दिल्ली पुलिस ने कल (4 फरवरी 2021) उन लोगों पर एफ़आईआर दर्ज की थी, जिन्होंने ‘टूलकिट’ (toolkit) दस्तावेज़ को साझा किया था जो साबित करता है कि किसान आंदोलन को मिला अंतरराष्ट्रीय समर्थन ‘सुनियोजित’ था। अब दिल्ली पुलिस ने गूगल (google) से आईपी एड्रेस (IP address) या लोकेशन (location) माँगी है, जिससे यह पता चल सके कि असल में किसने टूलकिट को अपलोड (upload) किया था।
यानी दिल्ली पुलिस ने गूगल से कहा है कि वह ऐसे लोगों की तकनीकी लोकेशन ट्रेस (trace) करे, जिन्होंने राजधानी दिल्ली में दंगे भड़काने के लिए टूलकिट को सबसे पहले गूगल ड्राइव (google drive) पर साझा किया था। जिसे बाद में स्वीडन की जलवायु परिवर्तन कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने भी साझा किया था, जो अंत में भारत के खिलाफ बड़ी साज़िश के रूप में सामने आया था।
Delhi Police are going to write to Google to get the IP address or the location from where the doc was made and uploaded on social media platform. This is being done to identify the authors of the toolkit which was shared on the Google Doc: Police sources
— ANI (@ANI) February 5, 2021
दरअसल, ग्रेटा थनबर्ग ने भारत में जारी किसान आंदोलन के समर्थन में एक ट्वीट किया था। लेकिन कुछ ही देर बाद यह ट्वीट ग्रेटा ने डिलीट भी कर दिया था। हालाँकि, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इस डॉक्यूमेंट से यह स्पष्ट हो गया था कि किसान आन्दोलन एक सोची समझी रणनीति के साथ शुरू किया गया था और 26 जनवरी का उपद्रव भी इसी रणनीति का हिस्सा था।
इसके बाद उसने एक और ट्वीट किया, जिसमें गूगल डॉक्युमेंट की एक फाइल शेयर की गई थी। इस फाइल में भारत में चल रहे किसान आन्दोलन को हवा देने वाले सोशल मीडिया कैंपेन का शेड्यूल और तमाम रणनीति दर्ज थीं। यह गूगल डॉक्यूमेंट शेयर करते हुए ग्रेटा ने लिखा था कि जो लोग मदद करना चाहते हैं यह ‘टूलकिट’ उनके लिए है। इस लिंक में भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डालने की कार्ययोजना का विवरण था।
गुरुवार (5 फरवरी 2021) को दिल्ली पुलिस ने उन लोगों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज की थी जिन्होंने ‘टूलकिट’ शेयर किया था। दिल्ली पुलिस ने इस बारे में बयान जारी करते हुए बताया था कि एफ़आईआर में ग्रेटा थनबर्ग का नाम नहीं शामिल किया है। एफ़आईआर ‘अज्ञात लोगों’ पर दर्ज की गई है जिसमें मुख्य आरोप है, तमाम समूहों के बीच नफ़रत भड़काना और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ना। क्राइम ब्रांच के स्पेशल पुलिस कमिश्नर प्रवीर रंजन ने मुद्दे पर कहा था, “शुरूआती जाँच में पता चला है कि टूलकिट ‘खालिस्तानी समर्थक समूह’ पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (Poetic Justice Foundation) द्वारा तैयार की गई थी।
दिल्ली पुलिस की एफ़आईआर
दिल्ली पुलिस ने आईपीसी की धारा 153 ए (अलग-अलग समूहों या धर्मों के बीच नफ़रत फैलाना), 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 124 ए के तहत एफ़आईआर दर्ज की है। दिल्ली पुलिस का इस मुद्दे पर कहना है कि एफ़आईआर टूलकिट बनाने वालों के खिलाफ दर्ज की गई है और फ़िलहाल इस मुद्दे पर जाँच जारी है।
इसके पहले भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने विदेशी चेहरों से कहा था कि वह कृषि सुधार क़ानूनों पर टिप्पणी करने या प्रोपेगेंडा फैलाने से पहले इससे जुड़े प्रावधानों को अच्छे से समझ लें। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने यह कार्रवाई की थी।
ऑपइंडिया ने इस बारे में पहले ही रिपोर्ट्स प्रकाशित की थीं जिसमें बताया गया था कि रिहाना और ग्रेटा द्वारा किया गया ट्वीट अचानक नहीं आया था। बल्कि यह भारत के खिलाफ मिथ्या प्रचार की रणनीति के तहत सुनियोजित था, ऐसी रणनीति जो भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने के लिए रची गई थी।