चुनाव की घोषणा होते ही पश्चिम बंगाल हिंसा (West Bengal Violence) की आग में जलने लगता है। राज्य में पंचायत चुनाव की घोषणा होते ही हिंसा भड़क गई है। शुक्रवार (7 जुलाई 2023) को एक कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई। वहीं, भाजपा कार्यकर्ताओं पर क्रूड बम फेंका गया और फायरिंग की गई। इस बीच शनिवार (8 जुलाई 2023) को होने वाले मतदान से पहले बंगाल में देसी बम बनाने की फैक्ट्रियों को लेकर खुलासा हुआ है। इनमें 500 रुपए से 1000 रुपए में देसी बम राजनीतिक दलों को बेचा जा रहा है।
इसको लेकर आजतक ने एक स्टिंग ऑपरेशन किया है। आजतक के स्टिंग ऑपरेशन में देसी बमों की सप्लाई करने वाले लोगों ने बम बेचने की बात को कबूल किया है। उन्होंने बताया कि पंचायत चुनावों के दौरान इन बमों की माँग में बढ़ोतरी हो गई। इसमें बम फैक्ट्री से जुड़े कई सफेदपोशों का भी नाम लिया गया है।
इस खुलासे में सामने आया है कि एक-एक फैक्ट्री से दो-दो हजार से ज्यादा बमों की डिलीवरी हुई है। इन अवैध फैक्ट्रियों में 24 घंटे के अंदर लगभग 100 बम तैयार हो जाते हैं। आजतक की अंडरकवर टीम ने बाँकुरा जिले के ऐसे सी एक बम सप्लायर से बात की। उस सप्लायर ने कहा कि वह कच्चा बम और नारियल बम बनाता है और कई राजनीतिक दलों को सप्लाई करता है।
वहीं, पूर्वी वर्धमान जिले के एक सप्लायर ने बताया कि उसके बाद देसी बम से लेकर ग्रेनेड तक हैं और चुनावों के दौरान उसने 2000 बम राजनीतिक दलों को सप्लाई किए हैं। इस व्यापार को इस तरह तैयार किया गया है कि पुलिस या किसी अन्य एजेंसी से इसे गुप्त रखा जा सके।
मतदान से एक दिन पहले यानी शुक्रवार (7 जुलाई 2023) को मुर्शिदाबाद में कॉन्ग्रेस के एक कार्यकर्ता की हत्या कर दी गई। वहीं, कूचबिहार के दिनहाटा में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर क्रूड बम से हमला कर दिया गया। इतना ही नहीं, इन पर फायरिंग भी की गई। इस हमले में चार कार्यकर्ता घायल हो गए हैं।
बताते चलें कि राज्य में पंचायत चुनावों की घोषणा के साथ ही राज्य में हिंसा का दौर शुरू हो गया। इस हिंसा में अब तक लगभग 15 लोगों की मौत हो चुकी है। इससे पहले साल 2021 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान भी जमकर हिंसा हुई थी। इस दौरान 25 लोगों की मौत हुई थी।
पंचायत चुनावों की घोषणा के साथ ही शुरू हुई हिंसा को पर बंगाल के राजभवन ने एक बयान जारी कर कहा था कि चुनावों का फैसला वोटों की गिनती से होनी चाहिए, न कि लाशों की गिनती से। बयान में कहा गया, “बंगाल में चुनाव से पहले मृतकों की बढ़ती संख्या हैरान करने वाली है। विडंबना यह है कि मीडिया भी गुंडों के निशाने पर है। चुनाव में जीत वोटों की गिनती पर निर्भर होनी चाहिए, न कि लाशों की गिनती पर।”
राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि मीडिया पर हमले का मतलब है कि संविधान, लोकतंत्र, आम आदमी व नई पीढ़ी पर हमला हो रहा है। लोकतंत्र में जनता ही मालिक है। बिना किसी डर के अपने मताधिकार का प्रयोग करना उनका अधिकार है। लोकतांत्रिक चुनावों में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। हर हाल में इस हिंसा को खत्म कर पंचायत चुनाव कराया जाएगा।