केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत देश के 5 राज्यों में बढ़ते जापानी इंसेफेलाइटिस (बच्चों में दिमागी बुखार) के प्रकोप पर काबू पाने के लिए प्रभावी कदम उठाए गए हैं। मोदी सरकार ने इन राज्यों के 61 जिलों में शुद्ध जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने को प्राथमिकता दी है। पिछले 22 महीनों के अंदर इन जिलों के तकरीबन एक करोड़ परिवारों को जलापूर्ति वाले नल कनेक्शन दिए गए हैं। जापानी इंसेफेलाइटिस-एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Japanese Encephalitis-Acute Encephalitis Syndrome) से प्रभावित इन जिलों में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को स्वच्छ जल मुहैया कराकर इस घातक बीमारी से बचाव के उपाय किए गए हैं।
ये 61 जिले उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल राज्य के हैं। साल 2019 में स्वतंत्रता दिवस पर दिए गए अपने भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि 2024 में उनका दूसरा कार्यकाल पूरा होने तक उनकी सरकार ग्रामीण भारत के हर घर में नल का साफ पानी उपलब्ध कराएगी।
जल जीवन मिशन के तहत मोदी सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आँकड़ों के अनुसार, अब तक इन जिलों में एक करोड़ से अधिक परिवारों को स्वच्छ जल के लिए नल का कनेक्शन उपलब्ध कराया जा चुका है। खासतौर पर, जापानी इंसेफेलाइटिस बीमारी को जड़ से मिटाने की दिशा में बेहतर स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल पर जोर दिया गया है।
ये 61 जिले विभिन्न प्रकार के इंसेफेलाइटिस के प्रकोप का सामना कर रहे हैं। इसके कारण बच्चों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। खासकर, बिहार और उत्तर प्रदेश राज्य में यह अपने चरम पर है। हिंदुस्तान टाइम्स ने जल शक्ति मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से कहा, ”इन जिलों के घरों में नल का पानी उपलब्ध कराने का आँकड़ा एक मील का पत्थर है। अधिकारी ने कहा, “यह 61 प्राथमिकता वाले जिलों में घरेलू नल के पानी के कनेक्शन में 32% की वृद्धि सुनिश्चित करता है, जो पिछले 22 महीनों के दौरान देश में नल के पानी के कनेक्शन देने में राष्ट्रीय औसत 23.43% की वृद्धि से लगभग 12% अधिक है।” सरकार ने 2024 तक हर घर में नल का पानी उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है।
यूपी से इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए सीएम योगी प्रयासरत
जापानी इंसेफेलाइटिस-एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया, परजीवी, वायरस, स्पाइरोकेट्स और फंगस के कारण हो सकता है। इसे रोकने के लिए एक टीका उपलब्ध है, लेकिन यह अभी कुछ मतभेदों के चलते चलन में नहीं है। योगी आदित्यनाथ जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तो उनके द्वारा शुरू की गई यह पहली परियोजनाओं में से एक रही है कि यूपी के हॉटस्पॉट्स में बच्चों को इस घातक बीमारी से मुक्त कराना है।
यही कारण है कि घातक जापानी इंसेफेलाइटिस के कारण बच्चों की मृत्यु दर में भारी गिरावट आई है। इन जिलों के घरों में साफ पानी उपलब्ध कराने से इस बीमारी पर काबू पाने में मदद मिलेगी। यूनिसेफ ने भी बीमारी पर शिकंजा कसने के लिए राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना की है।
दशकों पुरानी है इंसेफेलाइटिस की समस्या
उत्तर प्रदेश के बरेली में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के पूर्व प्रभारी लोकेश नाथ ने एचटी को बताया, ”स्वच्छ जल न मिलने से इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम की समस्या बढ़ती है, क्योंकि गंदे पानी की वजह से ही यह बीमारी होती है। जब कुपोषित बच्चे इसका शिकार होते हैं, तो उन्हें या तो ठीक होने में अधिक समय लगता है या उनके बचने की संभावना कम होती है।”
ICAR-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान पुणे के केएन भीलेगांवकर ने इस सिंड्रोम को भारत में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बताया है। वह एक लेखक हैं, जो बरेली जिले में ऐसी घातक बीमारियों पर स्टडी कर रहे हैं।
राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के आँकड़े बताते हैं कि 2007 और 2016 के बीच स्थानिक जिलों में इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के 70,000 से अधिक मामले सामने आए हैं। पिछले 30 वर्षों में 30,000 बच्चे इस जानलेवा बीमारी के कारण अपनी जान गँवा चुके हैं। योजना आयोग की 2010 की एक रिपोर्ट के अनुसार, टीकाकरण, वेक्टर नियंत्रण, स्वच्छता सुविधाएँ, सुरक्षित पेयजल और पर्याप्त पोषण इस बीमारी को रोकने के लिए 5 रामबाण उपाय हैं।
क्या है जापानी इंसेफेलाइटिस
बता दें कि जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) बीमारी गंदे पानी में पनपने वाले फ्लैवी वायरस के कारण होता है। मच्छरों के काटने से यह वायरस मनुष्यों और पशुओं के शरीर में पहुँचता है। इससे पीड़ित मरीज के दिमाग के आसपास की झिल्ली में सूजन आ जाती है। यह बीमारी जापान से फैलते हुए भारत पहुँची है। इस बीमारी से गंभीर रूप से पीड़ित होने पर मरीज की मौत भी हो जाती है।