भारत में कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) की कमर तोड़ दी गई है। इस्लामिक स्टेट का स्वघोषित खलीफा वजीहुद्दीन अब यूपी एटीएस की गिरफ्त में आ चुका है। उससे पूछताछ हो रही है। अब यूपी एटीएस ने उसे कोर्ट के माध्यम से 10 दिन की रिमांड पर लिया है।
यूपी एटीएस न सिर्फ उसकी पूरी कुंडली खंगाल रही है, बल्कि उसके आसपास के लोगों की भी पूरी पड़ताल कर रही है। यूपी एटीएस ने ऑपइंडिया की उस रिपोर्ट पर भी मुहर लगा दी है, जिसमें ऑपइंडिया ने बताया था कि वजीहुद्दीन ही भारत में ISIS का मुखिया है। संगठन के लोग इसे ‘अमीर’ कहते थे।
भास्कर ने यूपी एटीएस के सूत्रों के हवाले से कहा है कि वजीहुद्दीन ही आईएसआईएस का ‘भारतीय अमीर’ है। वो विदेशी हैंडलर के सहयोग से पुणे मॉड्यूल और दिल्ली मॉड्यूल के साथ मिलकर कई हमलों की साजिश रच रहा था। उसके गुर्गों ने उसके आदेश पर गाजियाबाद के यति नरसिम्हा सरस्वती जैसे ‘निशानों’ की पहचान की थी।
इतना ही नहीं, आईएसआईएस के पुणे मॉड्यूल के सदस्य शहनवाज के साथ मिलकर वो धमाकों की ट्रेनिंग भी शुरू कर चुका था। वजीहुद्दीन उत्तर प्रदेश के रामपुर, संभल, अलीगढ़ से लेकर प्रयागराज तक अलग-अलग गुर्गों के माध्यम से भारत के खिलाफ ‘जेहाद’ के लिए ‘इस्लामिक फौज’ तैयार कर रहा था।
ऑपइंडिया ने बताया था कि कैसे वजीहुद्दीन ‘हया’ के माध्यम से युवाओं को कट्टरता और हिंसा की तरफ लेकर जाता था। वो स्कूलों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों में बाकायदा ‘हया’ के माध्यम से भारत विरोधी माहौल तैयार करता था और ‘अति उत्साही’ नौजवानों को भारत के खिलाफ हथियार उठाने के लिए उकसाता था।
ओजीडब्ल्यू से लेकर ‘अमीर’ तक सफर
ऑपइंडिया ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया था कि कैसे वजीहुद्दीन सामू (SAMU) से लेकर एएमयू (AMU) तक, दिल्ली से लेकर प्रयागराज तक आईएसआईएस से जुड़े लोगों के लिए ‘अमीर’ की तरह था। उसके गुर्गे सोशल मीडिया पर भी उसका गुणगान करते थे और उसे ‘अमीर’ कहकर संबोधित करते थे। मुस्लिम देशों में ‘अमीर’ का मतलब शासक होता है।
वजीहुद्दीन ने शुरुआत में आईएसआईएस के ओजीडब्ल्यू (ओवर ग्राउंड वर्कर) के तौर पर काम शुरू किया और फिर सामू (SAMU- Students of AMU) जैसे संगठनों में खुद को ‘अमीर’ के तौर पर स्थापित कर लिया। वो ‘हया’ कार्यक्रम के जरिए बाकायदा मजलिसों का आयोजन करता था और इस्लामिक भाषण देता था।
इन भाषमों में वो शरजील इमाम जैसे गिरफ्तार आतंकियों की बातों का भी सहारा लेता था और लोकतंत्र विरोधी बात करके शरिया शासन को सही साबित करने का प्रयास करता था। इन्हीं मजलिसों के माध्यम से उसने अब्दुल्ला अर्शलान और माज बिन तारिक जैसे गुर्गों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए तैयार किया था।
दिल्ली से लेकर एएमयू तक सीएए विरोधी आंदोलनों का आयोजक, हिंसा में भी हाथ
खास बात ये है कि वजीहुद्दीन लंबे समय से सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर था। वो इतना शातिर है कि अपने खिलाफ बहुत कम ही चीजें छोड़ता था। इस बार दिल्ली, मुरादाबाद और अलीगढ़ से शहनवाज, अरसद वारसी और रिजवान की दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तारी के बाद उसे पकड़ने के लिए यूपी एटीएस को बाकायदा विशेष अभियान चलाना पड़ा।
यूपी एटीएस ने अब्दुला और माज की गिरफ्तारी के बाद वजीहुद्दीन को छत्तीसगढ़ के दुर्ग से गिरफ्तार किया था। यूपी एटीएस द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, यूपी एटीएस को सूचना मिल रही थी कि कुछ लोग अलीगढ़ में आईएसआईएस की विचारधारा से प्रेरित होकर अन्य लोगों को भी प्रभावित कर रहे हैं।
यूपी एटीएस ने ये भी बताया कि दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार आतंकियों के संबंध अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र संगठन स्टूडेंट्स ऑफ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (SAMU) से हैं। ये लोग आईएसआईएस की विचारधारा से प्रभावित हैं। ऐसे में एटीएस ने जाँच का दायरा बढ़ाया और साक्ष्य जुटाकर अपनी कार्रवाई को अंजाम दिया।
वजीहुद्दीन मूल रूप से छत्तीसगढ़ के दुर्ग का रहने वाला है। वो एएमयू में पीएचडी करने के साथ ही जूनियर छात्रों को सामाजिक विज्ञान विषय (इतिहास, भूगोल और नागरिक शास्त्र) पढ़ाता था। उसके छात्रों में हिंदू छात्र भी शामिल हैं।
वजीहुद्दीन को 10 दिनों की रिमांड
यूपी एटीएस ने गुरुवार को NIA ATS के विशेष जज दिनेश कुमार मिश्र की अदालत में वजीहुद्दीन को पेश किया। यूपी एटीएस ने उसे ISIS का मुख्य चेहरा बताते हुए उसकी 10 दिनों की रिमांड माँगी। कोर्ट ने एटीएस की माँग को मंजूर कर लिया। अब यूपी पुलिस वजीहुद्दीन के सभी संपर्कों की पड़ताल कर रही है और ये जानने की कोशिश कर रही है कि वो अब तक कितने लोगों को रेडिकल बना चुका है।