कॉन्ग्रेस की पूर्व महिला नेत्री पर आपत्तिजनक बयान देने के मामले में गुवाहाटी हाईकोर्ट (Gauhati High Court) ने युवा कॉन्ग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी (Srinivas BV) को राहत नहीं दी। कोर्ट ने गुरुवार (4 मई 2023) को श्रीनिवास की अंतरिम जमानत की याचिका खारिज कर दी और उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया।
मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अजीत बोरठाकुर ने कहा कि पीड़िता का आरोप है कि श्रीनिवास ने 25 फरवरी 2023 को रायपुर के एक होटल में कॉन्ग्रेस के सत्र के दौरान उसके साथ बदसलूकी की गई। महिला ने कहा कि उसके खिलाफ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए श्रीनिवास ने कहा कि अगर उन्होंने पार्टी के उच्च पदाधिकारियों के सामने उनकी शिकायत की तो करियर बर्बाद कर देंगे।
कोर्ट ने कहा, “पीड़ित के आरोप के अनुसार, विभिन्न अपमानजनक शब्दों के अलावा याचिकाकर्ता ने कहा- ये लड़की…. ऐ ये तुम क्या लिखते रहते हो … ये सब तुम क्या पीता रहता है, वोडका पीता हो या टकिला पीते रहते हो।” इसमें आगे कहा गया है कि गाली-गलौज वाले शब्दों का इस्तेमाल करते हुए लगातार सेक्सिस्ट टिप्पणियाँ करके उत्पीड़न किया गया।
कोर्ट ने कहा कि इस तरह के कथन प्रथम दृष्ट्या उन अपराधों का गठन करते हैं, जो स्पष्ट रूप से दंड संहिता की धारा 352 (हमला या आपराधिक बल), 354 (लज्जा भंग करने के इरादे से महिला पर हमला या आपराधिक बल) और 354A (1)(iv) (यौन उत्पीड़न) के दंडात्मक प्रावधानों की पूर्ति करते हैं।
श्रीनिवास की ओर से कोर्ट में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता केएन चौधरी ने दलील दी कि उनके क्लाइंट के खिलाफ एफआईआर में मनगढ़ंत बातें दर्ज की गई हैं और यह राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम है। उन्होंने तर्क दिया कि अगर जाँच की इजाजत दी जाती है तो यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा।
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता चौधरी ने कहा कि Cr.PC की धारा 482 में अगर उनके मुवक्किल को अंतरिम जमानत नहीं दी जाती है तो इस धारा में दर्ज अन्य केसों में भी न्यायालय को अंतरिम जमानत नहीं देनी चाहिए, क्योंकि इस संबंध में सबके लिए एक ही कानून होना चाहिए। चौधरी ने आगे कहा कि ऐसा देखा गया है कि न्यायाधीश, जो सेवानिवृत्ति के कगार पर हैं, हमेशा सरकार के पक्ष में आदेश पारित करते हैं।
गौरतलब है कि असम युवा काॅन्ग्रेस की अध्यक्ष रहीं अंगकिता ने यूथ काॅन्ग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास (Srinivas BV) और यूथ कॉन्ग्रेस के सेक्रेटरी इंचार्ज वर्धन यादव पर लैंगिक भेदभाव तथा बदजुबानी का आरोप लगाया था। कहा था कि राहुल गाँधी ने भी उनकी शिकायतों पर गौर नहीं किया और प्रताड़ना का सिलसिला चलता रहा।
उन्होंने कहा था, “श्रीनिवास पिछले छह महीनों से उन्हें परेशान और प्रताड़ित कर रहे हैं। लैंगिक टिप्पणी करते हैं। अपशब्दों का इस्तेमाल करते हैं। पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों से इसकी शिकायत करने पर उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे हैं।”
इसके बाद अंगकिता ने 19 अप्रैल को गुवाहाटी के दिसपुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। उनकी शिकायत पर कॉन्ग्रेस नेता श्रीनिवास के खिलाफ आईपीसी की धारा 509/294/341/352/354/354 ए (iv)/506 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
अंगकिता दत्ता की मानें तो करीब छह महीने से उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा था। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल गाँधी को भी इसकी जानकारी दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उनका आरोप है कि स्त्री होने के कारण उनके साथ भेदभाव हुआ। इन आरोपों के बाद असम काॅन्ग्रेस ने पहले अंगकिता को कारण बताओ नोटिस जारी किया, फिर उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया। वहीं श्रीनिवास को कर्नाटक के लिए जो स्टार प्रचारकों की सूची जारी की उसमें जगह दी।