दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को अभी जेल में ही रहना होगा। माओवादियों से संबंध के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के फैसले को निलंबित कर दिया है।
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने कल यानी 14 अक्टूबर 2022 को पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को आरोप मुक्त कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस फैसले को 15 अक्टूबर 2022 को निलंबित कर दिया।
In a special hearing today, Supreme Court suspends the October 14 order of the Nagpur bench of Bombay High Court which discharged former Delhi University professor GN Saibaba and others in an alleged Maoist links case. pic.twitter.com/qGUJExNPuv
— ANI (@ANI) October 15, 2022
सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा ने हाउस अरेस्ट की माँग की थी, इसे भी ठुकरा दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तर्क दिया कि हाउस अरेस्ट की माँग अपराध की गंभीरता को देखते हुए स्वीकार नहीं की जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट का यह मानना है कि पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा को गंभीर अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है। 8 साल पहले माओवादियों की मदद से देश के खिलाफ माहौल बनाने के आरोप में वह गिरफ्तार किए गए थे।
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और माओवादियों से संबंध के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसी याचिका को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत का फैसला आया है। इस केस की अगली सुनवाई 8 दिसंबर 2022 को होगी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईबाबा और माओवादियों से संबंध के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।