गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के कलेक्टर दिग्विजयसिंह जडेजा ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उन्होंने दरगाह-मस्जिद को जमीन कब्जा खाली करने को गिराई है। कलेक्टर ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि यह सभी निर्माण अवैध थे। कलेक्टर के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का मुकदमा किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बुधवार (16 अक्टूबर, 2024) को सुप्रीम कोर्ट में अवमानना मामले में गिर-सोमनाथ जिले के कलेक्टर जडेजा ने अपना जवाब दाखिल किया। कलेक्टर जडेजा ने बताया कि उनके जिले इस्लामी ढांचों को तोड़ने में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं किया गया है। उन्होंने इस आरोप को नकार दिया है।
कलेक्टर जडेजा ने कहा कि उन्होंने जो भी इस्लामी ढाँचे तोड़े वह सार्वजनिक जमीन पर कब्जा करके बनाए गए थे। उन्होंने यह अतिक्रमण खाली करने के विरुद्ध ही यह कार्रवाई की थी। ऐसे में उनको तोड़ने में किसी भी अनुमति की जरूरत नहीं थी। ऐसे में इसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना करार नहीं दिया जा सकता।
कलेक्टर जडेजा ने यह भी कहा जडेजा ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं और किसी भी तरह से उसकी गरिमा को ठेस नहीं पहुँचाना चाहते। कलेक्टर जडेजा ने कहा कि वह इसके बाद भी अगर अवमानना लगती है तो वह सुप्रीम कोर्ट से माफ़ी माँगते है। उनकी तरफ से यह भी बताया गया कि जिस जमीन से अतिक्रमण हटाया गया वह अरब सागर तट पर है।
गिर सोमनाथ जिले के कलेक्टर ने यह जवाब मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर एक अवमानना याचिका पर दाखिल किया है। मुस्लिम पक्ष ने सितम्बर माह में प्रशासन की अतिक्रमण के खिलाफ की गई कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी। मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि यह कार्रवाई करके प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर एक्शन पर लगाई गई रोक का उल्लंघन किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितम्बर, 2024 को देश भर में सार्वजनिक जगहों पर अतिक्रमण को छोड़ कर बाकी जगह निर्माण गिराने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। दूसरी तरफ गिर सोमनाथ में 27 सितम्बर, 2024 को हाजी मंगरोलीशा पीर दरगाह, हजरत माईपुरी, सीपे सालार और मस्तानशा बापू जैसी प्रमुख दरगाह समेत तमाम अवैध ढांचों को गिरा दिया था।
यह कार्रवाई काफी बड़े स्तर पर की गई थी। इस दौरान मुस्लिमों ने हंगामा भी किया था। हालाँकि, पुलिस ने इस दौरान कार्रवाई को शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न करवा दिया था और लगभग 70 लोगों को हिरासत में ले लिया गया था।