हाल ही में ऐसी कई ख़बरें हमारे सामने आईं हैं, जिनमें सेना के जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों की जान ऐसे समय में बचाई, जिसकी उम्मीद तो ख़ुद पीड़ित भी छोड़ देते हैं। ऐसे में उन्हें यह नई ज़िंदगी देने वाले जवान किसी फ़रिश्ते से कम नहीं लगते। हमारे देश के नागरिक भारतीय सेना के जज़्बे और हौसले से वाक़िफ़ हैं, लेकिन जब भी ऐसी कोई ख़बर सामने आती है, जिसमें सेना के जवान किसी ऐसे शख़्स की जान बचा लेते हैं जो लगभग काल का ग्रास बनने ही वाला हो, तो वो ख़बरें दिल को छू ही जाती हैं।
ऐसी ही एक ख़बर कश्मीर से सामने आई है, जहाँ सेना के जवानों ने एक ऐसे शख़्स को जीवन दान दिया जो चलते-चलते बर्फ़ की परतों में दब गया था। तारिक इक़बाल नाम के इस शख़्स को, जो लाचीपुरा में चलते-चलते बर्फ़ के नीचे दब गया था उसे जवानों की काफ़ी मेहनत के बाद बर्फ़ से बाहर निकाला जा सका। इस घटना का एक वीडियो बड़ी तेज़ी के साथ लोगों तक अपनी पहुँच बना रहा है।
इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि सेना के जवानों की रेस्क्यू टीम पहले तो फावड़े से उस बर्फ़ को एक तरफ़ करते हैं, जिसके नीचे तारिक दबा हुआ था। रेस्क्यू टीम द्वारा तारिक को बाहर निकालने के बाद जवान उसके सिर पर जल्दी-जल्दी हाथ फेरते हैं जिससे उसे थोड़ी गर्माहट मिल सके और वो होश में आ सके।
#WATCH Jammu & Kashmir: Indian Army personnel rescue a civilian Tariq Iqbal who was caught in a snow slide in Lacchipura. He was discharged from the hospital later. (14.01.20) (Source – Indian Army) pic.twitter.com/yEQtRcitom
— ANI (@ANI) January 15, 2020
तारिक को बर्फ़ से बाहर निकालने के बाद उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। वहाँ प्राथमिक इलाज मिलने के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। पुलिस और रक्षा सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में लिखा गया कि मंगलवार को एक अन्य घटना में जम्मू-कश्मीर में बर्फ़ की चपेट में आने से 6 सैनिक और कई नागरिक मारे गए थे। उन्होंने बताया कि बचाव अभियान चलाने के बाद भी किसी सैनिक को नहीं बचाया जा सका।
इससे पहले एक मामला सामने आया था, जब जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा ज़िले की एक गर्भवती महिला तस्लीमा को सेना के जवानों ने न सिर्फ़ नई ज़िंदगी दी थी बल्कि उनके नवजात बच्चे को जीवनदान देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। तस्लीमा के भाई फैज ने सेना के जवानों की तुलना ज़िंदगी देने वाले फ़रिश्ते से करते हुए कहा था कि अगर उस रात सेना के जवान वहाँ न पहुँचते, जहाँ वो उनकी गर्भवती बहन तस्लीमा फँसे हुए थे, तो उनके घर में भाँजा होने की ख़ुशी में जश्न मनाने की बजाए मातम मनाया जा रहा होता।
इसके अलावा, एक सवाल के जवाब में फैज ने कहा था कि एक समय था जब उनका इलाक़ा जिहादियों का पनाहगाह था, लेकिन अब वहाँ जिहादी नहीं हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अब वहाँ सेना के जवानों की मौजूदगी रहती है। उन्होंने कहा था, “जिहादियों ने हमारे स्कूल और अस्पताल जला दिए, लेकिन भारतीय सेना ने हमारे लिए स्कूल और अस्पताल बनवाए हैं। वो हमारे बच्चों को स्कूल पहुँचा रहे हैं, मैं ज़्यादा क्या कहूँ, सबूत तो यह नवजात भी है।”
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