अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का काम जोरों पर है। 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में यहाँ मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस अवसर को लेकर देश भर में अभी से भक्तिभाव से सराबोर हर्ष और उल्लास का माहौल है। हालाँकि, इसी समय हिन्दू समाज को वो रामभक्त भी याद आ रहे हैं, जिन्होंने मुगलकाल से मुलायम काल तक रामजन्मभूमि के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। इन्हीं में एक थे अयोध्या के रहने वाले वासुदेव गुप्ता, जिन्हें 30 अक्टूबर 1990 को मुलायम सिंह के आदेश पर गोली मार दी गई थी। ऑपइंडिया ने 28 दिसंबर 2023 को दिवंगत वासुदेव गुप्ता के परिवार से उनके वर्तमान हालातों को जाना।
घोर आर्थिक तंगी से जूझ रहा परिवार
वासुदेव गुप्ता अपने परिवार को पालने के लिए अयोध्या के नयाघाट क्षेत्र में मिठाई की दुकान चलाते थे। इसी दुकान से उनकी पत्नी, 3 बेटियों और 2 बेटों का गुजारा चलता था। फिलहाल पड़ोसियों द्वारा किए गए मुकदमों आदि के चलते वह दुकान अब टूट चुकी है और उसका मलबा उनके नए घर में पड़ा है। वासुदेव गुप्ता के आश्रितों का नया घर 2 कमरों का है। जब ऑपइंडिया की टीम उनके परिवार में पहुँची तब घर के आसपास मलबा बिखरा पड़ा था। साथ ही कमरों के अंदर बर्तन आदि बिखरे पड़े थे। वासुदेव की बेटी ने खुल कर कुछ नहीं बताया पर हालत बता रहे थे कि परिवार गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है।
बाद में पत्नी, बेटी और बेटे की भी मौत
घर के अंदर हमें दिवंगत वासुदेव की बेटी सीमा गुप्ता मिलीं। उन्होंने हमें बताया कि पिता जी के स्वर्गवास के बाद उनकी माँ, 1 बहन और 1 भाई की भी एक-एक कर के मौत हो गई। इन सभी की मृत्यु बीमारी से होना बताया गया। सीमा का यह भी कहना था कि उनके परिवार के पास इलाज के लिए अगर पर्याप्त पैसे होते तो शायद इन तीनों सदस्यों को बचाया जा सकता था। फिलहाल वासुदेव के परिवार में 2 विवाहिता बेटियाँ और 1 बेटा बचे हैं। वासुदेव के बेटे संदीप गुप्ता का विवाह हो चुका है और वो 2 बच्चों के पिता हैं।
हालात खराब देख कर रामजन्मभूमि ट्रस्ट ने दी नौकरी
वासुदेव के बेटे संदीप ने ऑपइंडिया को बताया कि पिता, माता, भाई और बहन के देहांत के बाद उनके घर पर गंभीर आर्थिक संकट आ गया था। ऐसे में गुप्ता परिवार की सुध विश्व हिन्दू परिषद और रामजन्मभूमि ट्रस्ट ने ली। संदीप को ट्रस्ट ने रामजन्मभूमि के लॉकर विभाग में नौकरी दे रखी है। यह नौकरी VHP पदाधिकारी चम्पत राय के निर्देश पर मिली। संदीप का वेतन यहाँ बेहद सामान्य है लेकिन परिजनों का कहना है कि जहाँ कुछ भी नहीं था वहाँ इतना ही घर चलाने के लिए छोटे से सहारे के तौर पर है। हालाँकि वासुदेव की बेटी सीमा गुप्ता ने उम्मीद जताई कि आज नहीं तो कल हिन्दू समाज और वर्तमान सरकार उनके परिवार की दशा सुधारने में मददगार होंगे।
वासुदेव का अधूरा काम उनकी पत्नी ने पूरा किया
