Friday, November 15, 2024
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जहाँ दंगों में मरे 2 हिन्दू, वहाँ हनुमान जन्मोत्सव शोभा यात्रा को पुलिस की अनुमति नहीं: मंदिर समिति बोली – फर्जी चुनाव और नकली समिति से अटका मामला

उन्होंने विवाद का कारण बताते हुए कहा कि कुछ लोगों ने फर्जी चुनाव करा कर नकली समिति बना ली है और जनवरी से ही इस मामले में कोर्ट में केस चल रहा है।

हनुमान जन्मोत्सव गुरुवार (6 अप्रैल, 2023) को है और इसके लिए पूरे देश भर में तैयारियाँ जोरों पर हैं। हालाँकि, इस बार जिस तरह से रामनवमी पर श्रद्धालुओं के खिलाफ हिंसा हुई, उसके बाद माहौल थोड़ा गर्म है। हिन्दुओं में एक प्रकार का डर है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों को एडवाइजरी जारी कर शांतिपूर्ण हनुमान जन्मोत्सव संपन्न कराने को कहा है। उधर कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल की सरकार को अर्धसैनिक बलों की मदद लेने की सलाह दी है।

इधर दिल्ली के ब्रह्मपुरी से नया मामला सामने आया है। ब्रह्मपुरी राष्ट्रीय राजधानी के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित वो इलाका है, जो फरवरी 2020 में हिन्दू विरोधी दंगों से पीड़ित रहा था। भीड़ ने विनोद कुमार को सिर्फ इसीलिए मार डाला, क्योंकि उनकी बाइक पर भगवान का स्टीकर था। वहीं सब्जी बेचने वाले नरेश सैनी की भी हत्या कर दी गई थी। आज दोनों के परिवार बेहाल हैं और खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहे। अब बताते हैं कि ताज़ा मामला क्या है।

असल में सोशल मीडिया पर एक पत्र सामने आया है, जो ‘हनुमान मंदिर समिति’ की तरफ से नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के डीसीपी को लिखा गया है। उक्त मंदिर गली संख्या 6 में स्थित है। इस पत्र में प्रत्येक वर्ष की भाँति इस साल भी हनुमान जन्मोत्सव शोभा यात्रा के आयोजन हेतु मंजूरी माँगी गई है। चूँकि इलाका मुस्लिम बहुल और संवेदनशील है, इसीलिए पुलिस की सुरक्षा के बिना ये संभव नहीं है। उक्त शोभा यात्रा शाहदरा स्थित मंदिर रेलवे रोड से रोहताश नगर, गोरख पार्क, मौजपुर, घोंडा चौक और गली संख्या 13 स्थित मौनी बाबा मंदिर होते हुए हनुमान मंदिर तक प्रस्तावित है।

मंदिर समिति द्वारा पुलिस को लिखा गया पत्र

मंदिर समिति ने न सिर्फ शोभा यात्रा को निकालने के लिए अनुमति माँगी है, बल्कि पुलिस से सहयोग का भी निवेदन किया है। इसके तहत कलश यात्रा भी निकाली जानी है। बताया गया है कि पिछले 32 वर्षों से ये यात्रा हर साल यूँ ही निकाली जाती रही है और इस बार 45 दिनों से प्रयास किए जाने के बावजूद अनुमति नहीं मिल रही। आयोजनों ने न्यू उस्मानपुर थाना और डीसीपी के पास भी दरख्वास्त लगाई है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

ऑपइंडिया ने इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए उक्त बालाजी मंदिर की समिति के सेक्रेटरी अमित गुप्ता से बातचीत की। वो पिछले 8 वर्षों से इस जिम्मेदारी को संभाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि हर साल शोभा यात्रा के लिए दिल्ली पुलिस की ‘CNP (क्राइम एन्ड ट्रैफिक)’ यूनिट से अनुमति मिल जाती थी। क्या पिछले सालों में भी इस तरह की दिक्कत सामने आई थी? इस पर अमित गुप्ता ने कहा कि पहले ऐसी दिक्कत नहीं आई।

