गुजरात (Gujarat) में विधानसभा चुनाव से पहले वहाँ की सत्ताधारी भाजपा सरकार ने राज्य में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। शनिवार (29 अक्टूबर 2022) को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल (CM Bhupendra Patel) की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को पास किया गया।
इस बात की जानकारी देते हुए प्रदेश के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने कहा, “पीएम नरेंद्र मोदी और यूनियन एचएम अमित शाह के नेतृत्व में सीएम भूपेंद्र पटेल ने आज कैबिनेट बैठक में राज्य में समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए कमिटी बनाने का ऐतिहासिक फैसला लिया है।”
Gujarat | Under the leadership of PM Narendra Modi & Union HM Amit Shah, CM Bhupendra Patel has taken a historic decision in the cabinet meeting today – of forming a committee for implementing the Uniform Civil Code in the state: Gujarat Home Minister Harsh Sanghavi pic.twitter.com/rC5vhRNs5U
— ANI (@ANI) October 29, 2022
इस कमिटी की अध्यक्षता हाईकोर्ट के रिटायर जज करेंगे। बता दें कि इससे पहले उत्तराखंड में भी भाजपा की सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले UCC लागू करने का वादा किया था और सत्ता में वापसी करते ही इस साल मार्च में एक कमिटी का गठन किया था।
बता दें कि भाजपा के घोषणा पत्र में राम मंदिर निर्माण, अनुच्छेद 370 की समाप्ति और देश में समान नागरिक संहिता को लागू करना प्रमुख मुद्दा है। इनमें से दो वादे को भाजपा पूरा कर चुकी है और तीसरा एवं फिलहाल का अंतिम प्रमुख मुद्दा UCC को लागू करना भाजपा के लिए अभी बाकी है।
क्या है समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता एक ऐसा कानून है, जो देश के हर समुदाय, चाहे वह हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख हो या ईसाई, सब पर समान रूप से लागू होता है। व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म का हो, जाति का हो या पंथ का हो, सबके लिए सिविल कानून एक ही होगा। वर्तमान में ऐसा नहीं है।
अंग्रेजों ने आपराधिक और राजस्व से जुड़े कानूनों को भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860, भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEA) 1872, भारतीय अनुबंध अधिनियम (ICA) 1872, विशिष्ट राहत अधिनियम 1877 आदि के माध्यम से सारे समुदायों पर लागू किया, लेकिन शादी-विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, संपत्ति, गोद लेने आदि से जुड़े मसलों को धार्मिक समूहों के लिए उनकी मान्यताओं के आधार पर छोड़ दिया।
आजादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने हिंदुओं के पर्सनल लॉ को खत्म कर दिया, लेकिन मुस्लिमों के कानून को ज्यों का त्यों बनाए रखा। हिंदुओं की धार्मिक प्रथाओं के तहत जारी कानूनों को निरस्त कर हिंदू कोड बिल के जरिए हिंदू विवाह अधिनियम 1955, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956, हिंदू नाबालिग एवं अभिभावक अधिनियम 1956, हिंदू दत्तक ग्रहण और रखरखाव अधिनियम 1956 लागू कर दिया गया। ये कानून हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख आदि पर समान रूप से लागू होते हैं।
मुस्लिमों का कानून पर्सनल कानून (शरिया), 1937 के तहत संचालित होता है। इसमें मुस्लिमों के निकाह, तलाक, भरण-पोषण, उत्तराधिकार, संपत्ति का अधिकार, बच्चा गोद लेना आदि आता है, जो इस्लामी शरिया कानून के तहत संचालित होते हैं। अगर समान नागरिक संहिता लागू होता है तो मुस्लिमों के निम्नलिखित कानून बदल जाएँगे।