1990 में जम्मू-कश्मीर में भारतीय वायुसेना के अधिकारियों की हत्या की गई थी। इस मामले में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के सरगना इस्लामी आतंकी यासीन मलिक की पहचान एक गवाह ने कोर्ट में की है। कहा है कि मलिक ने ही फायरिंग कर अधिकारियों की हत्या की थी।
रिपोर्ट के अनुसार जम्मू की विशेष अदालत में 18 जनवरी 2024 को हुई सुनवाई के दौरान गवाह राजवार उमेश्वर सिंह ने कहा कि उस दिन यासीन मलिक ने अपना ‘फिरन’ उठाया और हम पर गोलीबारी चालू कर दी। मैं भारतीय वायुसेना के उन कर्मचारियों में शामिल था जो उस दिन दफ्तर जाने के लिए बस का इंतजार कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि इस हमले में सिंह बाल-बाल बच गए थे। हमले में वायुसेना के चार अधिकारियों की मौत हो गई थी।
इस समय यासीन मलिक टेरर फंडिंग के मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। ये वही यासीन मलिक है, जिसकी कॉन्ग्रेस की मनमोहन सरकार के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय में आवभगत की गई थी। इसी आतंकी को 2008 में इंडिया टुडे ने अपने कॉन्क्लेव में ‘यूथ आइकन’ बताकर मंच दिया और उसके संगठन को सेकुलर बताया था। इस आतंकी को रवीश कुमार ने भी साल 2013 में तब मंच दिया था जब वह भूख हड़ताल के नाम पर हाफिज सईद के साथ बैठा दिखा था। रवीश कुमार इस दौरान कश्मीरी पंडितों की हत्या की बात कबूल चुके यासीन को यासीन साहब और सर-सर कहकर बुला रहे थे।
BIG BREAKING: Eyewitness identifies JKLF Terrorist Yasin Malik as the shooter behind 1990 killing of 4 Indian Air Force men in Kashmir.
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) January 18, 2024
A crucial eyewitness in a special CBI court on Thursday identified terror group JKLF Chief and terrorist Yasin Malik as the main shooter firing… pic.twitter.com/2lnpKbmQVk
जिस मामले में गवाह ने यासीन मलिक की कोर्ट में पहचान की है वह 25 जनवरी 1990 का है। श्रीनगर के बाहरी इलाके रावलपोरा में वायु सेना अधिकारियों पर हमला किया गया था। यासीन मलिक इन हत्याओं के बाद कई सालों तक खुला घूमता रहा। उससे मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहते हुए मिलते थे और उसे शान्ति का पुरोधा बताया जाता था। बड़े बड़े मंचों पर उसे जगह दी जाती थी।
हालाँकि, मोदी सरकार ने बीते कुछ वर्षों में इस मामले में तेजी लाकर वायुसेना के अधिकारियों के परिवारों को न्याय दिलाने की कोशिश तेज की है। इस मामले को जहाँ 1990 में ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया था, वहीं मोदी सरकार ने इसे 2017 में दोबारा खोलने का निर्णय लिया। 2019 में उस पर आरोप तय किए गए थे और मामला चालू किया गया था। उसने कुछ सुनवाइयों के दौरान इससे बचने की कोशिश की लेकिन लगातार उसके खिलाफ सुनवाई करवा कर और साथ ही गवाहों को ढूँढ कर मामला चलाया गया।
क्या था मामला?
वायुसेना जवानों की हत्या तब की गई जब उनके पास कोई भी हथियार नहीं था और वे एयरपोर्ट जाने के लिए बस का इन्तजार कर रहे थे। वहाँ भारतीय वायुसेना के 14 जवान थे। तभी अचानक से एक मारुति जिप्सी और एक बाइक से 5 आतंकी पहुँचे और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता एके-47 से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। जवानों के अलावा 2 कश्मीरी महिलाओं की भी हत्या कर दी गई थी। वे भी बस का इंतजार कर रही थीं। आतंकियों ने ख़ून से लथपथ जवानों के सामने डांस करते हुए जिहादी नारे भी लगाए थे।