उन्होंने विवाद का कारण बताते हुए कहा कि कुछ लोगों ने फर्जी चुनाव करा कर नकली समिति बना ली है और जनवरी से ही इस मामले में कोर्ट में केस चल रहा है। अब दोनों ही पक्ष पुलिस के पास अनुमति के लिए पहुँच रहे हैं। अमित गुप्ता ने बताया कि उन्होंने पुलिस को सबूत दिखाए कि नियमित रूप से ये आयोजन होता आया है। उन्होंने बताया कि पुलिस कह रही है कि निवेदन करते हुए 2 पत्र आने की वजह से वो किसी एक को अनुमति नहीं दे सकते।

बालाजी मंदिर समिति के सेक्रेटरी अमित गुप्ता का सवाल है कि बिना अनुमति के शोभा यात्रा निकालने पर अगर झगड़ा-झंझट होगा तो इसकी जिम्मेदार कौन लेगा, क्यों ये मुस्लिमों के प्रभाव वाला इलाका है? हालाँकि, उन्होंने ये भी कहा कि दिल्ली पुलिस ने मौखिक रूप से कहा है कि आपलोग कार्यक्रम का आयोजन कीजिए, हम आपके साथ हैं। लेकिन, पिछले साल जहाँगीरपुरी में हुई घटना के बाद से आयोजन समिति के लोग सहमे हुए हैं।

बता दें कि पिछले साल जहाँगीरपुरी क्षेत्र में हनुमान जमोत्सव के दौरान जम कर पत्थरबाजी हुई थी और वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था। एक मस्जिद के पास विवाद ने हिंसा का रूप धारण कर लिया था। अमित गुप्ता ने दावा किया कि पूरे NCR में हनुमान जन्मोत्सव का सबसे बड़ा कार्यक्रम वही लोग आयोजित करते आए हैं। फर्जी चुनाव कर नकली समिति बनाने वाले कौन लोग हैं? इसके जवाब में उन्होंने मंदिर के महंत का नाम लिया।

अमित गुप्ता की मानें तो इन सबके पीछे मुख्य रूप से महंत सतीश श्रीवास्तव का ही हाथ है। उन्होंने बताया कि पिछले साल महंत ने पैसों की गड़बड़ी की थी, जिसके बाद विवाद हो गया। दबाव बनाए जाने के बाद महंत ने पैसे वापस कर दिए। अमित गुप्ता ने बताया कि महंत ने इस दौरान लिखित में भी दिया था कि वो मंदिर के पैसे वापस देकर जा रहे हैं। वहीं पिछले 5-6 महीनों में दूसरी समिति गठित कर लिए जाने की बात कही जा रही है।

पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली ट्रैफिक पुलिस व अन्य विभागों से भी मिली थी अनुमति

उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद पुलिस ने मौखिक रूप से उन्हें अधिकृत भी कर दिया कि वो कार्यक्रम का आयोजन करें, लेकिन लिखित अनुमति नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि बिना अनुमति के यात्रा निकालना संभव नहीं है। वो बताते हैं कि पिछले साल यात्रा के दौरान मुस्लिमों से झगड़े की पूरी आशंका बन गई थी, लेकिन किसी तरह पुलिस की मदद से मामला संभाल लिया गया। जबकि इस साल बिलकुल ही पसोपेश की स्थिति है।

जब हमने न्यू उस्मानपुरी पुलिस थाने में उनका पक्ष जानने के लिए फोन कॉल किया तो वहाँ से बताया गया कि वो लोग बाइट देने के लिए अधिकृत नहीं हैं। जब हमने नॉर्थ ईस्ट दिल्ली की एडिशनल डीसीपी-I को कॉल किया तो उधर से ताज़ा अपडेट लेने की सलाह दी गई। हालाँकि, मंदिर समिति वालों ने बताया कि प्रत्येक वर्ष उन्हें बुला कर अनुमति दी जाती थी और उनसे रिसीविंग ली जाती थी, लेकिन खबर लिखे जाने तक उन्हें ऐसी कोई सूचना नहीं थी।

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अनुपम कुमार सिंह
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भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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