दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया की दीवारों को शुक्रवार (12, जून 2020) को शरारती तत्वों ने बदरंग कर दिया। दीवारों पर जगह-जगह ‘फ्री सफूरा’, ‘फ्री शरजील’ का नारा लिख दिया। हाल ही में इन दीवारों की सफेदी कराई गई थी।
आपको बता दें कि जामिया की छात्रा सफूरा जरगर कॉन्ग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई की कार्यकर्ता रही है। उसे दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। उस पर सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की साजिश रचने का आरोप है।
सफूरा ज़रगर ने दिल्ली दंगों के दौरान जाफराबाद मेट्रो के पास मेन रोड को जाम करने में अहम भूमिका निभाई थी। पुलिस का कहना है कि उसने महिलाओं और बच्चों को भड़का कर हिंसा करवाया था। सफूरा ज़रगर एक वीडियो में “दिल्ली तेरे खून से, इंकलाब आएगा” नारा लगाती भी देखी गई थी।
जामिया मिलिया इस्लामिया में हो रहे सीएए प्रदर्शनों में कॉन्ग्रेस के कई बड़े नेता शामिल हुए थे। वहाँ गेस्ट स्पीकर्स की व्यवस्था करने में सफूरा ज़रगर का अहम किरदार था। शशि थरूर से लेकर सलमान खुर्शीद तक जैसे कॉन्ग्रेस नेताओं ने जामिया में हो रहे प्रदर्शनों में शिरकत की थी।
सफूरा ज़रगर इस वक़्त गर्भवती है और कई बार जमानत के लिए अर्जी लगा चुकी है। मगर आरोपों की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने उसकी जमानत याचिका हर बार ख़ारिज कर दी। उसके खिलाफ़ गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
वहीं शरजील इमाम को भी भड़काऊ भाषण के मामले में गिरफ्तार किया गया था। 14 दिसंबर को शरजील ने सीएए के विरोध में भीड़ को भड़काते हुए उत्तर भारत के सभी शहरों को तब तक के लिए बंद करने का आह्वान किया था और कहा था कि जब तक सरकार सीएए/एनआरसी को वापस नहीं ले लेती।
उसके भाषण के बाद न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में जमकर हिंसा हुई थी। जहाँ दर्जनों लोग घायल हुए थे। दूसरी ओर जेएनयू के छात्रों को सम्बोधित करते हुए समुदाय विशेष को निर्देशित करते हुए शरजील इमाम ने कहा था, “लोगों को पूरी दिल्ली में चक्का-जाम करना चाहिए। देश के जिस भी शहर में मुस्लिम हैं, वहाँ चक्का-जाम किया जाना चाहिए। मुस्लिमों को देश के 500 शहरों में चक्का-जाम किया जाना चाहिए।”
उसने लोगों को भड़काते हुए कहा था कि क्या मुस्लिमों की इतनी आबादी और हैसियत भी नहीं कि वो पूरे देश में चक्का-जाम कर सकें? हिंदुस्तान का अधिकतर मुस्लिम अपने शहर को बंद कर सकता है। उसने कुरान का हवाला देते हुए कहा कि जो तुम्हें अपने घर से निकाले, उसे अपने घर से निकाल दो।
इससे पहले भी फरवरी में इमाम के समर्थकों ने जामिया की दीवारों पर लिख कर उसकी रिहाई की माँग की थी।