Monday, December 23, 2024
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हाथरस केस: नार्को टेस्ट के बाद अब पीड़ित परिवार ने पॉलीग्राफ टेस्ट से भी किया इनकार

मृतका के बड़े भाई ने आरोप लगाया है कि सीबीआई पूरे मामले को प्रेम प्रसंग के रूप में चित्रित करना चाहती है। वहीं, मृतका की भाभी ने हाथरस के डीएम का टेस्ट कराने की माँग तक की। उन्होंने कहा कि डीएम का टेस्ट क्यों नहीं करवाया जा रहा है?

हाथरस के बुलगढी गाँव में युवती की मौत की जाँच कर रही केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) की टीम ने मृतका के परिवार के सदस्यों से सच्चाई जानने के लिए पॉलीग्राफ टेस्ट कराने को कहा है। मृतका के भाई और माँ से इस संबंध में घटनास्थल पर पूछताछ की गई। बताया जा रहा है कि उन्होंने सच और झूठ का पता लगाने के लिए किए जाने वाले इस पॉलीग्राफ टेस्ट को कराने से इनकार कर दिया। 

सीबीआई द्वारा पीड़िता के भाई से कई बार पूछताछ किए जाने के बाद पता चला है कि मुख्य आरोपित संदीप पीड़िता के भाई द्वारा इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन के माध्यम से लगातार संपर्क में था। सीबीआई ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन उन्होंने कथित तौर पर पॉलीग्राफ टेस्ट कराने से इनकार कर दिया। हालाँकि पीड़िता के भाई की आवाज का सैंपल लिया गया, और अब एजेंसी द्वारा इसकी ऑडियो जाँच की जाएगी।

सीबीआई के सवालों के बारे में मृतका के भाई ने बताया कि सीबीआई ने उनसे सच झूठ का पता लगाने (पॉलीग्राफ टेस्ट) के लिए टेस्ट कराने को कहा। इस पर उसने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए इंकार कर दिया। ऑडियो टेस्ट की बात कहने पर उसने (भाई ने) हाँ कर दी। पीड़िता के भाई का कहना है कि जेल में बंद लोगों से पूछताछ की जाए, उन्हें आराम से जेल में बिठा रखा है। मृतका के भाई ने कहा कि उनसे पूछा जाए कि उसकी बहन को कैसे मारा।

मृतका के बड़े भाई ने आरोप लगाया है कि सीबीआई पूरे मामले को प्रेम प्रसंग के रूप में चित्रित करना चाहती है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया है कि जाँच एजेंसी ने स्वीकार किया कि मामला हल होने के कगार पर है। इस बीच मृतका की भाभी ने हाथरस के डीएम का टेस्ट कराने की माँग तक की। उन्होंने कहा कि डीएम का टेस्ट क्यों नहीं करवाया जा रहा है?

CBI ने रीक्रिएट किया क्राइम सीन

सीबीआई 12 अक्टूबर से हाथरस की घटना की जाँच कर रही है। जाँच एजेंसी ने उच्च न्यायालय से तीखी टिप्पणी के बाद अपनी जाँच तेज कर दी है। डीएसपी सीमा पाहुजा के नेतृत्व में 15 सदस्यों की एक टीम शुक्रवार (नवंबर 6, 2020) दोपहर करीब 12 बजे फोरेंसिक टीम के साथ घटनास्थल पर पहुँची और क्राइम सीन को रीक्रिएट किया

पीड़ित की माँ और भाई को CRPF के संरक्षण में घटनास्थल पर लाया गया। टीम ने पीड़ित के भाई को घटना स्थल से लगभग 100 मीटर की दूरी पर मैदान के पिछले हिस्से पर बैठा दिया, जबकि सीबीआई की दूसरी टीम पीड़ित की माँ के साथ खेत में पहुँची। इसके बाद, पीड़िता की माँ से पूछताछ की गई।

CBI की टीम ने लगभग 20 मिनट तक माँ से पूछताछ की जिसके बाद पीड़िता के भाई को पूछताछ के लिए बुलाया गया। दोनों से अलग-अलग पूछताछ करने के बाद सीबीआई सच्चाई तक पहुँचने की कोशिश कर रही है।

हाथरस के पीड़ित परिवार के कई चेहरे हैं

हाथरस मामले का एक महत्वपूर्ण पहलू लड़की के परिवार की लगातार बदलती स्थिति रही है। शुरुआत में, पीड़ित परिवार ने केवल हमले का आरोप लगाया था, और बलात्कार का आरोप एक हफ्ते बाद जोड़ा गया। इससे मामले को लेकर बहुत भ्रम पैदा हो गया था, क्योंकि अब तक उपलब्ध चिकित्सा और फॉरेंसिक सबूत बलात्कार के आरोप की पुष्टि नहीं करते हैं। इसी तरह, मामले में जाँच पर भी परिवार का रुख भी बदलता दिख रहा है, खासकर पीड़ित के भाई द्वारा दिया गया बयान अविश्वसनीय बना हुआ है।

राज्य सरकार द्वारा यह मामला सीबीआई को सौंप दिए जाने के बाद मृतका के भाई ने कहा कि परिवार ने इसकी माँग नहीं की। रिपोर्ट्स के अनुसार, पीड़िता के भाई ने कहा कि उन्होंने सीबीआई जाँच की माँग नहीं की क्योंकि एसआईटी जाँच पहले से ही चल रही है। अब परिवार सुप्रीम कोर्ट के तहत न्यायिक जाँच की माँग कर रहा है।

परिवार ने नार्को टेस्ट कराने से इनकार किया था

हाथरस में पीड़िता के परिजनों ने अभी पॉलीग्राफ टेस्ट कराने से ही इनकार नहीं किया है। इससे पहले, उन्होंने नार्को टेस्ट लेने से भी इनकार कर दिया था। एसआईटी जाँच की शुरुआती रिपोर्ट में पीड़ित परिवार के नार्को टेस्ट की सिफारिश की गई है। हालाँकि, पीड़िता की माँ ने सिफारिश को खारिज कर दिया है, यह कहते हुए कि उसका परिवार नार्को टेस्ट से नहीं गुजरेगा।

यहाँ तक कि जब समाचार चैनल ‘आज तक’ के रिपोर्टर ने मृतका की दुखी माँ से कहा था कि नार्को टेस्ट से छिपे हुए मामले के तथ्यों का पता चल जाएगा, तो माँ ने जवाब दिया था, “हमें नहीं पता कि नार्को टेस्ट क्या है और इसलिए हम इसे नहीं करवाना चाहते हैं।”

हाथरस कांड

14 सितंबर को, एक 19 वर्षीय लड़की का गला घोंटा गया था, और बाद में उसने 29 सितंबर को अस्पताल में दम तोड़ दिया था। आरोपित के खिलाफ शुरू में हत्या के आरोप लगे थे। हालाँकि, बाद में बलात्कार के आरोप भी शामिल किए गए थे।

उस समय हाथरस मामला पॉलिटिकल ड्रामा और मीडिया प्रोपगेंडा का आधार बन गया था। कॉन्ग्रेस नेताओं राहुल और प्रियंका गाँधी, भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद, टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन, और कई अन्य लोग राज्य में योगी आदित्यनाथ सरकार के खिलाफ हमला करने के लिए परिवार से मिलने हाथरस गए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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