Monday, November 18, 2024
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प्रधानमंत्री मोदी ने हमारी बच्ची का नाम लिया, हमारे तो भाग्य खुल गए: ‘नागरिकता’ की माँ

"प्रधानमंत्री ने हमारी बच्ची का नाम लिया, हमारे तो भाग्य खुल गए। इस बच्ची के रूप में हमारे घर में लक्ष्मी ने जन्म लिया है। अब हमारी नागरिकता की राह आसान हो जाएगी साथ ही बिजली पानी की सुविधा भी मिल सकेगी।"

दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार (23 दिसंबर) को आयोजित जनसभा को संबोधित करने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मजनूं के टीला इलाक़े में जन्मी एक बच्ची का ज़िक्र किया। बता दें कि इस बच्ची का नाम ‘नागरिकता’ है, जिसे इस दुनिया में आए अभी महज़ 14 दिन ही हुए हैं। यह अपने आप में बेहद दिलचस्प बात है कि पीएम मोदी के लिए यह बच्ची बहुत ख़ास है, तभी तो उन्होंने अपने संबोधन में उसका ज़िक्र किया।

पीएम मोदी द्वारा रैली में बच्ची का नाम लिए जाने से उसकी माँ बहुत ख़ुश थीं। उन्होंने कहा,

“प्रधानमंत्री ने हमारी बच्ची का नाम लिया, हमारे तो भाग्य खुल गए। इस बच्ची के रूप में हमारे घर में लक्ष्मी ने जन्म लिया है। अब हमारी नागरिकता की राह आसान हो जाएगी साथ ही बिजली पानी की सुविधा भी मिल सकेगी।”

जो लोग नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध कर रहे हैं उन्हें संदेश देते हुए नागरिकता की माँ ने कहा, “मैं उनसे यह कहना चाहूँगी कि हमें नागरिकता मिल रही है तो आप क्यों नाराज़ हो रहे हैं। तोड़फोड़ की ख़बर सुनकर बेहद दुख होता है।” पाकिस्तान में बिताए अपने दु:खद अनुभव को याद करते हुए उन्होंने कहा, “पाकिस्तान में तो हमें परेशान किया ही जाता था, लेकिन यहाँ हमें इज़्ज़त मिलेगी।”

बच्ची की माँ के अलावा, उसके दादा ने भी इस बात पर ख़ुशी ज़ाहिर की कि देश के प्रधानमंत्री ने बच्ची का ज़िक्र अपने संबोधन में किया। उन्होंने कहा कि पीए मोदी ने सब साफ़ कर दिया है कि किसी को बाहर नहीं किया जा रहा है। अब उम्मीद है कि नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ लोग विरोध प्रदर्शन नहीं करेंगे।

दरअसल, दिल्ली के मजनूं के टीला में रह रहे पाकिस्तानी हिन्दू शरणार्थी परिवार ने नागरिकता संशोधन क़ानून के लोकसभा और राज्यसभा से पास होने की ख़ुशी में 9 दिसंबर को जन्मी अपनी बच्ची का नाम ‘नागरिकता’ रख दिया था। बता दें कि पाकिस्तान में वर्षों से रह रहे हिन्दू परिवार वहाँ सताए जाने के बाद भारत में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं। मजनूं का टीला में रह रहे कुल 135 से अधिक परिवारों का जीवन बेहद ग़रीबी में गुज़र रहा था।

135 से अधिक परिवारों में 800 से अधिक लोग रहते हैं, जिनके पास नियमित तौर पर कोई रोज़गार नहीं है। 2013 में यहाँ शरणार्थी शिविर बनाए गए थे, जहाँ पाकिस्तान से भाग कर आए क़रीब 40 परिवार रहते थे। धीरे-धीरे यहाँ आने वाले शरणीर्थियों की संख्या बढ़कर 135 हो गई।

दिल्ली के मजनूं का टीला में पाकिस्तान से आकर रहने वाले हिन्दू शरणार्थी पड़ोसी मुल्क़ से इस कदर सताए गए कि वो ख़ुद को पाकिस्तानी कहलवाना तक पसंद नहीं करते। वो खुद को हिन्दुस्तानी कहते हैं। वहाँ पर रह रहे एक अन्य हिन्दू शरणार्थी से जब पूछा गया कि पाकिस्तान में रहने के दौरान उन्हें किन जुल्मों-सितम का सामना करना पड़ा तो उन्होंने काफी भावुक होते हुए कहा कि पाकिस्तान के अंदर हिन्दू होना गुनाह है, क्योंकि वहाँ हिन्दुत्व की कोई अहमियत ही नहीं है। यहाँ हिन्दुस्तान में हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई सारे भाई-भाई है। भारत ही वो जगह है, जहाँ हम हिन्दू सुरक्षित हैं, इसलिए वो पाकिस्तान से भारत में रहने आए हैं।

पाकिस्तान से आए हिन्दुओं को उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाएगी और उनकी शरणार्थी पहचान ख़त्म हो जाएगी। इनमें से अधिकतर शरणार्थियों का कहना था कि पाकिस्तान में अपना घर छोड़ने का फ़ैसला इनके लिए आसान नहीं था। लेकिन उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था। धार्मिक उन्माद के कारण इन पाकिस्तानी हिन्दुओं को अपना देश छोड़ना पड़ा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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