Saturday, November 16, 2024
Homeदेश-समाज'आंदोलन किसान का नहीं, पंजाब की आज़ादी का': भगत सिंह का अपमान, PM मोदी...

‘आंदोलन किसान का नहीं, पंजाब की आज़ादी का’: भगत सिंह का अपमान, PM मोदी को बताया- आतंकी

"ये जंग हिंद और पंजाब के बीच है। कोई किसानी मसला नहीं है। अगर ये जंग हार गए तो सिख कौम हार जाएगी। हम जीत गए तो सिख कौम जीतेगी। ऐसे हर झंडे का खात्मा हो जाएगा जो खालिस्तान और खालसा का विरोध करेगा।"

‘किसान आंदोलन’ में शामिल कट्टर सिख संगठनों ने शुक्रवार (फरवरी 12, 2021) को शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के नेतृत्व में खालिस्तानी अलगाववादी जरनैल सिंह भिंडरावाले की जयंती कार्यक्रम मनाई। इसमें ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगे। ‘किसान आंदोलन’ को कौम और पंजाब की आजादी का आंदोलन करार दिया गया। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का अपमान करने वाले आरोपितों के परिजनों को सम्मानित किया गया। फेसबुक पर इसका लाइव प्रसारण भी हुआ।

दिल्ली की सीमाओं पर जारी कथित किसान आंदोलन के बीच इस कार्यक्रम का आयोजन एसएडी (अमृतसर) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान की ओर से फतेहगढ़ साहिब में आयोजित किया गया। इस दौरान मंच से खालिस्तानी भिंडरावाले का गुणगान और भारत सरकार के खिलाफ जमकर जहर उगला गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे जो रह-रह कर खालिस्तान जिंदाबाद और भिंडरवाले के सम्मान में नारे लगा रहे थे।

इस कार्यक्रम में गणतंत्र दिवस के दिन (जनवरी 26, 2021) को दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा के अपमान करने वाले आरोपित जुगराज सिंह के दादा सरदार मेहल सिंह और एक अन्य आरोपी के भाई को सरदार सिमरनजीत सिंह मान ने सिरोपा और 50 हजार रुपए देकर सम्मानित किया। इसी दौरान बलजीत सिंह खालसा वंगार वाले की पुस्तक ‘राज करेगा खालसा’ का विमोचन भी किया गया। ये पुस्तक खालिस्तानी विचारधारा को आगे बढ़ाती है।

सरदार सिमरनजीत सिंह मान ने मंच से वहाँ बैठे लोगों से शपथ दिलाई कि लाल किला पर ‘कौमी झंडा’ हर पंजाबी ने चढ़ाया है। मान ने मंच से कहा कि 26 जनवरी की हिंसा को लेकर दर्ज किए गए केस अगर मोदी सरकार ने 10 दिन में वापस नहीं लिए तो फतेहगढ़ साहिब गुरुद्वारा से सात सिखों को प्रधानमंत्री के दफ्तर भेजा जाएगा। ये सातों लाल किले पर ‘कौमी झंडा’ फहराने की जिम्मेदारी लेंगे और कहेंगे कि जो करना है कर लो।

एसएडी (अमृतसर) से जुड़े किसान नेता जसकरण सिंह ने इस कार्यक्रम में कहा ये ‘जंग’ किसान आंदोलन ना होकर कौम और पंजाब की आजादी की लड़ाई है। जसकरण सिंह ने कहा कि चाहे उन्हें संयुक्त किसान मोर्चा से बोलने दे या ना दें, लेकिन वे दिल्ली जीतकर जाएँगे। साथ ही कहा कि ज्यादा से ज्यादा पार्टी के लोग दिल्ली पहुँचें। उन्होंने ऐलान किया कि पार्टी जिन लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुए हैं उनके साथ कंधा से कंधा मिलाकर खड़ी है।

जसकरण सिंह ने कहा कि दिल्ली में चल रहे किसान मोर्चा में वो अकेले नहीं गए थे। उन्होंने बताया कि 26 जनवरी को पहला ट्रैक्टर हरजीतसिंह गगड़वाल का था, जिसने नाका तोड़ा। साथ ही बताया कि लाल किले के लिए ट्रैक्टरों की अगुवाई अकाली दल अमृतसर ने ही की थी और वहाँ कोई किसान नेता था ही नहीं। जसकरण सिंह ने मंच से संबोधित करते हुए कहा:

