गाज़ियाबाद पुलिस द्वारा कुछ ATM हैकरों को दबोचा गया है, जो बेहद शातिर अपराधी निकले हैं। इन आरोपितों के नाम शाहनवाज़, सगीर, मेहराज, उमर और जमीर हैं। ये सभी अपराध में लगभग 12 साल से सक्रिय थे। इन सभी ने पूरे देश में अब तक लगभग 250 ATM हैक किए थे। इस दौरान इन सभी ने लगभग 30 करोड़ रुपए चुराने में सफलता पाई थी। इन सभी के तार हैदराबाद से भी जुड़े पाए गए हैं। यह गिरफ्तारी 30 नवम्बर को की गई थी। इन्हें पकड़ कर छोड़ने के अपराध में नोएडा पुलिस के इंस्पेक्टर शावेज़ खान और एक अन्य हेड कॉन्स्टेबल को बर्खास्त कर दिया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन सभी का सरगना कमल है जो हैदराबाद में रहता है। किसी ATM को हैक करने के लिए आरोपित एक खास सॉफ्टवेयर WICKER का इस्तेमाल करते थे। इनके पास से पैनड्राइव, ब्लूटूथ की-बोर्ड बरामद किया गया है। ATM खोलने के लिए ये फ्रिज की चाबी प्रयोग में लाते थे। अगर किसी वजह से तब भी बात नहीं बनती थी तब ये लॉक तोड़ देते थे। लॉक तोड़ने के बाद ये ATM में अपना सॉफ्टवेयर डालते थे। इस दौरान ये ब्लूटूथ की बोर्ड से एक QR कोड बना कर अपने हैदराबाद में बैठे सरगना को भेजते थे। कमल वहाँ से कमांड देता था। हर कमांड पर किसी भी मूल्य के 40 नोट निकलते थे।
इनके टारगेट पर ज़्यादातर एक्सिस बैंक और टाटा इंडीकैश ATM हुआ करते थे। इस पूरी कार्रवाई के दौरान इनके अन्य साथी आसपास नजर रखते थे और ATM हैक हो जाने पर रुपए इकट्ठे करने में मदद करते थे। पुलिस को घटनास्थल पर इनकी लोकेशन न मिले इसके लिए ये सभी अपने फ़ोन ऑफलाइन कर देते थे। 1 ATM में घुस कर उसकी पूरी प्रकिया और हैकिंग के साथ पैसे निकालने में उन्हें लगभग 1 घंटे था। काम हो जाने के बाद हिस्से का बँटवारा किया जाता था। एटीएम में घुसकर अपराध करने वालों का हिस्सा 25% होता था। बचे 75% को गिरोह के सरगना कमल, सगीर और शाहनवाज बाँट लेते थे। पुलिस इनके साथियों की तलाश कर रही है।
आरोपितों के नाइजीरियन गैंग से भी रिश्ते बताए जा रहे हैं। यह गैंग 2000 रुपये दे कर फर्जी आईडी पर सिम देता था। साथ ही ये उनसे 1000 रुपये में ब्लॉक एटीएम खरीद लेते थे। अगर बीच में पुलिस आ जाती थी तो ये ब्लॉक ATM दिखा देते थे। इस गैंग ने दिल्ली के अलावा UP, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि प्रदेशों में वारदात किए। ATM की CCTV फुटेज ने इनकी गिरफ्तारी में जरूरी योगदान दिया।
इस गिरफ्तारी से पहले ये आरोपित साल 2015 में उत्तराखंड की रुड़की पुलिस द्वारा पकड़े जा चुके थे। 1 साल बाद जमानत पर छूट कर ये सभी दुबारा इसी अपराध में लग गए थे। इन सभी का सरगना शाहनवाज बिहार के किशनगंज का है जो BCA पास है। हैदराबाद का कमल भी BCA किया है। तीसरा आरोपित जमीर मुंबई वर्ली का है जिसने 11 वीं तक पढ़ाई की है। चौथा मेहराज है जो दिल्ली के मुस्तफाबाद का रहने वाला है। मेहराज भी BCA पास है। पाँचवा आरोपित सगीर है जो दिल्ली के मंडोली का रहने वाला है। सगीर कक्षा 5 तक पढ़ा है। गिरफ्तार आरोपितों में शाहनवाज और जमीर आपस में रिश्तेदार हैं।
आरोपित सगीर वाहन चोरी के भी अपराध में संलिप्त है। उसने दिल्ली पुलिस के दयालपुरी थाने पर चोरी की गाड़ियों को बेचने में हिस्सा लेने के बदले मदद करने का बयान दिया है। आरोप है कि वारदात में प्रयुक्त वाहनों को दयालपुरी थाने की पुलिस किसी और से बरामद दिखा देती थी। दिल्ली के 28 मुकदमों में नामजद सगीर पर 500 से अधिक चोरी की कारें बेचने का आरोप लगा है। कार को भी चुराने में सगीर ने सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना कबूल किया है। इस बारे में गाजियाबाद पुलिस ने दिल्ली पुलिस को सूचित कर दिया है।