Sunday, November 17, 2024
Homeदेश-समाजभारत, भारतवर्ष, भारतभूमि… संविधान सभा में आए कई नाम, अंत में 'India, that is...

भारत, भारतवर्ष, भारतभूमि… संविधान सभा में आए कई नाम, अंत में ‘India, that is Bharat’ पर लगी मुहर: नजीरुद्दीन अहमद चाहते थे ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ इंडिया’

दरअसल, पुरुवंशी महाराज दुष्यंत और विश्वामित्र की पुत्री शकुंतला के बेटे चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर यह देश भारत या भारतवर्ष कहलाते आया है। इसका जिक्र सनातन धर्म की कई पुस्तकों में आया है। इनमें से एक ऐतरेय ब्राह्मण प्रमुख है।

देश में India और भारत को लेकर बहस जारी है। देश जब आजाद हुआ तब हुआ, तब इसके नाम को लेकर उस समय के तमाम नेताओं ने चर्चा की थी। उस समय सबने अपनी-अपनी राय रखी थी। हालाँकि, इसे INDIA और भारत, दोनों नाम दिया गया। संविधान का अनुच्छेद 1 कहता है कि इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ है। हालाँकि, जब संविधान का ड्राफ्ट बनाया गया था तो उसमें ‘भारत’ नाम का कहीं जिक्र नहीं था।

दरअसल, संविधान का मसौदा डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली एक समिति द्वारा तैयार किया गया था और 4 नवंबर, 1948 को संविधान सभा में प्रस्तुत किया गया था। लगभग एक साल बाद 17 सितंबर 1949 को डॉक्टर अंबेडकर ने एक संविधान संशोधन प्रस्ताव रखा कि इसके पहले उप-खंड में ‘भारत’ जोड़ा जाए। उन्होंने अपने प्रस्ताव में ‘India, that is, Bharat’ करने का प्रस्ताव किया।

डॉक्टर अंबेडकर के प्रस्ताव के बाद ऑल इंडिया फॉरवॉर्ड ब्लॉक के नेता एचवी कामथ ने पहला संशोधन पेश किया, जिसमें पहले उप-खंड के प्रासंगिक हिस्से को ‘भारत या अंग्रेजी भाषा में इंडिया’ से बदलने का प्रस्ताव रखा। कामथ ने तर्क दिया कि ‘द फायरिश फ्री स्टेट’ उन कुछ देशों में शामिल था, जिसने स्वतंत्रता हासिल करने के बाद अपना नाम बदल लिया।

कुछ लोगों ने इस दौरान इंडिया शब्द के अंग्रेजी होने पर आपत्ति उठाई। कामथ ने कहा कि इंडिया को अंग्रेजी में लिखो या जर्मन में, यह इंडिया ही रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत को हिंदुस्तान के रूप में भी संदर्भित किया जाता है और यहाँ रहने वाले नागरिकों को हिंदू कहा जाता है। बहस के अंत में कामथ ने देश का नाम भारत रखने का प्रस्ताव रखा, लेकिन उन्हें बहुत अधिक समर्थन नहीं मिला।

लाइव लॉ में अवस्तिका दास लिखती हैं कि कामथ के बाद कॉन्ग्रेस नेता सेठ गोविंद दास ने सुझाव दिया कि ‘इंडिया’ नाम को स्पष्ट रूप से केवल विदेशी देशों में प्रचलित एक के रूप में नामित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह तर्क दिया कि ‘भारत’ के विपरीत, ‘इंडिया’ का उल्लेख ग्रंथों में नहीं मिलता है।

उन्होंने तर्क दिया था कि ‘इंडिया जो कि भारत है’ देश के नाम के लिए बहुत सुंदर शब्द नहीं है। इसके बदले हमें लिखना चाहिए ‘भारत, जो विदेशों में इंडिया के नाम से जाना जाता है’। उन्होंने कहा कि ग्रीक ने सिंधु नदी को इंडस नाम दिया और उससे भारत को इंडिया कहा, जबकि भारत का वर्णन महाभारत में भी है।

इसी तरह कॉन्ग्रेस के ही कमलापति त्रिपाठी ने कहा कि ‘India, that is, Bharat’ के बदले ‘Bharat, that is, India’ अधिक उपयुक्त होगा। उन्होंने कहा कि एक हजार साल की गुलामी के बाद भारत ने अपनी संस्कृति से लेकर आत्म-सम्मान तक खो दिया है। ऐसे में जब देश आजाद हो रहा हो तो ऐतिहासिक नाम भारत रखा जाना चाहिए। यह वेदों और पुराणों में भी वर्णित है।

कॉन्ग्रेस के नेता गोविंद बल्लभ पंत ने देश का नाम भारतवर्ष करने की बात रखी थी। उन्होंने कहा था कि भारतवर्ष के अलावा, कोई और नाम नहीं रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सदियों से देश का नाम भारत या भारतवर्ष रहा है। अगर इसे स्वीकार नहीं किया जाता है तो यह देशवासियों के लिए बेहद शर्म की बात होगी।

वहीं, बंगाल का प्रतिनिधित्व करने वाले नजीरुद्दीन अहमद ने भी इसको लेकर सुझाव दिया। उन्होंने देश का नाम ‘यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ इंडिया’ रखने का प्रस्ताव दिया। हालाँकि, इस प्रस्ताव को भी जरूरी समर्थन नहीं मिला। भारत नाम रखने के प्रस्ताव पर वोटिंग कराई गई, जो सदन में गिर गया।

हालाँकि, असेंबली ने संविधान के ड्राफ्ट में अनुच्छेद 1 में प्रस्तावित सभी संशोधनों को खारिज कर दिया, सिवाय डॉक्टर अंबेडकर द्वारा प्रस्तुत किए गए संशोधन को। आखिरकार, 18 सितंबर 1949 को डॉक्टर अंबेडकर के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया। इस तरह भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 में ‘India, that is Bharat’ कहा गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका

साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा गया था कि देश का नाम सिर्फ भारत किया जाए और इसमें से इंडिया शब्द को हटा दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर और जस्टिस यूयू ललित ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।

बेंच ने कहा था, “भारत या इंडिया? अगर आप भारत कहना चाहते हैं, कहिए। अगर कोई इंडिया कहना चाहता है तो उसे इंडिया कहने दीजिए।” इस जनहित याचिका को महाराष्ट्र के निरंजन भटवाल नाम के शख्स ने दाखिल की थी।

शास्त्रों में भारत का नाम का जिक्र

दरअसल, पुरुवंशी महाराज दुष्यंत और विश्वामित्र की पुत्री शकुंतला के बेटे चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर यह देश भारत या भारतवर्ष कहलाते आया है। भारत को सर्वदमन कहा जाता है और माना जाता है कि चारों दिशाओं में उनका साम्राज्य फैला हुआ था। इसका जिक्र सनातन धर्म की कई पुस्तकों में आया है। इनमें से एक ऐतरेय ब्राह्मण प्रमुख है।

वहीं, जैन धर्म के अनुसार, महाराजा नाभिराज और महारानी मरुदेवी के पुत्र भगवान ऋषभदेव, जो आदिनाथ के नाम से भी जाने जाते हैं, के ज्येष्ठ पुत्र महायोगी भरत के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में महायुति सरकार लाने की होड़, मुख्यमंत्री बनने की रेस नहीं: एकनाथ शिंदे, बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहने का राहुल गाँधी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कहा, "हमारी कोई लड़ाई, कोई रेस नहीं है। ये रेस एमवीए में है। हमारे यहाँ पूरी टीम काम कर रही महायुति की सरकार लाने के लिए।"

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -