हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने प्रदेश में पराली जलाने की समस्या ने निजात दिलाने के लिए स्मार्ट सॉल्यूशन निकाला है। प्रदेश में अब किसानों को पराली के पैसे भी मिलेंगे और पराली से कंप्रेस्ड बायोगैस बनाई जाएगी।
जानकारी के अनुसार, खट्टर सरकार पूरे प्रदेश में 120 कंप्रेस्ड बायोगैस प्लांट लगाएगी। एक प्लांट अपने आसपास के लगभग 10 किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करेगा। किसान खेत में बची पराली को इकट्ठा करके इन प्लांट तक लाएँगे।
सबसे पहले खेतों में बची हुई इस पराली की गाँठे बनाई जाएँगी और फिर प्लांट पर लाकर इससे कम्प्रेस्ड बायोगैस बनेगी। पराली लाने वाले किसानों को इससे अतिरिक्त आय होगी और प्रदेश में प्रदूषण की समस्या भी हल हो जाएगी। पराली से ईंधन के अतिरिक्त डीएपी खाद बनाने की भी योजना है।
प्लांट लगने के पहले ही हरियाणा में खट्टर सरकार की मुस्तैदी के कारण पराली जलाने की घटनाओं में कमी आना शुरू हो गई है। इस वर्ष अभी तक पूरे हरियाणा से मात्र 714 स्थानों पर पराली जलाने की घटनाएँ सामने आई हैं, जबकि 2022 में यह संख्या 893 तथा 2021 में 1508 थी।
हरियाणा सरकार किसानों को पराली ना जलाने के एवज में 1,000 रुपए प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दे रही है। हरियाणा के गुरुग्राम, चरखी-दादरी, महेंद्रगढ़, मेवात और रेवाड़ी जिलों से पराली जलाने की एक भी घटना सामने नहीं आई है। हरियाणा के उलट पंजाब में पराली जलाने की घटनाएँ नहीं रोकी जा सकी हैं।
इस साल पंजाब से अब तक 1,794 जगहों से पराली जलाने की घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। राज्य का कृषि विभाग किसानों को ऐसे उपकरण भी मुहैया करवा रहा है, जिससे पराली को निस्तारित किया जा सके।
प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं की मॉनिटरिंग के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। जहाँ पराली ना जलाने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है, वहीं नियम तोड़ने वाले व्यक्तियों पर कार्रवाई भी हो रही है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा सरकार के प्रयासों के कारण पराली जलाने की समस्या से निजात मिलने के साथ ही अब किसानों को 4-6 हजार रुपए प्रति एकड़ का अतिरिक्त लाभ भी हो रहा है। इस पराली को पशुओं को चारा बनाने वाली और गत्ते आदि बनाने वाली फर्में खरीद रही हैं।
इस मामले में केंद्र की मोदी सरकार और PMO भी मॉनीटरिंग कर रहे हैं। अगले दो से तीन साल में पंजाब और हरियाणा में बायागैस प्लांट लगा दिए जाएँगे। पंजाब में 200 और हरियाणा में 120 प्लांट लगाए जाएँगे। वहीं, बेलर मशीनों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। सरकार को उम्मीद है अगले दो वर्षों में पराली जलाने की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी।