गुजरात के मोरबी में हुए केबल पुल हादसे पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान गुजरात सरकार ने हलफनामा पेश किया। सरकार ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख का मुआवजा देने की बात कही है। साथ ही सरकार ने मोरबी नगर निगम को भंग करने का भी फैसला किया है।
गुजरात सरकार ने सोमवार (12 दिसंबर, 2022) को सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय को जानकारी दी कि मोरबी नगर निगम भंग कर दिया जाएगा। गुजरात नगरपालिका अधिनियम की धारा 263 के तहत कार्यवाही होगी। साथ ही मोरबी के तत्कालीन मुख्य अधिकारी एसवी जाला के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाएगी। आपको बता दें हादसे के तीन दिन के भीतर ही नगरपालिका के चीफ ऑफिसर एसवी जाला को सस्पेंड कर दिया गया था।
#MorbiBridgeCollapse | Morbi Nagar Palika and #Gujarat Govt on Monday filed an affidavit before the Gujarat High Court.
— ABP LIVE (@abplive) December 12, 2022
The kin of each deceased will receive a total compensation of Rs 10 lakhs.
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गुजरात सरकार ने यह भी जानकारी दी कि हाई कोर्ट के सुझाव के अनुसार राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को मिलने वाली मुआवजे की राशि बढ़ा दी है। महाधिवक्ता (सॉलिसिटर जनरल) कमल त्रिवेदी ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को चार लाख रुपए का अतिरिक्त मुआवजा देने का फैसला किया है। इसके बाद कुल मुआवजा राशि 10 लाख रुपए हो जाएगी। सरकार घायलों को एक लाख रुपए का मुआवजा देगी। इस मामले में अगली सुनवाई 21 दिसंबर 2022 को होगी।
आपको बता दें कि गुजरात के मोरबी में 30 अक्टूबर, 2022 की शाम मच्छु नदी में बने केबल पुल टूटने से हादसा हुआ था। इसमें 134 लोगों की मौत हो गई थी। यह हादसा पुल की एक निजी कंपनी द्वारा मरम्मत करने के पश्वात जनता के लिए खोलने के चार दिन बाद हुआ था। हादसे के बाद विपक्ष ने इस पर राजनीति शुरू कर दी थी।
हालाँकि चुनाव परिणामों में मोरबी समेत पूरे गुजरात की जनता ने विपक्ष की नकारात्मक राजनीति को नकार दिया था। मोरबी की जनता ने भाजपा प्रत्याशी कांतिलाल अमृतिया पर अपना भरोसा जताया था। कच्छ जिले की इस सीट पर कांतिलाल ने 62 हजार वोटों से जीत हासिल की। उन्हें 1 लाख 14 हजार से भी ज्यादा वोट मिले थे।