उत्तराखंड के हल्द्वानी जिले के बनभूलपुरा इलाके में हुई सांप्रदायिक हिंसा के मामले में मुख्य आरोपित अब्दुल मलिक के खिलाफ नगर निगम द्वारा जारी 2.44 करोड़ रुपए की रिकवरी नोटिस पर नैनीताल हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। बनभूलपुरा में इसी साल 8 फरवरी 2024 से हुई हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई थी, तो दर्जनों लोग घायल हो गए थे। इस हिंसा में करोड़ों की संपत्ति को नुकसान पहुँचा था। अब्दुल मलिक कई दिनों की फरारी के बाद गिरफ्तार हुआ था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उत्तराखंड हाई कोर्ट के जस्टिस मनोज कुमार तिवारी की सिंगल बेंच ने अब्दुल मलिक को राहत दी। शुक्रवार (24 मई 2024) को अब्दुल मलिक द्वारा जारी याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट ने वसूली नोटिस पर रोक लगा दी। अब्दुल मलिक के खिलाफ हल्द्वानी नगर निगम ने 2.44 करोड़ की रिकवरी के लिए नोटिस जारी किया था। अब्दुल मतीन इसके खिलाफ हाई कोर्ट पहुँचा था, जहाँ से उसे राहत मिल गई।
बता दें कि हल्द्वानी नगर निगम की ओर से बनभूलपुरा में हुए दंगे में नुकसान के बदले में आरोपित अब्दुल मलिक को नगर निगम अधिनियम, 1959 की धारा 470 के तहत 2.424 करोड़ रुपए का नोटिस 12 फरवरी 2024 को भेजा गया था। नोटिस में तीन दिन के अंदर यह धनराशि नगर निगम कार्यालय में जमा करने को कहा गया था। नोटिस में कहा गया कि दंगे में कई लोगों की जान व करोड़ों रुपए के सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुँचा था और इस केस में अब्दुल मलिक मुख्य आरोपित है। ऐसे में नुकसान के भरपाई के लिए यह रिकवरी नोटिस जारी किया गया है।
इस मामले में धनराशि जमा नहीं करने पर हल्द्वानी के तहसीलदार की ओर से आरोपित को 25 अप्रैल 2024 को वसूली नोटिस जारी किया था। आरोपित ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद हाई कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है।
हाई कोर्ट में अब्दुल मलिक की ओर से इस नोटिस को गलत बताया गया। अब्दुल मलिक के वकील ने कहा कि अभी अब्दुल मलिक इस केस में आरोपित है, उसके खिलाफ दोष सिद्धि नहीं हुई है, ऐसे में उससे अभी वसूली नहीं की जा सकती। इसलिए ये रिकवरी नोटिस गलत है, इस पर रोक लगाई जाए। अब्दुल मलिक की ओर से अहरार बेग ने बतौर वकील हाई कोर्ट में ये याचिका दायर की थी, जिसके बाद कोर्ट ने इस रिकवरी नोटिस पर रोक लगा दी।
गौरतलब है कि पुलिस ने अब्दुल मलिक को 8 फरवरी को हुए उपद्रव में आरोपित बनाया है। आरोप है कि अब्दुल मलिक ने ही सरकारी जमीन पर फर्जी दस्तावेज बनाकर वहाँ मस्जिद और मदरसे का निर्माण करवाया था। मलिक इस जमीन को अपना बता रहा था। उस सरकारी भूमि पर अवैध मदरसे और मस्जिद को तोड़ने के दौरान स्थानीय लोगों ने पुलिस, नगर निगम और पत्रकारों पर हमला बोला था। आगजनी और पथराव में पाँच लोगों की जान गई है, जबकि 8 करोड़ से अधिक की सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुँचा था।