इतिहासकार विक्रम संपत ने विवादित लेखक ऑड्रे ट्रुश्के और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर सहित अन्य के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों और प्लेटफॉर्म पर उनके खिलाफ लगाए गए झूठे आरोपों के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। दरअसल रविवार (13 फरवरी 2022) को ट्विटर पर एक पत्र वायरल हुआ था। इसमें भारतीय क्रांतिकारी वीर सावरकर को लेकर प्रसिद्ध इतिहासकार विक्रम संपत द्वारा दिए गए भाषण को लेकर ‘साहित्यिक चोरी’ (‘Plagiarism’) का आरोप लगाया गया था।
[BREAKING] Indian historian @vikramsampath is approaching the Delhi High Court against historians who wrote to The Royal Historical Society, Twitter Inc, and others for defamatory remarks made against him. Further details awaited. pic.twitter.com/G7xpSQazBa
— LawBeat (@LawBeatInd) February 14, 2022
संपत पर साहित्यिक चोरी का आरोप लगाने का प्रयास करने वाला पत्र अमेरिका में विश्वविद्यालयों के तीन प्रोफेसरों- अनन्या चक्रवर्ती, रोहित चोपड़ा और ऑड्रे ट्रुश्के द्वारा लिखा गया था। पत्र को रॉयल हिस्टोरिकल सोसाइटी, यूके को निर्देशित किया गया था। इसमें संपत के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध किया गया था। बता दें कि इतिहासकार संपत भी इसके सदस्य हैं।
उल्लेखनीय है कि साहित्यिक चोरी का मामला पहले से ही विफल हो गया था, क्योंकि उस दौरान यह पाया गया था कि विक्रम संपत ने पहले से ही उनके द्वारा लिखित सभी शैक्षणिक कार्यों में उचित हवाला और क्रेडिट दिए थे।
Savarkar-loving author & historian Vikram Sampath (@vikramsampath) caught in plagiarism row.
— Raqib Hameed Naik (@raqib_naik) February 12, 2022
He is accused of plagiarizing work of scholars in his 2017 essay for India Foundation Journal and recently published two volume biography on Hindutva ideologue Savarkar. 1/2 https://t.co/OFUdSF3H1E
Last year, he was elected as a fellow of the Royal Historical Society (@RoyalHistSoc).
— Raqib Hameed Naik (@raqib_naik) February 12, 2022
More details about some examples of plagiarism in this letter 👇🏾 pic.twitter.com/z0IxQTdEMk
यह पहली बार नहीं है जब लेखक और इतिहासकार पर सावरकर पर उनके दो-खंडों के काम पर झूठे आरोप लगाकर हमला किया गया था। सावरकर की जीवनी लिखने पर विक्रम संपत को लगातार वामपंथी इतिहासकारों ने निशाना बनाया, उन्हें ट्रोल किया। इसके बावजूद ट्विटर ने उन पर किसी तरह की कार्रवाई करने की आवश्यकता नहीं समझी और संपत के खिलाफ हो रहे ऑनलाइन हमलों पर भी संज्ञान लेने से इनकार कर दिया।
गौरतलब है कि ऑड्रे ट्रुशके और रोहित चोपड़ा पहले से ही ट्विटर पर फेक न्यूज और हिंदूफोबिया फैलाने के लिए जाने जाते हैं। रोहित चोपड़ा को ट्विटर पर अपनी नफरत फैलाने का खामियाजा भी भुगतना पड़ा। दिल्ली स्थित थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा 2020 में अपनी वेबसाइट से उनके निबंधों को हटाने का फैसला किया था।
ऑड्रे ट्रुश्के का विवाद औरंगजेब और मुगल तानाशाह के महिमामंडन से शुरू होता है। उनका हिंदूफोबिक समूहों के साथ रिश्ता जगजाहिर है। वह 2021 में आयोजित ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ (‘Dismantling Global Hindutva‘) सम्मेलन की प्राथमिक प्रतिभागियों में से एक थीं। अपने संदिग्ध ‘अकादमिक’ कार्यों के अलावा, उन्हें रटगर्स विश्वविद्यालय के हिंदू छात्रों को टारगेट करते हुए भी पाया गया था। उन्होंने परिसर में अपनी हिन्दुओं के प्रति नफरत की भावना को भी प्रदर्शित किया था।