बैंकों को करोड़ों रुपए का चूना लगाकर भागे हीरा कारोबारी नीरव मोदी को भारतीय एजेंसियाँ प्रत्यर्पित कराकर वापस ला सकती हैं। दरअसल, ब्रिटेन की हाईकोर्ट ने नीरव की प्रत्यर्पण रोकने की माँग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि नीरव का भारत प्रत्यर्पण किसी भी नजरिए से अन्यायपूर्ण नहीं है।
लॉर्ड जस्टिस जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और जस्टिस रॉबर्ट जे की अदालत ने यह फैसला सुनाया। दोनों ने इस साल की शुरुआत में नीरव मोदी द्वारा की गई अपील की सुनवाई की अध्यक्षता की थी। प्रत्यर्पण की मंजूरी मिलने के साथ ब्रिटेन की जेल में बंद नीरव को लाने के लिए भारतीय एजेंसियाँ आगे की कार्रवाई में लग गई हैं।
इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस रॉबर्ट जे ने कहा था कि भारत और ब्रिटेन के अच्छे संबंध हैं। ऐसे में ब्रिटेन को 1992 की भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि का सम्मान करना जरूरी है। हाईकोर्ट से पहले ब्रिटेन की निचली अदालत ने नीरव मोदी को भारत को सौंपने का फैसला सुनाया था। इसके बाद नीरव ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।
बता दें कि घोटाले के बाद फरार हुए नीरव मोदी को भारत लाने का प्रयास लंबी समय से हो रही है। वहीं, अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए नीरव मोदी अलग-अलग दलीलें दे रहा है। नीरव के वकीलों ने ब्रिटेन की कोर्ट को बताया था कि वह डिप्रेशन का शिकार है और वह भारत की जेल में आत्महत्या कर सकता है।
इतना ही नहीं, नीरव ने कोर्ट को अपनी जान का खतरा बताते हुए कहा था कि कि भारत में जेलों की हालत बेहद खराब है और वहाँ उसकी हत्या हो सकती है। बता दें कि अगस्त 2018 में मामले की जाँच कर रही भारतीय एजेंसी CBI ने पहली बार ब्रिटेन की कोर्ट में नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की अपील की थी।
नीरव मोदी को भारत की विशेष PMLA कोर्ट ने आर्थिक अपराध अधिनियम, 2018 के तहत भगोड़ा घोषित किया गया था। एजेंसियों की कार्रवाई से बचने के लिए नीरव लंदन भाग गया था। तीन साल पहले 13 मार्च 2019 को उसे ब्रिटेन की स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने लंदन से गिरफ्तार किया था। इसके बाद से वह साउथ वेस्ट लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद है।
नीरव मोदी पर मेहुल चौकसी के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से 14,500 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने का आरोप है। धोखाधड़ी का यह मामला 29 जनवरी 2018 को सामने आया था। इसके बाद 29 जून 2018 को इंटरपोल की ओर से नीरव मोदी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था।