हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें एक भीड़ ने मुस्लिम परिवार के घर में घुसकर लाठियों से खूब मारपीट की। सोशल मीडिया पर इस हमले को तुरंत साम्प्रदायिक करार दे दिया गया, क्योंकि वीडियो में पीड़ित दुसरे समुदाय से था और हमलावरों की पहचान हिंदुओं के रूप में की गई। इस घटना के बाद राहुल गाँधी और कुछ अन्य लोगों ने बिना हक़ीकत का पता लगाए भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधा। ऐसे लोगों ने जानने की भी कोशिश नहीं कि क्या वाकई ये हमला आरएसएस और भाजपा की विचारधारा से प्रेरित था?
Every Patriotic Indian is disgusted by the video of a family in #Gurugram being mercilessly beaten by hooligans. The RSS/ BJP channelises bigotry & hatred for political power. This incident serves as a warning of the dangerous consequences & the dark side of that strategy.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 23, 2019
दरअसल, यह हमला किसी साम्प्रदायिक घृणा का नतीज़ा नहीं था बल्कि क्रिकेट पर हुई लड़ाई इसका कारण थी। ऑपइंडिया ने जब गुरुग्राम की पुलिस से इसके बारे में बात की तो यह तथ्य सामने निकलकर आए। गुरुग्राम पुलिस द्वारा दिए बयान में यह साफ़ हुआ कि इस पूरी घटना का साम्प्रदायिकता से कोई वास्ता नहींं था।
सुभाष बोकन (पुलिस) ने बताया कि यह झगड़ा क्रिकेट के कारण शुरू हुआ था, जिसमें एक बच्चे को गेंद लग गई। और इसी बात पर उनका झगड़ा हो गया। क्रिकेट खेल रहे लड़को ने अपने दोस्तों को बुला लिया। जब उन्हें एहसास हुआ कि वे (पीड़ित परिवार) संख्या में कम हैं, तो वे घर में भाग गए। फिर, लड़को की यह पूरी भीड़ पीड़ित परिवार घर में घुसी और सबके साथ मारपीट की। पुलिस ने बताया कि यह कोई साम्प्रदायिक मामला नहीं है। यहाँ तक कि पीड़ित परिवार का भी कहना था कि यह सांप्रदायिकता नहीं है, वे लंबे समय से इस क्षेत्र में रह रहे हैं।
Is India heading towards a Civil War!
— Ashok Swain (@ashoswai) March 23, 2019
Sanghi Stupids (Modi’s SS) are entering into Muslim Houses in India’s Capital Region, beating up family members & asking them to move to Pakistan! https://t.co/7ExDOZRBkk
अब इसके बाद जब यह सुनिश्चित हो गया कि यह मामला घृणा से संबंधित अपराध का न होकर क्रिकेट पर हुई एक लड़ाई का है, तो कुछ मीडिया हाउस इस घटना को साम्प्रदायिक विवाद बनाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी मीडिया रिपोर्टों का दावा है कि पीड़ित पक्ष को हमलावरों की ओर से ‘पाकिस्तान जाओ’ जैसी बातें कही गई। लेकिन जब सुभाष बोकन (पुलिस) से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पीड़ित पक्ष की ओर से ऐसी कोई शिक़ायत नहीं दर्ज कराई गई।
We should all hang our heads in shame.. this is what hate politics and it’s propaganda machine does.. हम सब शर्मिन्दा है! https://t.co/hsInxIBpfZ
— Citizen/नागरिक/Dost Rajdeep (@sardesairajdeep) March 23, 2019
इसके अलावा पीड़ितों ने एबीपी न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में अपनी आपबीती भी सुनाई, और उस इंटरव्यू में भी उन्होंने कहीं भी इस बात का ज़िक्र नहीं किया कि हमलावरों ने उन्हें पाकिस्तान जाने के लिए कहा। अब इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि मीडिया के एक वर्ग द्वारा ख़बर को ऐसा एंगल सिर्फ़ सनसनीखेज़ बनाने के लिए जोड़ा गया था, जबकि वास्तव में हमलावरों ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा था।
इससे यह भी स्पष्ट हो जाता है कि पूरे मामले में जिस एंगल के साथ आरएसएस और भाजपा को टारगेट किया जा रहा था, वो पूर्ण रूप से निराधार था। इस घटना को बिना आपराधिक प्रवृति का बताए, कुछ तथाकथित सेकुलरों द्वारा सांप्रदायिक एंगल देकर केवल इसलिए पेश किया गया, ताकि समुदाय विशेष को पीड़ित के रूप में चित्रित किया जा सके।