Monday, December 23, 2024
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‘श्रवण कुमार जैसा बेटा चला गया’: बीमार पिता के लिए हरिओम मिश्रा ने छोड़ दी थी ₹25000 की नौकरी, शौच तक खुद कराते थे

घर में एक तरफ उनके पिता चारपाई पर लेटे हुए हैं और दूसरी तरफ उनकी एक गाय है, जो खा रही है। हरिओम मिश्रा के परिवार का कहना है कि उन पर 7-8 लाख रुपयों का कर्ज है।

लखीमपुर खीरी किसान हिंसा में मारे गए लोगों में एक नाम हरिओम मिश्रा का भी है। उनके जाने के साथ ही परिवार का कर्ताधर्ता अब नहीं रहा। गरीबी में जी रहे परिवार में एक बीमार पिता है, एक कुँवारी बहन और एक लाचार माँ। मीडिया में इस परिवार की बातें नहीं हो रहीं। ये भी तो किसान थे। छत्तीसगढ़ और पंजाब की सरकारों ने इनके लिए मदद की घोषणा नहीं की। राहुल और प्रियंका गाँधी इनसे मिलने नहीं आए।

हरिओम मिश्रा के घर की हालत देख कर ऐसा लगता है, जैसे ये कोई पुराना गोदाम हो जो वर्षों से खाली पड़ा हो। ऊपर एलवेस्टर की छत है। घर पर लत्तियाँ और झाड़ियाँ उगी हुई हैं। टीन के दरवाजे हैं। अंदर जाने पर हरिओम मिश्रा के भाई अपने पिता को कपड़े पहनाते हुए मिलते हैं। बीमार और वृद्ध पिता उठ-बैठ भी नहीं सकते। उन्हें शौच कराने से लेकर उनकी सेवा के अधिकर कार्य हरिओम खुद करते थे।

घर में एक तरफ उनके पिता चारपाई पर लेटे हुए हैं और दूसरी तरफ उनकी एक गाय है, जो खा रही है। घर में दो ही महँगी चीज दिख रही थी मुझे, एक मेरी हेलमेट जो मैं लेकर गया था और एक गद्दा। अपने पिता की सेवा में रमे रहने वाले हरिओम मिश्रा कुछ ही दिनों पहले इस गद्दे को उनके लिए ही खरीद कर लाए थे। घर में अँधेरा छाया हुआ है। एलवेस्टर और दीवार के बीच जो छेद हैं, उससे जरूर बारिश का पानी अंदर आता होगा।

उनके घर में नल तक नहीं है, चापाकल से ही काम चलाना पड़ता है। हरिओम मिश्रा 5 भाई-बहन थे, जिनमें से दो भाई और तीन बहन थीं। उनके एक भाई का नाम श्रीराम मिश्रा है। दो बहनों की शादी हो चुकी है। श्रीराम मिश्रा ने बताया कि उनके भाई रोज अपने पिता को स्नान व शौच कराने आते थे। उनको खिलाते थे और हाथ-पाँव भी दबाया करते थे। तेल मालिश करते थे और उन्हें अपने पिता की विशेष चिंता रहती थी, जिनका हालचाल वो हमेशा लिया करते थे।

अब घर में कोई कमाने वाला नहीं बचा है। श्रीराम मिश्रा ने बताया कि टीवी में जब खबर चली, जिसमें उनके भाई का नाम आया तब परिवार को उनकी मौत होने की सूचना मिली। उससे पहले किसी ने खबर नहीं दी थी। उन्होंने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है और हरिओम मिश्रा के रुपयों से ही पिता का इलाज चलता था। श्रीराम मिश्रा कहते हैं कि कम भी किसान हैं, हम हमारा गुजारा कैसे चलेगा?

उन्होंने सरकार से माँग की है कि उन्हें एक करोड़ रुपए का मुआवजा मिले और दोनों भाई-बहनों को सरकारी नौकरी भी दी जाए। हरिओम मिश्रा की माँ ने बताया कि उनका बेटा ‘श्रवण कुमार’ की तरह था, जो अब दुनिया से चला गया। अपने पिता की सेवा करने के लिए उन्होंने 25,000 रुपए की नौकरी भी छोड़ दी थी। वो कहते थे कि यहाँ रहेंगे तो पिता की सेवा-सुश्रुवा करेंगे, भले ही कमाई कम ही हो।

हरिओम मिश्रा के परिवार का कहना है कि उन पर 7-8 लाख रुपयों का कर्ज है। उत्तर प्रदेश के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक बुधवार (13 अक्टूबर, 2021) को हरिओम मिश्रा के परिजनों से मिले। डिमेंशिया से पीड़ित उनके पिता का स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया गया। हर संभव मदद का आश्वासन दिया गया। इस दौरान जिले में भाजपा के तमाम बड़े संगठन नेता मौजूद रहे। परिवार फरधान क्षेत्र के परसेहरा गाँव में रहता है।

(ये ग्राउंड रिपोर्ट ऑपइंडिया के लिए आदित्य राज भारद्वाज के कवर की है)

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Aditya Raj Bhardwaj
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