Sunday, September 1, 2024
Homeदेश-समाजऑड्रे ट्रुश्के, रोहित चोपड़ा और ट्विटर सहित अन्य के खिलाफ मानहानि का मामला: दिल्ली...

ऑड्रे ट्रुश्के, रोहित चोपड़ा और ट्विटर सहित अन्य के खिलाफ मानहानि का मामला: दिल्ली हाई कोर्ट पहुँचे इतिहासकार विक्रम संपत

इसमें भारतीय क्रांतिकारी वीर सावरकर को लेकर प्रसिद्ध इतिहासकार विक्रम संपत द्वारा दिए गए भाषण को लेकर 'साहित्यिक चोरी' (‘Plagiarism’) का आरोप लगाया गया था।

इतिहासकार विक्रम संपत ने विवादित लेखक ऑड्रे ट्रुश्के और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर सहित अन्य के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियों और प्लेटफॉर्म पर उनके खिलाफ लगाए गए झूठे आरोपों के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है। दरअसल रविवार (13 फरवरी 2022) को ट्विटर पर एक पत्र वायरल हुआ था। इसमें भारतीय क्रांतिकारी वीर सावरकर को लेकर प्रसिद्ध इतिहासकार विक्रम संपत द्वारा दिए गए भाषण को लेकर ‘साहित्यिक चोरी’ (‘Plagiarism’) का आरोप लगाया गया था।

संपत पर साहित्यिक चोरी का आरोप लगाने का प्रयास करने वाला पत्र अमेरिका में विश्वविद्यालयों के तीन प्रोफेसरों- अनन्या चक्रवर्ती, रोहित चोपड़ा और ऑड्रे ट्रुश्के द्वारा लिखा गया था। पत्र को रॉयल हिस्टोरिकल सोसाइटी, यूके को निर्देशित किया गया था। इसमें संपत के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का अनुरोध किया गया था। बता दें कि इतिहासकार संपत भी इसके सदस्य हैं।

उल्लेखनीय है कि साहित्यिक चोरी का मामला पहले से ही विफल हो गया था, क्योंकि उस दौरान यह पाया गया था कि विक्रम संपत ने पहले से ही उनके द्वारा लिखित सभी शैक्षणिक कार्यों में उचित हवाला और क्रेडिट दिए थे।

यह पहली बार नहीं है जब लेखक और इतिहासकार पर सावरकर पर उनके दो-खंडों के काम पर झूठे आरोप लगाकर हमला किया गया था। सावरकर की जीवनी लिखने पर विक्रम संपत को लगातार वामपंथी इतिहासकारों ने निशाना बनाया, उन्हें ट्रोल किया। इसके बावजूद ट्विटर ने उन पर किसी तरह की कार्रवाई करने की आवश्यकता नहीं समझी और संपत के खिलाफ हो रहे ऑनलाइन हमलों पर भी संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। 

गौरतलब है कि ऑड्रे ट्रुशके और रोहित चोपड़ा पहले से ही ट्विटर पर फेक न्यूज और हिंदूफोबिया फैलाने के लिए जाने जाते हैं। रोहित चोपड़ा को ट्विटर पर अपनी नफरत फैलाने का खामियाजा भी भुगतना पड़ा। दिल्ली स्थित थिंक टैंक ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा 2020 में अपनी वेबसाइट से उनके निबंधों को हटाने का फैसला किया था।

ऑड्रे ट्रुश्के का विवाद औरंगजेब और मुगल तानाशाह के महिमामंडन से शुरू होता है। उनका हिंदूफोबिक समूहों के साथ रिश्ता जगजाहिर है। वह 2021 में आयोजित ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ (‘Dismantling Global Hindutva‘) सम्मेलन की प्राथमिक प्रतिभागियों में से एक थीं। अपने संदिग्ध ‘अकादमिक’ कार्यों के अलावा, उन्हें रटगर्स विश्वविद्यालय के हिंदू छात्रों को टारगेट करते हुए भी पाया गया था। उन्होंने परिसर में अपनी हिन्दुओं के प्रति नफरत की भावना को भी प्रदर्शित किया था।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जनता की समस्याएँ सुन रहे थे गिरिराज सिंह, AAP पार्षद शहज़ादुम्मा सैफी ने कर दिया हमला: दाढ़ी-टोपी का नाम ले बोले केंद्रीय मंत्री –...

शहजादुम्मा मूल रूप से बेगूसराय के लखमिनिया का रहने वाला है। वह आम आदमी पार्टी का कार्यकर्ता है जो वर्तमान में लखमिनिया से वार्ड पार्षद भी है।

चुनाव आयोग ने मानी बिश्नोई समाज की माँग, आगे बढ़ाई मतदान और काउंटिंग की तारीखें: जानिए क्यों राजस्थान में हर वर्ष जमा होते हैं...

बिश्नोई समाज के लोग हर वर्ष गुरु जम्भेश्वर को याद करते हुए आसोज अमावस्या मनाते है। राजस्थान के बीकानेर में वार्षिक उत्सव में भाग लेते हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -