Sunday, November 17, 2024
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दिल्ली जल बोर्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस में ईडी ने दाखिल की चार्जशीट, 8000 पन्नों में दर्ज है पूरी कहानी: टेंडर जिसे मिला, उसने काम ही नहीं किया

दिल्ली जल बोर्ड के टेंडर से जुड़े मनी लांड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चार्जशीट दाखिल की है। ईडी ने ये चार्जशीट राउज ऐवन्यू कोर्ट में दाखिल की। ईडी ने अपनी चार्जशीट में जगदीश अरोड़ा, अनिल अग्रवाल, जगदीश अरोड़ा के करीबी और चार्टेड अकाउंटेड तजेंद्र सिंह समेत एनबीसीसी के पूर्व अधिकारी देवेंद्र कुमार मित्तल और एक कंपनी एनकेजी को भी आरोपित बनाया है।

दिल्ली जल बोर्ड के टेंडर से जुड़े मनी लांड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चार्जशीट दाखिल की है। ईडी ने ये चार्जशीट राउज ऐवन्यू कोर्ट में दाखिल की। ईडी ने अपनी चार्जशीट में जगदीश अरोड़ा, अनिल अग्रवाल, जगदीश अरोड़ा के करीबी और चार्टेड अकाउंटेड तजेंद्र सिंह समेत एनबीसीसी के पूर्व अधिकारी देवेंद्र कुमार मित्तल और एक कंपनी एनकेजी को भी आरोपित बनाया है।

जानकारी के मुताबिक, ईडी ने दिल्ली जल बोर्ड मामले में 8 हजार पेज के दस्तावेज दाखिल किया, जिसमें 140 पेज ऑपरेटिव पार्ट है। राउज ऐवन्यू कोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 1 अप्रैल को होगी। ईडी ने कहा कि एनकेजी कंपनी को आरोपित बनाया है। वजह है कि उसके डायरेक्टर की मौत हो गई इसलिए उनको आरोपित नहीं बनाया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चार्जशीट में ईडी ने कहा कि एनबीसीसी के अधिकारी मित्तल ने जो सर्टिफिकेट जारी किया उसी के आधार पर एनकेजी कंपनी को टेंडर मिला था। इसके लिए एनकेजी ने मित्तल का प्लेन टिकट बुक कराया था। इस मामले की जाँच अब भी जारी है। ईडी ने कोर्ट को बताया कि बिना दस्तखत किया गया एक नोट शीट तैयार किया गया था, जो डीजीपी समेत दूसरे लोगों के पास भी मौजूद था।

ईडी ने कहा कि एनकेजी ने कोई काम नहीं किया था लेकिन उसको टेंडर मिला था, हालाँकि एनबीसीसी के रिकॉर्ड में एनकेजी के बारे में कुछ नहीं था। ईडी ने कहा कि जगदीश अरोड़ा, अनिल अग्रवाल, तजेंद्र सिंह चार्टेड अकाउंटेड हैं जो जगदीश अरोड़ा के करीबी है। मित्तल एनबीसीसी के अधिकारी है, मित्तल ने एनकेजी कम्पनी को फर्जी दस्तावेज मुहैया कराया था।

ईडी ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड ने एनकेजी को 38 करोड़ रुपये का टेंडर दिया, जिसमें से 24 करोड़ रुपये जारी किए गए। 38 करोड़ में से 24 करोड़ जारी करने के बाद जारी 6 करोड़ 38 लाख बचा लिए ये प्रोसीड ऑफ क्राइम है। जिसमें से 56 लाख रुपये ताजेंद्र सिंह के जरिए जगदीश अरोड़ा को मिले। 36 करोड़ रुपयों में से केवल 14 करोड़ रुपयों का इस्तेमाल किया गया।

ईडी ने अदालत से कहा कि एनकेजी और इंटीग्रल ग्रुप का पैसा जगदीश अरोड़ा के पास गया था, क्योंकि उन्होंने टेंडर जारी किया था। उन्होंने कंपनियों से टेंडर के बदले पैसे लिए थे। जगदीश को 3.19 करोड़ रुपये मिले थे, जिसमें से 56 लाख रुपये एनकेजी से बाकी बचे हुए रुपये इंटीग्रल ग्रुप के थे।

बता दें कि दिल्ली जल बोर्ड से संबंधित केस की ईडी जांच सीबीआई की एक एफआईआर पर आधारित है, जिसमें दावा किया गया था कि जगदीश अरोड़ा ने किसी एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को 38 करोड़ रुपये से ज्यादा का कॉन्ट्रेक्ट दिया था, जो टेक्निकिल रूप से उसके पात्र नहीं थे। ईडी का दावा है कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड फर्जी दस्तावेज सबमिट करके कॉन्ट्रेक्ट हासिल किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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