वामपंथियों का ‘केरल मॉडल’ अब फ्लॉप हो गया है। वहीं भाजपा विरोधी गिरोह ने जिस तरह से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की ‘कोविड मैनेजमेंट’ के लिए जम कर प्रशंसा की थी, वो भी फुस्स हो चुका है। आज भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के जितने सक्रिय मामले हैं, उनमें से दो तिहाई से भी अधिक अकेले इन दोनों राज्यों में ही हैं। जहाँ केरल में CPM की सरकार है, महाराष्ट्र में शिवसेना, NCP और कॉन्ग्रेस सत्ता में हैं।
ये सभी पार्टियाँ भाजपा विरोधी खेमे की हैं। यही कारण है कि विपक्षी दल अब भारत सरकार पर कोरोना को लेकर सवाल नहीं उठा रहे। मीडिया में मोदी सरकार को सलाह देने वाले पोस्ट्स बंद हो चुके हैं। केरल और महाराष्ट्र से सीखने की नसीहत नहीं दी जा रही है। लिबरल गिरोह को डर है कि ऐसा करने पर उसके ही गढ़ की पोल खुल जाएगी। कुल सक्रिय मामलों में कर्नाटक तीसरे स्थान पर है, लेकिन वहाँ का आँकड़ा दूसरे नंबर पर काबिज महाराष्ट्र से 7 गुना कम है।
आइए, देखते हैं कि आँकड़े क्या कहते हैं। भारत में अब कोरोना वायरस संक्रमण के मात्र 1,66,176 मामले ही बचे हुए हैं, जिनमें से 71,474 (43.01%) केरल में और 44,199 (26.54%) महाराष्ट्र में मौजूद हैं। अब आप इन दोनों की तुलना कर्नाटक के आँकड़ों से कीजिए, जिसके बारे में हमने ऊपर बताया है। बहुत बड़ा अंतर है। सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात तो ये है कि देश की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में मात्र 5682 सक्रिय मामले ही हैं।
इस तरह से केरल और महाराष्ट्र में भारत के कुल सक्रिय कोरोना मामलों का अकेले 69.6% मौजूद है, जो दो तिहाई (66.66%) से भी अधिक हो जाता है। अर्थात, बाकी के सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में कोरोना संक्रमण के बाकी 30.4% मामले हैं। इसीलिए सभी चुप हैं। उन्हें डर है कि कहीं लोगों को ये पता न चल जाए कि भाजपा शासित राज्यों ने कोरोना का अच्छा मैनेजमेंट किया है।
एक दलील बार-बार ये दी जाती है कि इन राज्यों में टेस्टिंग ज्यादा होती है, इसीलिए वहाँ मामले ज्यादा निकलते हैं। कहा जाता है कि इन राज्यों ने टेस्टिंग पर जोर दिया और बेहतर प्रबंधन की ट्रैकिंग की, इसीलिए वहाँ ज्यादा मामले दिखते हैं। जबकि, आँकड़े कहते हैं कि महाराष्ट्र से पौने 2 गुना कम जनसंख्या वाले राज्य कर्नाटक ने उससे 20 लाख ज्यादा टेस्टिंग की है। जहाँ महाराष्ट्र में ये आँकड़ा 1.5 करोड़ है, तो कर्नाटक में 1.7 करोड़।
आइए, टेस्टिंग की भी बात कर लेते हैं। उत्तर प्रदेश में जहाँ 2.8 करोड़ लोगों का कोरोना के लिए टेस्ट किया गया है, बिहार दूसरे नंबर पर काबिज है और यहाँ ये आँकड़ा 2.1 करोड़ है। कर्नाटक तीसरे नंबर पर है। तमिलनाडु में 1.6 करोड़ लोगों की टेस्टिंग हुई है। महाराष्ट्र का स्थान पाँचवाँ है। इस हिसाब से ये लॉजिक भी फेल हो जाता है कि टेस्टिंग ज्यादा हुई है। पूरे भारत में अब तक 19.6 करोड़ लोगों की टेस्टिंग हो चुकी है, जिनमें 18.87% तो अकेले यूपी-बिहार में हैं। देखिए:
ऊपर के दोनों स्क्रीनशॉट्स में आपको मृतकों का आँकड़ा भी दिख जाएगा, जो चौंकाने वाला है। कोरोना से सबसे ज्यादा 51,042 लोग महाराष्ट्र में ही मरे हैं। हाँ, 12,350 मामलों के साथ तमिलनाडु ज़रूर दूसरे स्थान पर है, लेकिन यहाँ के आँकड़े महाराष्ट्र से 4 गुना से भी कम हैं। पूरे देश में अब तक कोरोना ने 1,54,312 लोगों की जान ली है, जिनमें से 30.23% अकेले उद्धव ठाकरे के शासन वाले महाराष्ट्र में हैं।
‘कोरोना का केरल मॉडल’ पर प्रोपेगेंडा समाचार चैनल के प्रोपेगेंडा पत्रकार रवीश कुमार ने भी उतावलापन दिखाया और जमकर झूठ फैलाया था। रविश कुमार अपने उतावलेपन पर रोक नहीं लगा पाए और मई 13, 2020 को ही ‘केरल मॉडल’ पर जमकर ज्ञान दिया और कहा कि देश को इससे सीखना चाहिए। दिलचस्प बात ये रही कि मई 14, 2020 को ही ध्रुव राठी नाम के एक ‘सनसनीखेज दावाकार’ ने भी अपने यूट्यूब चैनल पर यही दावे करते हुए जमकर केरल की तारीफ़ कर डाली थी।