कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब में पिछले 55 दिनों से जारी किसानों के आंदोलन की वजह से जहाँ स्थानीय उद्योग और व्यापार प्रभावित हुआ है, वहीं भारतीय रेलवे को भारी चपत लगी है। किसानों का आंदोलन पटरियों पर होने की वजह से 2,352 पैसेंजर ट्रेनें या तो रद कर दी गई या उनका रास्ता बदल दिया गया। पंजाब जाने के लिए माल से भरे 230 रैक राज्य के बाहर इधर-उधर खड़े हैं। रेलवे सूत्रों के मुताबिक, पैसेंजर और मालगाड़ियों का संचालन बाधित होने से रेलवे को अब तक कुल 2,220 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है।
पंजाब में रोजाना 40 रैक की लोडिंग होती है। भारतीय रेलवे को अकेले पंजाब से रोजाना 14.85 करोड़ रुपए का औसत राजस्व प्राप्त होता है। मगर उत्तरी रेलवे को मालगाड़ियों में लोडिंग नहीं होने के कारण नुकसान झेलना पड़ रहा है। केंद्र के कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा जारी विरोध के कारण रेलवे को यात्री राजस्व में 67 करोड़ रुपए सहित कुल 2,220 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
मालगाड़ियों की आवाजाही भी पूरी तरह ठप है। प्रतिदिन औसतन 30 रैक का नुकसान सीधे तौर पर होता है, जिनकी लोडिंग पंजाब के विभिन्न स्टेशनों पर की जाती है। बाहर से पंजाब में रोजाना 40 रैक आते हैं, जो नहीं पहुँच पा रहे हैं। इस दौरान कुल 3,850 मालगाड़ियों की लोडिंग नहीं हो सकी है।
आंदोलन के कारण मालगाड़ियों के 3850 रैक पर लदान नहीं हो सकी। आंदोलन के कारण पंजाब के बाहर 230 रैक फँसे रहे। इनमें से 78 रैक कोयला, 34 रैक खाद, आठ रैक सीमेंट, आठ रैक पेट्रोलियम पदार्थो तथा 102 रैक कंटेनर, स्टील एवं अन्य सामग्री के हैं। इसके साथ ही आंदोलन के मद्देनजर, 2352 यात्री ट्रेनों को रद्द करना पड़ा या उनका मार्ग परिवर्तन करना पड़ा।
गौरतलब है कि इससे पहले खबर आई कि पंजाब में ‘रेल रोको’ आंदोलन के कारण भारतीय रेलवे को राजस्व में लगभग 500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम के अध्यक्ष बद्रीश जिंदल ने कहा था कि राज्य के कारोबारियों को कुल मिलाकर करीब 5000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ, क्योंकि ‘किसानों’ द्वारा रेल लाइन को बंद करने का अभियान जारी है।
इस्पात उद्योग से लेकर आवश्यक वस्तुओं तक, पंजाब में लगभग हर चीज की कमी है। पंजाब सरकार की निष्क्रियता के कारण, बिजली स्टेशनों को बिजली उत्पादन के लिए कोयला नहीं मिल पा रहा है, जिससे राज्य भर में बिजली की भारी कमी हो रही है।