बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटाए जाने के बाद हिन्दुओं पर अत्याचार लगातार जारी है। मोहम्मद यूनुस सरकार के अंतर्गत हिन्दू लगातार निशाना बन रहे हैं, उनके मंदिर तोड़े जा रहे हैं। विदेशी मीडिया हमेशा की तरह हिन्दुओं के विरुद्ध हो रहे अत्याचारों पर आँख मूँद चुकी है। लेकिन इस पूरे खेल में भारत का वामपंथी मीडिया पोर्टल द वायर भी पीछे नहीं है। वायर लगातार प्रयास कर रहा है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार को लेकर पर्दा डाला जाए।
द वायर का ध्यान बांग्लादेश में हो रहे हिन्दुओं की पीड़ा दिखाने बजाय इस बात पर ज्यादा रहा कि आखिर कौन दूसरा भारतीय पोर्टल कथित तौर पर झूठ फैला रहा है। अगस्त 2024 के बाद द वायर द्वारा प्रकाशित 10 रिपोर्टों, इंटरव्यू और लेखों का विश्लेषण हमने किया है। इसमें साफ दिखता है कि वायर ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों को कम करके दिखाया है।
21 दिसंबर, 2024 को ही, द वायर ने लोकसभा में विदेश मंत्रालय के एक जवाब पर बांग्लादेशी सरकार की आधिकारिक प्रतिक्रिया का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट छापी। विदेश मंत्रालय ने बताया था कि 2024 में बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की 2,200 घटनाएँ हुई हैं।
यहाँ पर द वायर ने भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के विरोध में बांग्लादेश सरकार की जानकारी रखी। द वायर ने बांग्लादेशी प्रेस विंग के हवाले से दावा किया कि जनवरी और नवंबर 2024 के बीच हिंसा की केवल 138 घटनाएँ हुई हैं। वायर ने ले-देकर वही कहा जो बांग्लादेश दावा कर रहा है।
इसी तरह 12 दिसंबर, 2024 को वायर में पार्थ एस घोष ने एक लेख लिखा। इस लेख में घोष ने बांग्लादेश में हिंदुओं तथा अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों को लगभग नकार दिया। उन्होंने पड़ोसी देश में बिगड़ती स्थिति के बारे में चिंताओं को किनारे करते हुए हिन्दुओं पर हुए हमलों को ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया। उन्होंने कहा कि यह हमले बढ़ा-चढ़ा कर दिखाए गए हैं।
घोष ने बांग्लादेशी राजनीति में इस्लामी ताकतों के मजबूत होने को स्वीकार तो किया लेकिन हिंसा को लेकर कुछ नहीं कहा। उन्होंने हिन्दुओं पर होने वाले हमलों को लेकर बांग्लादेश से आने वाली रिपोर्टों पर सवाल उठा दिए और उन्हें फर्जी खबर और ‘हिंदुत्व प्रोपेगेंडा’ बता दिया।
घोष ने यहाँ तक दावा किया कि बांग्लादेश की स्थिति भारत से कोई ख़ास अलग नहीं है। उन्होंने इस दौरान बांग्लादेश पर लिखने बताने के बजाय भारत की आलोचना में अपनी कलम घिसनी चालू कर दी। उन्होंने दावा किया कि भारत में मुस्लिमों पर अत्याचार होता है और ऐसे में भाजपा को बांग्लादेश पर प्रश्न नहीं उठाने चाहिए।
वायर ने लेख और विशेष रिपोर्ट में ही नहीं बल्कि रोजमर्रा की खबरों में भी अपना प्रोपेगेंडा जारी रखा। वायर ने इस बात को दिखने में एड़ी चोटी का जोर लगाया कि बांग्लादेश में सब कुछ एकदम बढ़िया चल रहा है। इसी तरह 10 दिसम्बर,2024 को भारत और बांग्लादेश के बीच घटते व्यापार को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की।
इसमें वायर ने बोनगांव के एक व्यापारी तपन साहा का हवाला दिया। वायर ने बताया कि तपन साहा को ढाका को रोजमर्रा की जिन्दगी काफी सामान्य लगी और भारत में जैसा बताया गया, वैसा कुछ भी नहीं है। यहाँ तक कि वह हिंसा के वीडियो भी बांग्लादेशी मीडिया से गायब थे।
इसी तरह से 5 दिसंबर, 2024 को प्रकाशित एक अन्य रिपोर्ट में, वायर ने मुहम्मद यूनुस के बयान को आगे बढ़ाने का प्रयास किया। यूनुस लगातार कहते आए हैं कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की रिपोर्ट ‘बढ़ा-चढ़ाकर’ बताई गई है और यह भारत और अन्य वैश्विक शक्तियों द्वारा फैलाई गई ‘मनगढ़ंत कहानी’ का हिस्सा है।
वायर लगातार प्रयास कर रहा है कि हिन्दुओं के खिलाफ प्रताड़ना को किसी तरह दबाकर बताए। 3 दिसंबर, 2024 को द वायर ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान का हवाला देते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की। इसमें रहमान का दावा था कि भारत में ‘बांग्लादेश विरोधी भावना’ को बढ़ावा दिया गया है।