“दिल्ली में 26 जनवरी को कुछ हुआ, उसके लिए सबसे बड़ा रोल अकाली दल अमृतसर ने निभाया। मैं अपील करता हूँ कि सिमरनजीत सिंह मान के सर्मथन में लोगों को दिल्ली में पहुँचना चाहिए। वहाँ हमें आपकी जरूरत है। आप दिल्ली चलो। ये जंग हिंद और पंजाब के बीच है। कोई किसानी मसला नहीं है। अगर ये जंग हार गए तो सिख कौम हार जाएगी। हम जीत गए तो सिख कौम जीतेगी। ऐसे हर झंडे का खात्मा हो जाएगा जो खालिस्तान और खालसा का विरोध करेगा।”

‘किसान आंदोलन’ में भी शामिल थे इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाले अकाली नेता

खालिस्तानी अलगाववादी जसकरण सिंह ने मंच से लोगों को भड़काते हुए कहा कि अगर आपको खालिस्तान बनाना है तो इसके लिए जरनैल सिंह भिंडरावाले की बात को याद करना होगा, जिन्होंने कहा था कि जिस दिन दरबार साहिब पर हमला होगा उसी दिन खालिस्तान की नींव रखी जाएगी। उन्होंने दावा किया कि खालिस्तान कहना, बोलना, सुनना ये सब मानवतावादी है। वहीं उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘आतंकवादी’ शब्द का प्रयोग किया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने ‘संविधान का उल्लघंन करके’ किसान मोर्चा के आगे बैरिकेड्स लगाए है।

कार्यक्रम में मंच से शहीद भगत सिंह का भी अपमान किया गया। अकाली दल अमृतसर के जसकरण सिंह ने कहा कि भगत सिंह ने शहीदी इंडिया के लिए दी थी, कौम के लिए नहीं दी थी। उन्होंने कहा, “कौम के लिए शहीदी जरनैल सिंह भिंडरावाले ने दी है। भगत सिंह को उस समय कहना चाहिए था कि गाँधी, नेहरू और RSS बुरे हैं। मुझे तो अपना घर खालिस्तान लेना है।” उन्होंने भगत सिंह पर ‘इंडिया के नीचे लगे रहने’ का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर वो उक्त बातें बोलते तो आज परिस्थिति कुछ और होती।

वरिंदर सिंह सेखों गाजीपुर सीमा पर ‘किसान आंदोलन’ में भी शामिल था

इस कार्यक्रम के आयोजन में भूमिका निभाने वाले और लोगों को भड़काने वाले खालिस्तानी वरिंदर सिंह सेखों गाजीपुर बॉर्डर स्थित राकेश टिकैत के मंच पर भी मौजूद था। वो शिरोमणि अकाली दल अमृतसर यूथ विंग का प्रधान है। सेखों 26 जनवरी की हिंसा में भी शामिल था, जब पुलिस बैरिकेड्स तोड़े गए थे।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

छत्तीसगढ़ में ‘सरकारी चावल’ से चल रहा ईसाई मिशनरियों का मतांतरण कारोबार, ₹100 करोड़ तक कर रहे हैं सालाना उगाही: सरकार सख्त

छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा प्रभावित जशपुर जिला है, जहाँ ईसाई आबादी तेजी से बढ़ रही है। जशपुर में 2011 में ईसाई आबादी 1.89 लाख यानी कि कुल 22.5% आबादी ने स्वयं को ईसाई बताया था।

ऑस्ट्रेलिया में बनने जा रहा है दुनिया का सबसे ऊँचा श्रीराम मंदिर, कैंपस में अयोध्यापुरी और सनातन विश्वविद्यालय भी: PM मोदी कर सकते हैं...

ऑस्ट्रेलिया के पर्थ में बन रहे भगवान राम के मंदिर में अयोध्यापुरी और सनातन विश्वविद्यालय भी मौजूद हैं। यह विश्व का सबसे ऊँचा मंदिर होगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -