देश में जारी लॉकडाउन और सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी भारत में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार और तेजी से बढ़ती चली जा रही है। इस बीच चौंकाने वाली बात यह कि अचानक से इसकी संख्या में आई तेजी के पीछे हाल ही में दिल्ली के निजामुद्दीन में हुए एक मजहबी सम्मेलन को वजह माना जा रहा है, जो कि सही भी है, क्योंकि दिल्ली में आधे से अधिक कोरोना मरीजों की संख्या मरकज में शामिल होने वालों की है। इतना ही नहीं एक से बाद एक हो रहे नए खुलासों ने देश के कई राज्यों को संकट में डाल दिया है, क्योंकि यहाँ से निकले जमाती देश के अलग-अलग हिस्सों में इस्लाम का प्रचार करने के लिए निकले थे।
अब ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि जब कोरोना से विश्व के कई देश जूझ रहे थे तो भारत में आए विदेशी मुस्लिमों की जाँच के लिए आयोजकों ने सरकार को अवगत क्यों नहीं कराया? इतना ही नहीं मजहबी समम्लेन के बाद ये लोग पूरे देश के अलग-अलग हिस्सों में इस्लाम के प्रचार के लिए निकले और फिर वहाँ की मस्जिदों में भी रुके और वहाँ के लोगों से भी मिले। इस बीच देश में लॉकडाउन भी घोषित हो गया। चौंकाने वाली बात यह कि इस संबंध में किसी भी लोकल मुस्लिम या फिर मस्जिद के मुल्ला मौलवी ने क्षेत्रीय प्रशासन तक को अवगत नहीं कराया।
‘सबसे बड़ा सवाल यह है कि, विदेश से कोरोना लेकर आने वाले जमाती भारत के निजामुद्दीन ही क्यों आए सऊदी अरब क्यों नहीं गए वो तो अल्लाह का घर हैं क्योंकि कट्टरपंथी जमातियों का टारगेट हिंदुस्तान ही हैं’ : वसीम रिज़वी, यूपी शिया सेंट्रल बोर्ड चेयरमैन”pic.twitter.com/aLNwlj0Jhh
— Rajib bagchi (@Rajibbagchi6) March 31, 2020
ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि देश के मुस्लिमों द्वारा मस्जिदों में छुपाए गए ये विदेशी आखिर कौन हैं और कहाँ से आए हैं और इनका उद्देश्य धर्म का प्रचार करना ही या फिर कि कुछ और? एक साथ इतने सवाल उठना जरूरी भी इसलिए हो जाता है कि जब लॉकडाउन के बाद पूरे देश के प्रसिद्ध मंदिर और चर्च के दरवाजे बंद हो गए। यहाँ तक कि नवदुर्गा के दौरान देश के सभी मंदिरों के कपाट बंद हो गए। ऐसे समय में भी मस्जिदों में नमाज के लिए भीड़ एकत्र होती रही और मस्जिदों से इस्लाम का प्रचार जारी रहा। आज इस गुनाह का परिणाम पूरे देश को भुगतना पड़ रहा है।
वहीं एबीपी की रिपोर्ट के मुताबिक मरकज में पूरे देश से 1830 जमाती शामिल हुए थे, जिनमें से अब तक 10 जमातियों की मौत हो चुकी है। मरकज में शामिल होने वाले 55 मुस्लिम हैदराबाद, 45 कर्नाटक, 15 केरल, 109 महाराष्ट्र, 5 मेघालय, 107 मध्यप्रदेश, 15 ओडिशा, 9 पंजाब, 19 राजस्थान, 46 राँची, 501 तमिलनाडु, 34 उत्तराखंड, 156 उत्तर प्रदेश, 73 पश्चिम बंगाल, 456 असम से मुस्लिम लोग शामिल हुए थे। इसके साथ ही कार्यक्रम मे 281 विदेशी शामिल हुए थे, जिनमें से 1 जिबूती, 1 किर्गिस्तान, 72 इंडोनेशिया, 71 थाईलैंड और 34 श्रीलंका, 19 बांग्लादेश, 3 इग्लैंड, 1 सिंगापुर, 4 फिजी, 1 फ्रांस, 2 कुवैत के विदेशी मुस्लिम शामिल थे।
लखनऊ: कैसरबाग की मरकजी मस्जिद में मिले किर्गिस्तान और कजाकिस्तान के नागरिकhttps://t.co/nR71fe3bNb
— News18 Uttar Pradesh (@News18UP) March 31, 2020
उधर निजामुद्दीन तब्दीली जमात मरकज से अब तक 1200 लोगों को निकाला जा चुका है, जिनमें से 200 विदेशी लोग शामिल हैं। वहीं सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए विदेशों से पर्यटन के नाम पर इस्लाम का प्रचार करने वाले 255 विदेशियों के वीजा को रद्द कर दिया है। ये लोग अब कभी भारत की यात्रा नहीं कर सकेंगे। साथ ही दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने इसे गंभीर अपराध करार देते हुए कहा कि आयोजकों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी इसके लिए केन्द्र सरकार को भी पत्र लिखकर माँग की गई है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने द हिंदू को बताया कि दक्षिण दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तबलीगी जमात के मुख्यालय अलमी मरकज बंग्लेवाली मस्जिद में इस महीने की शुरुआत में देश भर से लगभग 8,000 लोग शामिल हुए थे, जिसमें 16 देशों के इस्लामी प्रचारकों ने हिस्सा लिया था। इनमें से 800 इंडोनेशियाई प्रचारकों को भारत ब्लैकलिस्ट करने जा रहा है, ताकि भविष्य में वे देश में प्रवेश न कर सकें।
गौरतलब है कि इससे पहले भी कई स्थानों से पुलिस ने मस्जिदों से विदेशी मुस्लिमों को इस्लाम का प्रचार करते हुए गिरफ्तार किया है, जिनमे बिहार की राजधानी पटना से भी 12 विदेशी, जो कि तजाकिस्तान से भारत में इस्लाम धर्म प्रचार करने आए थे। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के नेवासा नगर की एक मस्जिद से 10 विदेशी मुस्लिमों को पुलिस ने हिरासत में लिया था। झारखंड की राजधानी राँची के स्थित मस्जिद से भी 11 विदेशी मौलवियों को पुलिस प्रशासन ने हिरासत में लिया था।