पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता स्थित RG Kar मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक जूनियर महिला डॉक्टर की बलात्कार के बाद क्रूर तरीके से हत्या के बाद पूरा देश उद्वेलित है। पश्चिम बंगाल में तो सभी डॉक्टर और मेडिकलकर्मी हड़ताल पर हैं। इसी बीच अरूप चक्रवर्ती और उदयन गुहा जैसे TMC नेता प्रदर्शनकारियों को ही धमका रहे हैं, आवाज़ उठाने वालों को पश्चिम बंगाल पुलिस गिरफ्तार कर रही है। इस बीच उस अस्पताल को लेकर कई ऐसी बातें पता चली हैं जो दिल दहलाने वाली हैं।
घटना के समय कॉलेज का प्रधानाध्यापक रहे संदीप घोष भी घेरे में हैं, क्योंकि इससे पहले दो-दो बार उनका ट्रांसफर हुआ था और उन्होंने इसे रुकवा दिया। कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी कोलकाता पुलिस की जाँच प्रक्रिया पर सवाल उठाया। ‘राष्ट्रीय महिला आयोग’ (NCW) ने पाया कि अस्पताल में कई खामियाँ थीं, जैसे – रात को ठीक से प्रकाश की व्यवस्था न होना, गार्ड्स की व्यवस्था न होना, गंदे शौचालय। सुप्रीम कोर्ट ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया है। आंतरिक सूत्रों से कई तरह की बातें पता चल रही हैं।
गरीबों के मददगार थे डॉ राधागोविंद कर
राधागोविंद कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल का इतिहास गौरवशाली भी है, साथ ही कलंकित भी है। इसका निर्माण एक ऐसे डॉक्टर के नाम पर हुआ है, जो गरीबों का इलाज करने के लिए कड़ी धूप में भी साइकिल पर कोलकाता में घूमा करते थे। उनके मरीज ऐसे होते थे जो फीस देना तो दूर की बात, दवा खरीदने में भी असमर्थ थे। डॉ राधागोविंद कर विदेश से पढ़ाई कर के लौटे थे। उन्होंने विदेश से डिग्री लेने के बावजूद गाँवों में लोगों का इलाज करना चुना।
वो न सिर्फ गरीबों का फ्री में इलाज करते थे, बल्कि दवा के लिए उन्हें रुपए भी दे देते थे। मार्च 1899 में जब कोलकाता में प्लेग फैला तो डॉ राधागोविंद कर और सिस्टर निवेदिता ने ही इस महामारी में लोगों की सेवा की थी। ब्रिटिश शासित बंगाल में उन्हें चिकित्सा विज्ञान के पुनर्जागरण का श्रेय दिया जाता है। हावड़ा के बेतर में 23 अगस्त, 1852 को जन्मे डॉक्टर RG कर के पिता दुर्गादास ने ढाका में मिडफोर्ड हॉस्पिटल की स्थापना की थी। डॉ RG कर ने हेयर स्कूल से प्रवेश परीक्षा पास कर के सन् 1880 में कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया था।
इससे पहले भी हो चुकी हैं रहस्यमयी मौतें
अब बात करते हैं इस अस्पताल के कलंकित इतिहास की। यहाँ पहले भी रहस्यमयी मौतें हो चुकी हैं। कभी मेडिकल प्रोफेशनल तो कभी प्रोफेसर तो कभी हाउस स्टाफ तक मरे हैं। पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित इस अस्पताल अस्पताल में देह-व्यापार का धंधा चलने से लेकर यहाँ ड्रग्स तस्करों तक के सक्रिय रहने की बातें होती रही हैं। 25 अगस्त, 2001 को ऐसी एक घटना हुई थी जब चौथे वर्ष के छात्र सौमित्र विश्वास को छात्रावास के कमरे में ही फंदे से मृत लटका हुआ पाया गया था।
उनकी मौत को भी प्रशासन ने आत्महत्या बताया था, लेकिन तब भी हॉस्टल में अश्लील फिल्मों के निर्माण की बात उड़ी थी। अरोमिता दास और अमित बाला नामक उसके 2 सहपाठियों की गिरफ़्तारी के बावजूद ये मामला अनसुलझा रहा, जबकि कलकत्ता हाईकोर्ट ने CID जाँच का आदेश दिया था। इसी तरह 5 फरवरी, 2003 को अरिजीत दत्ता नामक हाउस स्टाफ ने आत्महत्या की थी। बताया गया कि उसने पहले खुद को हाथ में एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया, फिर कलाई की नस काट ली और फिर छत से कूद गया।
