अलीगढ़ में एक जामिया उर्दू संस्थान है। यहीं एक गार्डनर सुपरवाइजर हैं, नाम है – कमल सिंह। कमल पिछले 11 साल से जामिया उर्दू संस्थान में काम कर रहे। लेकिन अब उनकी हाजरी व सैलरी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके पीछे जो कारण कमल सिंह ने बताया है, वो बहुत ही चिंताजनक है।
कमल सिंह ने जामिया उर्दू संस्थान के ओएसडी फरहत अली व रजिस्ट्रार समुनरजा नकवी पर धर्म परिवर्तन को लेकर दबाव बनाने का आरोप लगाया है। कमल सिंह ने बताया कि ओएसडी फरहत अली व रजिस्ट्रार समुनरजा नकवी न सिर्फ उन पर बल्कि उनकी पत्नी मीना पर भी काफी समय से मुस्लिम धर्म अपनाने का दबाव बना रहे थे।
इन दबावों के बावजूद कमल सिंह ने हिंदू धर्म अपनाए रखा। लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि इसके कारण उन्हें नौकरी से हटाने व बच्चों को मार डालने की धमकी दी गई। मारपीट तक की गई और सितंबर 2019 से ओएसडी फरहत अली व रजिस्ट्रार समुनरजा नकवी ने मिलकर उनकी हाजरी व सैलरी पर प्रतिबंध लगा दिया है।
इस संबंध में थाना क्वार्सी में मामला दर्ज कराया गया है। चूँकि मामला धर्म परिवर्तन से जुड़ा था, इसलिए कमल सिंह के साथ स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं ने थाने का घेराव किया। इसके बाद जब इंस्पेक्टर विनोद कुमार ने मामले पर FIR दर्ज की, तो हंगामा शांत हुआ।
इस संबंध में कमल सिंह अपनी पत्नी मीना के साथ एटा के सांसद राजवीर सिंह से भी मिले। सांसद ने इस संबंध में डीआईजी प्रीतिंदर सिंह को फोन किया और ठोस कार्रवाई की माँग की। इसके बाद पीड़ित दंपती डीआईजी से उनके ऑफिस जाकर भी मुलाकात की। तब डीआईजी ने खुद संबंधित एसएसपी को जाँच व कार्रवाई के निर्देश दिए।
हालाँकि जामिया उर्दू संस्थान के ओएसडी फरहत अली ने बताया, “कमल सिंह चार महीने पहले खुद संस्थान छोड़कर भाग गया था तो सैलरी कैसे मिलेगी? धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने जैसे आरोप बेबुनियाद हैं। इनका भाई यहीं काम कर रहा है। कमल को निकालना तो दूर, उल्टा वापस बुलवाया गया था।”
इस पूरे मामले में एक और बात सामने आई है। कमल सिंह ने यह भी आरोप लगाया है कि उनके बड़े भाई रघुराज सिंह का भी धर्म परिवर्तन कराया जा चुका है। लेकिन रघुराज सिंह ने इंस्पेक्टर विनोद कुमार को लिखित में दिया कि उन्होंने धर्म परिवर्तन नहीं किया है।
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