हैदराबाद में पशु चिकित्सक डॉ. ‘प्रीति’ (बदला हुआ नाम) रेड्डी के गैंगरेप और हत्या के आरोपितों में चेन्नाकेशवुलु की विधवा ने अपने पति के अंतिम संस्कार से इंकार कर दिया है। कथित तौर पर पुलिस पर हमला करने और हिरासत से फ़रार होने की कोशिश में मारे गए अपने पति को दफ़नाने से मना करते हुए पत्नी ने माँग की है कि जैसे पहले उनके पति, जोल्लू नवीन, जोल्लू शिवा, और मो. आरिफ़ को पुलिस ने गोली मारी, वैसे ही जेलों में बंद सभी आरोपितों को गोली मारी जाए। “जेलों में ऐसे कितने ही बंद हैं जिन्होंने गलतियाँ की हैं। उन्हें भी उसी तरह गोली मारी जानी चाहिए जैसे इन्हें (डॉ. ‘प्रीति’ रेड्डी के गैंगरेप और हत्या के आरोपितों) को मारी गई। हम तब तक अंतिम संस्कार नहीं करेंगे। हम वह तभी करेंगे जब पहले ऐसा कर दिया जाए।”
गर्भवती पत्नी कुछ अन्य के साथ नारायणपेट जिले स्थित अपने गाँव में इस माँग को लेकर धरने पर बैठी हुईं हैं। उनका आरोप है कि उनके पति के साथ अन्याय हुआ है। इसके पहले कल (शुक्रवार, 6 दिसंबर, 2019 को) इस हत्याकाण्ड की खबर आने पर उन्होंने कहा था कि उन्हें भी पुलिस “वहीं ले जाए जहाँ (उनके पति को) ले गई, और (उन्हें) भी गोली मार” दे।
इस बीच न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में चारों आरोपितों के गाँव के लोगों से बातचीत का हवाला देते हुए दावा किया है कि यह चारों वैसे तो बहुत ही गरीब और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए थे, बहुत पढ़े-लिखे भी नहीं थे, और इनकी ज्ञात आमदनी भी कम थी, लेकिन इनकी जीवनशैली इस आमदनी से बहुत ज़्यादा खर्चीली थी। इससे इनका एनकाउंटर करने वाली पुलिस टीम के इस दावे को बल मिलता है कि चारों किसी संगठित आपराधिक गिरोह का हिस्सा हो सकते हैं।
गौरतलब है कि कल सुबह-सुबह साइबराबाद पुलिस ने दावा किया था कि हैदराबाद में पशु चिकित्सक डॉ. ‘प्रीति’ (बदला हुआ नाम) रेड्डी के गैंगरेप और हत्या के चारों आरोपित पुलिस के साथ एनकाउंटर में मारे गए। अपनी ही हिरासत में पहले से मौजूद अभियुक्तों के एनकाउंटर के बारे में साइबराबाद के पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जनर ने कहा कि मूल वारदात के घटनाक्रम को सूक्ष्मता से समझने के लिए पुलिस चारों आरोपितों को तड़के सुबह घटनास्थल पर लेकर गई थी। वहॉं उन्होंने पहले पुलिस पर लाठियों से हमला कर दिया और इसके बाद पुलिस के हथियार छीन उन पर फायरिंग की। पुलिस को आत्मरक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई में उनको गोली मारनी पड़ी।
इसके पहले इन चारों के ख़िलाफ़ त्वरित और सख्त कार्रवाई करने के लिए जनाक्रोश उबल पड़ा था। न केवल कई स्थानीय अदालतों की बार काउंसिलों और एसोसिएशनों ने इनकी पैरवी न करने की हिदायत और अपील अपने सदस्यों से की थी, बल्कि इस भयावह हत्याकाण्ड से बिफ़री जनता इन्हें खुद मौत के घाट उतारने के लिए पुलिस थाने के बाहर इकठ्ठा हो गई थी, जिसके बाद पुलिस ने आक्रोशित भीड़ को भगाने के लिए लाठीचार्ज भी किया था।