गौरतलब है कि रहमान, जो वर्तमान में निर्वासन के तहत यूनाइटेड किंगडम में रह रहे हैं। वह 21 अगस्त,2004 को अवामी लीग की राजनीतिक रैली पर हुए आतंकवादी ग्रेनेड हमले का मुख्य आरोपित और मास्टरमाइंड हैं। उन्हें 2008 में बांग्लादेश में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। हाल ही में बांग्लादेश में उन्हें राहत मिली है।
वायर ने हिन्दुओं पर अत्याचार दबाने की बात के लिए बांग्लादेशी मीडिया का भी सहारा लिया है। 29 नवंबर, 2024 को द वायर के लिए करन थापर के साथ एक इंटरव्यू में, ढाका ट्रिब्यून के संपादक जफर सोभन ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों को काफी कम बताया।
इस्कॉन नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर चर्चा के दौरान, सोभन ने राजद्रोह के आरोपों की आलोचना की लेकिन इस बीच उन्होंने मोहम्मद यूनुस वाला ही राग अलापा। उन्होंने इस दौरान मोहम्मद यूनुस वाली बात कही कि बांग्लादेश हिन्दुओं की प्रताड़ना की बात मनगढ़ंत है।
बांग्लादेशी अखबार प्रथम अलो द्वारा पहले प्रकाशित और 19 अगस्त, 2024 को द वायर पर छपी एक कथित फैक्ट-चेक रिपोर्ट में, एक रूमर स्कैनर की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया। इस रिपोर्ट में भारतीय मीडिया आउटलेट्स पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमलों को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया गया।
रिपोर्ट में कई सोशल मीडिया पोस्ट की जाँच की गई थी, जिसमें कथित तौर पर बांग्लादेश में हुई घटनाओं को हिंदुओं पर हमले के रूप में गलत तरीके से पेश किया गया था। इस रिपोर्ट में पूरा फॉक्स इस बात पर था कि कैसे भारतीय मीडिया को झूठा साबित किया जाए। रिपोर्ट में ऑपइंडिया पर तक गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया।
वायर ने अपना प्रोपेगेंडा बढ़ाने के लिए कथित फैक्ट चेक का भी हवाला कर दिया। इसमें मदद भी उसने उस ऑल्टन्यूज की ली, जिस पर खुद फर्जी खबर फ़ैलाने के आरोप है। वायर ने एक फैक्ट चेक के सहारे गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान को गलत साबित करने की कोशिश की जिसमें उन्होंने बांग्लादेश में हिन्दुओं की घटती जनसंख्या के बारे में बात की थी।
असल में तो सच्चाई यह है कि बांग्लादेश का खुद का आँकड़ा यही बात दिखाता है। जनसंख्या आँकड़ों के अनुसार, हिन्दू जनसंख्या 1901 में 33% से 1991 में 10.5% तक की गिरावट आई है, जबकि 2022 की जनगणना में इसमें और कमी आई है और यह सिर्फ़ 7.95% है।
बांग्लादेश में सत्ता के तख्तापलट के कुछ ही दिनों बाद 17 अगस्त, 2024 को वायर में मानश फिराक भट्टाचार्जी ने एक लेख लिखा। इसमें उन्होंने विदेशी मीडिया की तरह वही राग अलापा कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर अत्याचार मजहबी आधार पर नहीं हुआ है बल्कि इसका कारण राजनीतिक और उनका आवामी लीग से जुड़ाव है।
15 अगस्त को द वायर में प्रकाशित राम पुनियानी के लेख में भी यही बात कही गई। हालाँकि, हिन्दुओं की पीड़ा बताने के बजाय पुनियानी ने यह बताया कि कैसे बांग्लादेश में लोकतंत्र बहाल हो गया है। उन्होंने यहाँ तक दावा कर दिया कि यूनुस सरकार मंदिरों को बचा रही है।
द वायर का कुल मिलाकर एजेंडा यह रहा कि भारतीय मीडिया की विश्वसनीयता कम करे। इसके अलावा उसने वह हर स्रोत नकारने की कोशिश की जो हिन्दुओं पर हमलों को बताती है और उसके बराबर में बांग्लादेशी दावा खड़ा किया है। वह बांग्लादेश सरकार का भोंपू बना हुआ हुआ है।
वायर ने जहाँ खुद तो हिन्दुओं की पीड़ा नहीं बताई, उन्होंने सभी मीडिया पोर्टल और लोगों को घृणा फ़ैलाने वाला घोषित कर दिया जो अपने स्तर पर यह काम कर रहे थे। इसे वायर ने इस्लामोफोबिया करार दिया। वायर ने इस दौरान हिन्दुओं पर हमलों का कारण भी राजनीतिक बता दिया, यही प्रयास विदेशी मीडिया करती आई है।
(मूल रूप से अनुराग ने यह रिपोर्ट अंग्रेजी में लिखी है। आप इस लिंक पर क्लिक कर इसे विस्तार से पढ़ सकते हैं)