद करने चाहिए थे, लोगों की स्क्रीनिंग के साथ-साथ कांटेक्ट ट्रेसिंग पर जोर देना चाहिए था।
चार्जशीट में ये भी बताया गया है कि कुछ विदेशी जमाती तो अपना पासपोर्ट तक दिखाने में अक्षम रहे। साथ ही अंदर कोई भी मास्क या सैनिटाइजर वगैरह का प्रयोग नहीं कर रहा था। कइयों ने पर्यटन वीजा पर आकर मजहबी कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। कोर्ट अब इन चार्जशीट के आधार पर निर्णय लेगी कि हत्या के प्रयास का मामला चलाया जाए या नहीं।