आयकर (IT) विभाग ने पिछले दो वर्षों में ₹6900 करोड़ की बेनामी संपत्ति ज़ब्त की है। एजेंसी ने कहा कि उसने बेनामी लेनदेन निषेध अधिनियम के तहत इतनी मूल्य की संपत्ति को कुर्क किया। एजेंसी ने इस संबंध में समाचार पत्रों को विज्ञापन भी दिए, जिसमें बताया गया है कि दोषियों को 7 साल तक की सज़ा हो सकती है। बता दें कि नए क़ानून के तहत जो कार्रवाई होगी, वह आयकर क़ानून, 1961 के अतिरिक्त होगी। देश में संशोधित बेनामी क़ानून 2016 में लागू हुआ था।
विज्ञापन में बेनामी सौदे करने वाले, बेनामदार (बेनामी संपत्ति के मालिक) और लाभार्थी (बेनामी संपत्ति ख़रीदने के लिए रुपए ख़र्च करने वाले)- इन तीनो को ही दोषियों की श्रेणी में रखा गया है। एजेंसी ने कहा कि दोषियों पर अभियोजन चला कर उन्हें सज़ा तो दिलाई जाएगी, साथ ही उनसे संपत्ति के बाज़ार मूल्य का 25 प्रतिशत ज़ुर्माना भी वसूल लिया जाएगा। बता दें कि लोग टैक्स से बचने के लिए अपनी चल-अचल संपत्ति को किसी और के नाम कर देते हैं- इस संपत्ति को बेनामी संपत्ति के रूप में जाना जाता है।
इसके अलावा बेनामी सपत्तियों को लेकर जो गलत सूचना देते हैं और जो सही जानकारी छिपाते हैं- उसके लिए भी सज़ा और ज़ुर्माना का प्रावधान किया गया है। उन्हें 5 वर्ष तक की सज़ा के साथ-साथ संपत्ति के बाज़ार मूल्य का 10% ज़ुर्माना के रूप में वसूला जाएगा। आयकर विभाग ने जनता से भी एजेंसी का सहयोग करने का निवेदन किया है ताकि इस बुराई को ख़त्म किया जा सके। बता दें कि पहले वाले क़ानून के तहत सिर्फ़ तीन वर्ष की ही सज़ा हुआ करती थी। आईटी विभाग ने लोगों को आगाह किया है कि बेनामी संपत्ति को सरकार द्वारा ज़ब्त किया जा सकता है।
बता दें कि साल 2017-18 में आयकर विभाग ने अकेले कर्नाटक और गोवा क्षेत्र से ₹12,268 करोड़ के गुप्त आय और संपत्ति को पकड़ा है जो कि अपने आप में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। पिछले कुछ वर्षों में एजेंसी की सक्रियता का ही परिणाम है कि करदाताओं की संख्या में भारी उछाल आया है।