जम्मू-कश्मीर में ड्रग्स की तस्करी और आतंकवाद का रिश्ता काफी पुराना है। इसी बीच कश्मीर घाटी में कुछ फर्जी पत्रकारों के आतंकवाद का महिमामंडन करने और सुरक्षा बलों को बदनाम करने के लिए ड्रग मनी के इस्तेमाल करने का मामला सामने आया है। सुरक्षा एजेंसियाँ भी भारत की छवि खराब करने वाले ‘फर्जी’ पत्रकारों द्वारा अवैध धन का इस्तेमाल करने से हैरान हैं।
नम्बला, उरी और बारामूला शहर में छापे के दौरान एसआईए की जम्मू विंग के अधिकारियों ने ड्रग सिंडिकेट और इन ‘फर्जी’ पत्रकारों के बीच साँठ-गाँठ का पर्दाफाश कर पर्याप्त सबूत जुटाए हैं। टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक, छापेमारी के दौरान मिले सबूतों से एसआईए (SIA) टीम को यह समझने में आसानी हुई है कि पाकिस्तान से तस्करी कर लाए गए नशीले पदार्थों और ड्रग्स की बिक्री से जुटाए गए धन का इस्तेमाल आतंकवाद और जेहादी एजेंडा चलाने वाले पत्रकारों दोनों के लिए किया गया था।
बताया जा रहा है कि फर्जी पत्रकारों को सुरक्षा बलों, केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) की छवि खराब करने, आतंकवाद का महिमामंडन करने और युवाओं को भ्रमित करने के लिए भुगतान किया गया था। एसआईए ने छापेमारी 31 मार्च 2022 को गाँधी नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज टेरर फंडिंग मामले के संबंध में एफआईआर संख्या 73/2022 के तहत की थी। यह मामला धारा 13, 17, 18 यूए (पी) अधिनियम, 1967 के तहत दर्ज किया गया था।
एसआईए की टीमों द्वारा जुटाए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि कैसे सीमा पार से नशीले पदार्थों की तस्करी का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की जड़े मजबूत करने और धन जुटाने के लिए किया गया था। इसके अलावा जाँच में यह भी पता चला है कि किस तरह ड्रग मनी का इस्तेमाल आतंकी मॉड्यूल, अलगाववादियों, ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) और मारे गए आतंकवादियों के परिवारों को देने के लिए किया जा रहा है।