सीमा गुप्ता ने हमें बताया कि उनकी माँ शकुंतला गुप्ता भी अपने पति की तरह भगवान राम की भक्त थीं। पति की मौत के बाद उन्होंने परिवार चलाने के लिए कपड़े की दुकान खोली। इसी की कमाई से उन्होंने 1 बेटे और 2 बेटियों का ब्याह किया। सीमा के मुताबिक, साल 1992 में जब विवादित ढाँचा ध्वस्त हुआ था तब उनकी माँ भी कई महिलाओं को लेकर घटनास्थल पर मौजूद थीं। बकौल सीमा, इस दौरान उनकी माँ ने कई घायल कारसेवकों का अपने स्तर पर इलाज भी किया था।
लाश भी नहीं दे रहे थे अंतिम संस्कार के लिए
सीमा गुप्ता अपने पिता को याद करके भावुक हो गईं। उन्होंने बताया कि जब 1990 में उनके पिता को गोली लगी तब वो महज 7 साल की थीं, लेकिन उनको तमाम बातें याद हैं। सीमा ने बताया कि उनकी माँ को अपने पति की लाश पाने के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ा था, क्योंकि पोस्टमार्टम के बाद वासुदेव का शव देने में आनाकानी की जा रही थी। हालाँकि, इस दौरान हिन्दू संगठनों ने कड़ा विरोध किया, जिसके चलते मुलायम सरकार के प्रशासन को झुकना पड़ा।
अयोध्या वालों की इज्जत बचाने निकले थे वासुदेव
वासुदेव गुप्ता मूलतः अयोध्या के ही निवासी थे। उनकी बेटी ने हमें आगे बताया कि उनके पिता बजरंग बली के परम भक्त थे। जब राम मंदिर मुक्ति आंदोलन चला तब देश के विभिन्न हिस्सों से रामभक्त अयोध्या पहुँच रहे थे। इसी दौरान वासुदेव गुप्ता ने अपने परिवार से कहा कि अगर वो न निकले तो अयोध्यावासी क्या मुँह दिखाएँगे। सीमा ने बताया कि पापा ने कहा कि अयोध्या में रहने वालों पर भविष्य में हँसा जाएगा कि वो घरों से बाहर नहीं निकले। आखिरकार वासुदेव एक जत्थे के साथ निकले और उनके पेट व कमर में 3 गोलियाँ लगीं। वासुदेव के प्राण मौके पर ही निकल गए थे। वासुदेव का शव रामजन्मभूमि के पास ही रामकोट पर पड़ा मिला था।
हिज्बुल मुजाहिदीन के नाम से मिली धमकी
सीमा गुप्ता ने हमें आगे बताया कि उनके पिता के स्वर्गवास के लगभग 1-2 साल बाद उनके घर एक धमकी भरा खत आया था। उर्दू शब्दों में लिखे गए इस 3 पेज के खत में हिजबुल मुजाहिद्दीन की मुहर लगी हुई थी। पत्र में कई धमकियों के साथ लिखा गया था, “‘एक को भेज चुकी हो, दूसरे को संभाल कर रखना। सरयू नदी को ‘शरीफा नदी’ और अयोध्या को ‘अयूबाबाद’ बनाया जाएगा।” तब वासुदेव गुप्ता की पत्नी शकुंतला ने इस धमकी की शिकायत प्रशासन से की थी।
राम मंदिर बना पिता का सपना साकार हुआ
वासुदेव गुप्ता का परिवार भगवान राम का मंदिर बनने से बेहद खुश है। उनके बेटे संदीप और बेटी सीमा ने बताया कि राम मंदिर बनने के बाद उनके स्वर्गवासी पिता का सपना साकार हो गया है। वासुदेव के परिजन यह भी चाहते हैं कि इस मंदिर के साथ उनके पिता और अन्य बलिदान हुए रामभक्तों के इतिहास को याद किया जाए। सीमा गुप्ता को आशा है कि उनके पिता की स्मृति बरकरार रखने के लिए वर्तमान सरकार वासुदेव गुप्ता के नाम का एक स्मारक जरूर बनवाएगी।
ऑपइंडिया की टीम दिसंबर 2023 के अंतिम सप्ताह से अयोध्या में है। यहाँ से हम आपको न सिर्फ रामजन्मभूमि आंदोलन के गुमनाम बलिदानी, विस्मृत घटनाएँ बल्कि अयोध्या के कई अनसुने लेकिन पवित्र स्थानों के बारे में विस्तार से बताएँगे। इस कड़ी की दूसरी खबर जल्द ही प्रकाशित होगी।