दिल्ली दंगों के आरोपित व जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद के लिए केजरीवाल सरकार ने यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। अब यही बात JNU छात्र नेता अध्यक्ष आइशी घोष को आहत कर गई। आइशी घोष ने अपने ट्वीट में सीएम का नाम लिख कर स्पष्ट कहा कि ये धोखेबाजी/ विश्वासघात वो कभी नहीं भूलेंगी।
आइशी ने लाइव लॉ के ट्वीट पर अपना रिप्लाई दिया, जिसमें जानकारी दी गई थी कि केजरीवाल सरकार ने उमर के ख़िलाफ़ यूएपीए के तहत कार्रवाई करने की इजाजत दे दी है। इसी ट्वीट पर आइशी ने लिखा, “श्रीमान अरविंद केजरीवाल प्रत्येक विश्वासघात को कभी भुलाया नहीं जाएगा।”
Mr. @ArvindKejriwal , each and every betrayal wouldn’t be forgotten ! https://t.co/YeXmDfAn0q
— Aishe (ঐশী) (@aishe_ghosh) November 6, 2020
एक यूजर ने आइशी के इस ट्वीट को पढ़कर अरविंद केजरीवाल के पक्ष में अपनी दलील रखी। श्याम नाम के यूजर ने लिखा, “एलजी को कठपुतली की तरह इस्तेमाल करके केंद्र सरकार ने प्रॉजिक्यूटर्स नियुक्त किए। आप सरकार ने निर्णय का विरोध भी किया और पैनल को खारिज भी किया लेकिन एलजी ने आप सरकार को ओवर रूल कर लिया। आइशी तुम छात्र राजनीति में कभी कन्हैया की जगह नहीं ले पाओगी। अपने फैक्ट्स को सुधारो।”
The persecutors were appointed by Centre Govt using LG as puppet.
— shyam (@Shyam1714) November 6, 2020
AAP Govt opposed this decision and even dismissed the panel but LG overruled AAP Govt.
@aishe_ghosh U never can get the place of Kanhaiya Kumar in leading student politics .
Get ur facts clear
आइशी के इस ट्वीट पर कई लोगों ने चुटकी ली है। कुछ ने मुख्यमंत्री को सही ठहराया। वहीं कुछ ने पूछा कि केजरीवाल ने कौन सा विश्वासघात कर दिया? इस पर एक यूजर ने लिखा कि पहले चंदा लिया, वोट लिया और फिर मुकदमा चलाने की भी इजाजत दे दी, आखिर ये धोखा नहीं तो क्या है? इसी तरह कई यूजर्स ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। नेटिजन्स बोले कि पहले इन्हें मैक्रों ने धोखा दिया अब केजरीवाल ने।
चंदा लिया, वोट लिया और बदले में मुकदमा चलाने की इजाजत दे दी,धोखा नहीं तो क्या है?
— AJAY MISHRA (@rdpajay) November 6, 2020
उल्लेखनीय है कि दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी कि उन्होंने दिल्ली दंगे मामले में पुलिस की तरफ से दर्ज किए गए हर केस में प्रॉसिक्यूशन की मंजूरी दे दी है। अब यह कोर्ट को देखना है कि आरोपित कौन हैं।
बता दें कि इस साल के फरवरी माह में हुए दंगों में उमर खालिद को 13 सितंबर को यूएपीए कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था। उस पर राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में दंगों का षड्यंत्र रचने, भड़काऊ भाषण देने और हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया था।