वो बीरभूम के सिउरी के रहने वाले थे। न कोई सुसाइड नोट मिला, न आत्महत्या का कारण पता चला। इस घटना के कुछ ही दिन बाद 16 फरवरी को प्रवीण गुप्ता ने आत्महत्या का प्रयास किया। हरियाणा के प्रवीण मानिकतल्ला स्थित लालमोहन हॉस्टल में रहते थे, उन्होंने अपनी दोनों कलाई की नस काटने का प्रयास किया था। प्रवीण के पिता ने बेटे के किसी बात से परेशान होने की बात कही थी, वहीं पुलिस ने प्रेम-प्रसंग बता कर कहा कि उसने अपनी प्रेमिका को सुसाइड नोट भेजा था। हालाँकि, उसके साथियों ने उसे कभी अवसादग्रस्त नहीं पाया।
इसी तरह 24 अक्टूबर, 2016 को 52 वर्षीय मेडिसिन के प्रोफेसर गौतम पाल का सड़ा-गला शव दक्षिणी दमदम स्थित उनके किराए के घर से बरामद हुआ था। दरवाजा अंदर से बंद था तो हार्ट अटैक से अचानक मौत की बात कह पुलिस ने पल्ला झाड़ लिया। कोरोना महामारी के दौरान स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष की छात्रा पौलमी साहा की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई थी। पुलिस ने अस्पताल की छठी मंजिल से कूद कर आत्महत्या की बात कही, सहपाठियों ने उसके अवसाद में होने की बात कही थी। आज तक ये भी रहस्य है।
सौमित्र की माँ ने बताया था कि उनके बेटे को अस्पताल में अवैध गतिविधियों की भनक लगी थी। एक कमरे में ट्राइपॉड और रिफ्लेक्टर भी मिले थे। कॉलेज में शवों के यौन शोषण तक की खबरें आई थीं। 25 वर्षीय पौलमी भी अभी की पीड़िता की तरह ट्रेनी थी। यूपी के ‘यूनाइटेड रेजिडेंट एंड डॉक्टर्स असोसिएशन’ के अध्यक्ष डॉ नीरज मिश्रा ने कहा कि अस्पताल में सेक्स वर्क की बात पता सबको है, लेकिन कोई मुँह नहीं खोलना चाहता।
ऑडियो में दावा – बंगाल के हर मेडिकल कॉलेज में चल रहा घपला
सौमित्र विश्वास की फॉरेंसिक जाँच की रिपोर्ट अब तक नहीं आई है, ऊपर से नायलन के जिस छोटे धागे से लटके मिले थे वो भी पतला-छोटा था और कहा गया था कि उन्होंने इसे खुद नहीं लगाया होगा। फिर भी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कुछ नहीं निकला। उनके गले में रुमाल ठूँसे होने की बात भी पता चली थी। वहीं लेखिका मधु पूर्णिमा किश्वर ने उक्त कॉलेज की एक डॉक्टर शोमा मुखर्जी के बंगाली ऑडियो का अंग्रेजी अनुवाद शेयर किया है, जिसमें कई खुलासे हुए हैं।
Spine Chilling Revelations about RG KAR MEDICAL COLLEGE shared in an audio recording by a resident doctor of the same college.
— Madhu Purnima Kishwar (@madhukishwar) August 18, 2024
I am reproducing below the English translation of an audio recording in Bengali by Shoma Mukherjee, a woman doctor of RG KAR Medical College, talking to…
इसमें बताया गया है कि पश्चिम बंगाल के हर कॉलेज में प्रोफेसर छात्रों को पास कराने के लिए पैसे लेते हैं। डॉ संदीप घोष पर सेक्स और ड्रग्स रैकेट चलाने का आरोप है। करोड़ों रुपए फार्मा कंपनियों से वसूले जाते थे और पार्टी फंड में पैसे जाते थे। प्रिंसिपल को TMC का करीबी बताया जा रहा है, वहीं मृत छात्रा का थीसिस जानबूझकर अप्रूव नहीं किया जा रहा था। जानबूझकर 36 घंटे की ड्यूटी पर लगाया गया था। इस घटना में एक लेडी डॉक्टर का हाथ भी सामने आ रहा है। शराबी संजय रॉय को डेड बॉडी का रेप करने के लिए भेजा गया था, ताकि मामले पर पर्दा पड़ जाए।