Saturday, July 27, 2024
Homeरिपोर्टअंतरराष्ट्रीयभारतीय लोकतंत्र को बना दिया टूलकिट: ग्रेटा थनबर्ग की एक गलती ने कर दिया...

भारतीय लोकतंत्र को बना दिया टूलकिट: ग्रेटा थनबर्ग की एक गलती ने कर दिया साजिश का खुलासा

इस डॉक्यूमेंट में यह भी कहा गया है कि 26 जनवरी के लिए जो योजना तैयार की गई थी, वह पूरी दुनिया और भारत में बिल्कुल वैसी ही रही।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्रों में किसानों द्वारा जारी विरोध प्रदर्शन के बीच, कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने अपना समर्थन दिया है। इसमें पॉप सिंगर रिहाना, मिया खलीफा, थनबर्ग आदि ने ट्विटर पर इसे लेकर ट्वीट किए। लेकिन बुधवार (फरवरी 03, 2021) देर शाम ग्रेटा थनबर्ग ने अनजाने में ही भातीय लोकतंत्र को बदनाम करने के इस ग्लोबल अजेंडा की भी पोल खोल डाली।

स्वीडिश एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने भारत में जारी किसान आंदोलन के समर्थन में एक ट्वीट किया। लेकिन कुछ ही देर बाद यह ट्वीट ग्रेटा ने डिलीट भी कर दिया। हालाँकि, तब तक बहुत देर भी हो चुकी थी। इस डॉक्यूमेंट से यह स्पष्ट हो गया है कि किसान आन्दोलन एक सोची समझी रणनीति के साथ शुरू किया गया था और 26 जनवरी का उपद्रव भी इसी रणनीति का हिस्सा था।

Greta Thunberg
ग्रेटा द्वारा डिलीट कर दिया गया ट्वीट

ट्वीट में ग्रेटा ने लिखा था कि ‘हम भारत में चल रहे किसान आंदोलन के साथ एकजुटता से खड़े हैं।’ इसके बाद उसने एक और ट्वीट किया, जिसमें गूगल डॉक्युमेंट की एक फाइल शेयर की गई थी। इस फाइल में भारत में चल रहे किसान आन्दोलन को हवा देने वाले सोशल मीडिया कैंपेन का शेड्यूल और तमाम रणनीति दर्ज थीं।

Greta Thunberg

यह गूगल डॉक्यूमेंट शेयर करते हुए ग्रेटा ने लिखा था कि जो लोग मदद करना चाहते हैं यह ‘टूलकिट’ उनके लिए है। इस लिंक में भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय दबाव डालने क कार्ययोजना का विवरण था। ग्रेटा ने गलती से सार्वजानिक किया हुआ ये ट्वीट तो डिलीट कर दिया लेकिन तब तक लोगों के पास यह डॉक्यूमेंट पहुँच चुके थे।

इस दस्तावेज में उन सभी ट्वीट का जिक्र दिया गया है, जो भारत सरकार पर दबाव बनाने के लिए विभिन्न हस्तियों, समूहों और लोगों द्वारा किए जाने हैं। यहाँ तक कि रिहाना द्वारा जो ट्वीट किया गया, वो भी ठीक उन्हीं शब्दों में है, जैसा कि इस दस्तावेज में रिहाना के नाम से जारी किया गया था।

Greta Thunberg

जब हमने इस दस्तावेज में दी गए कुछ ट्वीट तलाशे, तो हमें ये परिणाम मिले। परिणाम बताते हैं कि यह अभियान कम से कम नवंबर, 2020 से चल रहा है।

Greta Thunberg

ग्रेटा थनबर्ग द्वारा किए गए ट्वीट के बाद इस टूलकिट के दस्तावेजों की गोपनीयता में बदलाव कर इसे ‘प्राइवेट’ कर दिया गया है, ताकि लोग इसमें छुपी जानकारी ना जुटा सकें। यह भी कहा गया है कि 26 जनवरी के लिए जो योजना तैयार की गई थी, वह पूरी दुनिया और भारत में बिल्कुल वैसी ही रही।

डॉक्यूमेंट की कुछ प्रमुख बातें

  • विरोध प्रदर्शन में भाग लें: 25 जनवरी तक ईमेल द्वारा एकजुटता दिखने वाले फोटो/वीडियो संदेश शेयर करें (दिल्ली की सीमा पर किसानों के लिए एकजुटता संदेश)।
  • डिजिटल स्ट्राइक: #AskIndiaWhy वीडियो/फोटो संदेश – 26 जनवरी को या उससे पहले।कृषि बिल का विरोध करने के लिए प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व व्यापार संगठन और विश्व बैंक के साथ टैग किया जाना है।
  • 4-5 फरवरी 2021 को ट्विटर स्टॉर्म: 5 फरवरी तक या अधिकतम 6 फरवरी तक फोटो/वीडियो संदेश शेयर करें। गौरतलब है कि ठीक 6 फ़रवरी के दिन ही किसानों ने राष्ट्रव्यापी चक्का जाम की भी घोषणा की है।
  • स्थानीय प्रतिनिधियों द्वारा भारत सरकार पर दबाव बनाने में अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कोशिश करें।
  • इसमें लोगों को भारतीय दूतावासों, स्थानीय सरकारी कार्यालयों या विभिन्न बहुराष्ट्रीय अडानी और अंबानी कंपनियों के कार्यालयों में एकजुटता विरोध प्रदर्शन आयोजित करने के लिए भी दिशानिर्देश दिया गया है।

इस बीच, भारत ने किसानों के विरोध पर विदेशी हस्तियों के बयानों को ‘निहित स्वार्थ समूहों’ का हिस्सा करार दिया। भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, गायिका लता मंगेशकर समेत बॉलीवुड से लेकर खेल जगत की तमाम हस्तियों ने भी इस अंतरराष्ट्रीय अजेंडा के खिलाफ ट्वीट किया है।

रिहाना के ट्वीट के बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर इन ट्वीट्स को लेकर बयान जारी किया। मंत्रालय ने कहा, “भारत की संसद ने व्यापक बहस और चर्चा के बाद, कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधारवादी क़ानून पारित किया। ये सुधार किसानों को अधिक लचीलापन और बाज़ार में व्यापक पहुँच देते हैं। ये सुधार आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से सतत खेती का मार्ग प्रशस्त करते हैं।”

विदेश मंत्रालय ने अपने पोस्ट में #IndiaTogether और #IndiaAgainstPropaganda हैशटैग का इस्तेमाल किया।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

बांग्लादेशियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर झारखंड पुलिस ने हॉस्टल में घुसकर छात्रों को पीटा: BJP नेता बाबू लाल मरांडी का आरोप, साझा की...

भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर हेमंत सरकार की पुलिस ने उन्हें बुरी तरह पीटा।

प्राइवेट सेक्टर में भी दलितों एवं पिछड़ों को मिले आरक्षण: लोकसभा में MP चंद्रशेखर रावण ने उठाई माँग, जानिए आगे क्या होंगे इसके परिणाम

नगीना से निर्दलीय सांसद चंद्रशेखर आजाद ने निजी क्षेत्रों में दलितों एवं पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए एक निजी बिल पेश किया।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -