देशद्रोह के मामले में एक मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष शाहिद बद्र को गिरफ्तार करके गुजरात पुलिस ने आज बड़ी सफलता हासिल की है। जानकारी के मुताबिक कुछ समय पहले गुजरात की भुज अदालत ने शाहिद बद्र के ख़िलाफ़ वारंट जारी किया था। जिसमें वह पेश नहीं हुआ था, इसके बाद ही शाहिद को गुजरात पुलिस ने यूपी के आजमगढ़ से गिरफ्तार किया।
Gujarat Police arrested Shahid Badra, the former President of the banned Students Islamic Movement of India (SIMI) in Azamgarh, yesterday. A warrant had been issued against him in a case in which he failed to appear. pic.twitter.com/r3cnnXhBHo
— ANI UP (@ANINewsUP) September 6, 2019
हालाँकि, शाहिद का इस गिरफ्तारी पर कहना है, “मैं सिमी का अध्यक्ष रहा हूँ। सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में मैं केस लड़ा रहा हूँ। मेरे खिलाफ जो भी केस चल रहे हैं, मैं उनमें पेश होता रहा हूँ, मुझे नहीं मालूम कब वारंट जारी किया गया था।” वहीं शाहिद के घरवालों का भी ये कहना है कि उनको इस वारंट के बारे जानकारी नहीं थी। क्योंकि जब से सिमी पर प्रतिबंध लगा है तब से उनके (शाहिद) नाम पर कोई गतिविधि नहीं हुई।
उल्लेखनीय है कि आजमगढ़ के एसपी पंकज पांडेय ने इस बारे में बात करते हुए मीडिया को बताया है कि शाहिद आजमगढ़ निवासी हैं और उनको गुजरात पुलिस ने आईपीसी की धारा 353 / 143 ,147 के तहत दर्ज मुकदमें में गिरफ्तार किया है।
शाहिद बद्र को देशद्रोह के मामले में किया गया गिरफ्तार@ShivendraAajTak #Azamgarhhttps://t.co/FPTejbRCwP
— आज तक (@aajtak) September 6, 2019
जानकारी के मुताबिक गुजरात में वर्ष 2001 में दर्ज भड़काऊ भाषण के एक मामले में गुजरात की भुज व कच्छ पुलिस को शाहिद बद्र की तलाश थी। इसके अलावा बताया जा रहा है कि शाहिद के ख़िलाफ़ 2012 में भी भुज में मामला दर्ज हुआ था और पुलिस का यह भी कहना है कि आजमगढ़ में उनके ख़िलाफ़ बहुत से मामले दर्ज हैं।
सिमी का संस्थापक गिरफ़्तार , पुलिस ने ठीक से ख़ातिरदारी करने का आश्वासन दिया .https://t.co/ARluwnYCZt
— Amit Tiwari امیت تیواری۔ (@amittiwari1970) September 6, 2019
गौरतलब है कि जिस संगठन का शाहिद पूर्व अध्यक्ष रहा है, उस सिमी को भारत में आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण 2002 में केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था। लेकिन फिर 6 अगस्त 2008 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस प्रतिबंध को हटा दिया गया था। लेकिन शाहिद इस प्रतिबंध के ख़िलाफ़ कोर्ट में केस लड़ रहा है।