बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि लड़की का हाथ पकड़कर प्यार का इजहार करना यौन उत्पीड़न नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोपित रिक्शा चालक को अग्रिम जमानत दे दी। रिक्शा चालक पर नाबालिग लड़की ने हाथ पकड़कर छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में जस्टिस भारती डांगरे ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि पीड़िता के बयान से साफ है कि आरोपित का इरादा लड़की का यौन उत्पीड़न करने का नहीं था। इसलिए उसे अग्रिम जमानत दी जाती है।
10 फरवरी 2023 को हुई सुनवाई में फैसला सुनाते हुए कहा है कोर्ट ने कहा है, “पीड़ित लड़की द्वारा लगाए गए आरोपों में यह सामने आया है कि प्रथम दृष्टया किसी भी तरह से यौन उत्पीड़न का मामला नहीं है। आरोपित ने यौन शोषण के इरादे से लड़की का हाथ नहीं पकड़ा था। यदि यह मान भी लिया जाए कि आरोपित ने अपने प्यार का इजहार किया है, तब भी पीड़ित लड़की के बयान से कोई यौन शोषण करने के इरादे का पता नहीं चलता है। इसलिए आरोपित जमानत का हकदार है। किसी भी कारण से उसकी हिरासत की जरूरत नहीं है।”
यौन शोषण के आरोपित को जमानत देने के साथ ही कोर्ट ने उसे चेतावनी भी दी है। कोर्ट ने कहा है, “आरोपित को चेतावनी दी जाती है कि वह इस तरह की हरकत दोबारा नहीं करेगा। यदि वह ऐसा करता पाया जाता है तो गिरफ्तारी से बचने के लिए उसे दी गई जमानत रद्द कर दी जाएगी।”
क्या है मामला
दरअसल, यह पूरा मामला 1 नवंबर, 2022 का है। पीड़िता के पिता ने अपनी 17 साल की लड़की के यौन शोषण करने के आरोप में रिक्शा चालक के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। पीड़िता के पिता का कहना था कि आरोपित उनके घर के पास ही रहता था। वह उनके परिवार को जानता था। उनकी बेटी उसके रिक्शा में बैठकर ही स्कूल और ट्यूशन जाती थी। हालाँकि, बाद में उसने रिक्शा से स्कूल जाना बंद कर दिया।
घटना के दिन यानी कि 1 नवंबर, 2022 को आरोपित ने पीड़िता को रोककर अपने रिक्शा में बैठने के लिए कहा। हालाँकि, पीड़िता ने इनकार कर दिया। इसके बाद आरोपित ने पीड़िता का हाथ पकड़ लिया और अपने प्यार का इजहार कर दिया। यही नहीं, आरोपित ने जोर देकर पीड़िता को रिक्शा में बैठने के लिए कहा, ताकि वह उसे घर छोड़ आए। हालाँकि, लड़की मौके से भाग गई और घर जाकर पूरी घटना बताई। इसके बाद पीड़िता के पिता ने एफआईआर दर्ज कराई थी।
बता दें कि ऐसे ही एक मामले में मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि एक बार ‘आई लव यू’ कहना लड़की का अपमान नहीं बल्कि प्यार का इजहार है। कोर्ट ने इस मामले में पॉक्सो एक्ट के आरोपित को बरी करने का फैसला सुनाया था।