उत्तराखंड के देहरादून में एक मामला दर्ज किया गया है। मामला दिलचस्प है। “यह तीर्थ हिंदुओं का पवित्र स्थल है, इसमें गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है” – यह बैनर घंटा घर के पास एक मंदिर के बाहर लगाया गया था। इसी के खिलाफ धारा 153A के तहत पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है।
“यह तीर्थ हिंदुओं का पवित्र स्थल है, इसमें गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है” – इस बैनर के नीचे एक नंबर दिया हुआ था – 9193000390 – पुलिस ने इसी नंबर से संबंधित व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया है। और यह नंबर हिंदू युवा वाहिनी प्रदेश (उत्तराखंड) महासचिव जीतू रंधावा का है।
Uttarakhand | A banner was put up outside temple in Ghanta Ghar, Dehradun stating that 'Entry of non-Hindus impermissible here'. Temple authorities denied knowing about it. Banner removed, case registered under Sec 153A against person whose no. was on banner: Kotwali Police pic.twitter.com/3aK1uaSiDS
— ANI (@ANI) March 21, 2021
देहरादून के थाना कोतवाली नगर प्रभारी शिशुपाल सिंह नेगी ने जाँच में पाया कि बैनर पर लिखे मोबाइल धारक जीतू रंधावा हैं, जो हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश महासचिव हैं। अपने खिलाफ मामला दर्ज होने को लेकर जीतू रंधावा कहते हैं कि पुलिस ने उन्हें शहर में ऐसे पोस्टर न लगाने की चेतावनी दी है।
हिंदू युवा वाहिनी प्रदेश (उत्तराखंड) महासचिव जीतू रंधावा प्रशासन से सवाल भी पूछते हैं, “वो मुसलमानों का ऐसे पक्ष क्यों ले रहे हैं? मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि उत्तराखंड जैसी जगह पर ऐसा हो रहा है। मुझे फर्क नहीं पड़ता कि वो मेरे खिलाफ केस कर दें, लेकिन मैं सुनिश्चित करूँगा कि ऐसे पोस्टर उत्तराखंड के सभी मंदिरों के बाहर लगाए जाएं।”
हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश (उत्तराखंड) अध्यक्ष गोविंद हिंदुस्तानी ने इस पूरे मामले पर अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि हिंदू युवा वाहिनी संगठन ने निर्णय लिया है कि सबसे पहले राजधानी देहरादून के सभी मंदिरों में बैनर लगाए जाएँगे। उनके अनुसार देहरादून के बाद प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में भी ऐसे बैनर लगाए जाएँगे।
डासना से शुरुआत
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के डासना देवी मंदिर में आसिफ नाम के एक बच्चे की पिटाई का वीडियो वायरल करते हुए यह दावा किया गया था कि पानी पीने के कारण उसके साथ ऐसा किया गया। उसके बाद तो मंदिरों को बदनाम करने का एक बार फिर से सिलसिला सा चल पड़ा।
वामपंथी और हिन्दू विरोधी ताकतों की कलई तब खुली जब मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने पूरा सच बताया कि आसिफ बच्चा नहीं है और न वह यहाँ पानी पीने आया था। बल्कि ऐसों का मकसद मंदिर में चोरी करना या रेकी करना होता है तो वहीं बच्चे की पिटाई के बाद चर्चा में आए श्रृंगी यादव ने बताया कि आसिफ शिवलिंग पर पेशाब कर रहा था इसलिए मारा। पानी तो बस पकड़े जाने पर बहाना है।
डासना मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती महंत ने तब मंदिर के गेट पर लगे उस बोर्ड के बारे में भी बताया, जिस पर मुसलमानों के मंदिर परिसर में प्रवेश न करने की बात लिखी है। इसके बाद आसिफ की पिटाई वाला मामला इस बोर्ड पर आकर टिक गया। “मुसलमानों के मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं” बोर्ड पर राजनीति होने लगी। यहाँ तक कि बसपा विधायक असलम चौधरी ने धमकी दे दी कि मंदिर उनके पूर्वजों का है और वह जुमे की नमाज के बाद मंदिर में प्रवेश करेंगे और वह बोर्ड भी हटाया जाएगा, जिस पर लिखा है- “यह मंदिर हिन्दुओं का पवित्र स्थल है। यहाँ मुसलमानों का प्रवेश वर्जित है।”