Monday, December 23, 2024
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‘पत्थर क्या समझेगा, उसकी पूजा मत करो’: बारामती में लगा ‘येशु का दरबार’, कहा- ‘भारत जोड़ो यात्रा’ जैसी रैलियों से जुड़ो

सुरक्षा कारणों से नाम न छापने की शर्त पर जानकारी देने पर सहमत हुए स्थानीय ईसाइयों में से एक ने कहा कि पादरी सुनील जाधव एक स्वयंभू पादरी हैं और उन्होंने अपने घर की छत पर अपना चर्च बनाया है।

महाराष्ट्र के दिग्गज नेता और राष्ट्रवादी कॉन्‍ग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार के क्षेत्र बारामती में प्रार्थना सभा के नाम पर ‘यीशु का दरबार’ लगाया गया। कार्यक्रम में ईसाई प्रचारक वहाँ मौजूद लोगों से ईसाई धर्म से जुड़ने का आह्वान करते हैं। हालाँकि, ऑपइंडिया के हस्तक्षेप के बाद कार्यक्रम का आयोजन तीसरे दिन नहीं हो सका।

कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय पादरी सुनील जाधव ने किया था और ‘प्रोफेट’ डॉ अनीश विजगत कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। जाधव ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “ईसाई धर्म में विश्वास करो। यीशु के अस्तित्व में विश्वास करो। अगर आप अभी बदलते हैं तो ही आप देश भर में कई लोगों को बदल पाएँगे। आप नहीं जानते लेकिन ऐसा हो सकता है कि हम ‘भारत जोड़ो’ जैसी यात्रा में शामिल हो जाएँ और देश भर में रहने वाले लोगों को ईसाई धर्म के बारे में विश्वास दिला सकें।”

कार्यक्रम को संबोधित करते पादरी जाधव

तीन दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन का आयोजन शहर के मिशन हाई स्कूल में गुरुवार (8 दिसंबर, 2022) को किया गया था। कार्यक्रम में ज्यादा लोग उपस्थित नहीं थे और 30-35 लोगों के मैदान में आने के बाद कार्यक्रम शुरू हुआ। हालाँकि वहाँ 300 लोगों की बैठने की व्यवस्था की गई थी।

वहीं कार्यक्रम में मौजूद सिस्टर मर्सी ने कहा कि वे सभी लोग जो इस कार्यक्रम में उपस्थित हैं, उन्हें व्यक्तिगत रूप से प्रभु द्वारा चुना गया है और जो नहीं आए, वह प्रभु की इच्छा से नहीं आए हैं। कई गरीब हिन्दू महिलाओं (साड़ी, बिंदी और सिंदूर पहने हुए) को इस कार्यक्रम में देखा जा सकता था। ऑपइंडिया ने इस कार्यक्रम का वीडियो भी बना लिया था।

इस बीच, इस कार्यक्रम में मौजूद ईसाई महिलाओं ने अन्य महिलाओं को ईसाई मजहब अपनाने का प्रलोभन दिया। वहाँ मौजूद एक महिला ने कहा, “ईश्वर अदृश्य है। हमें उसे महसूस करना चाहिए। पत्थरों (मूर्तियों) की पूजा नहीं करना चाहिए, जैसे हिंदू करते हैं। वह पत्थर क्या समझेगा? हम मनुष्य पापों से घिरे हुए हैं। अपनी आने वाली पीढ़ियों को पापों से मुक्त करने के लिए, हमें यीशु की पूजा करनी चाहिए।”

ईसाई महिला हिंदू महिलाओं से कह रही है कि ‘मूर्ति पूजा’ की कोई अहमियत नहीं है

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ‘प्रोफेट’ डॉ अनीश विजगत ने दावा किया कि वह सिर्फ एक ‘प्रोफेट’ नहीं बल्कि एक बिशप हैं और 300 से अधिक प्रचारक उनके पुणे स्थित एनजीओ ‘ग्लोरियस इवेंजेलिकल प्रोफेटिक’ में काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि इन धार्मिक गतिविधियों में शामिल होने से पहले वह एक ‘अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार अधिकारी’ और ‘भ्रष्टाचार-विरोधी अधिकारी’ थे। हालाँकि, उनके सोशल मीडिया पेज के अनुसार, वह दो गैर-सरकारी संगठनों के सदस्य हैं, जिनका नाम ह्यूमन राइट्स काउंसिल ऑफ़ इंडिया और एंटी करप्शन एंड मीडिया इन्वेस्टिगेशन है।

वहीं कार्यक्रम के दौरान सिस्टर मर्सी को लोगों से डोनेशन माँगते देखा गया।

सिस्टर मर्सी उपस्थित लोगों से चंदा एकत्र कर रही हैं

सुरक्षा कारणों से नाम न छापने की शर्त पर जानकारी देने पर सहमत हुए स्थानीय ईसाइयों में से एक ने कहा कि पादरी सुनील जाधव एक स्वयंभू पादरी हैं और उन्होंने अपने घर की छत पर अपना चर्च बनाया है। यह कार्यक्रम क्रिसमस से पहले तीन दिन आयोजित किया जाना था, जिसमें से एक दिन इसका आयोजन मिशन हाई स्कूल में किया जाना प्रस्तावित था और। वहीं कार्यक्रम को दो दिन ‘ज्येष्ठ नागरीक संघ’ नामक एक प्रसिद्ध सार्वजनिक सामुदायिक हॉल में किया जाना निर्धारित था।

‘ज्येष्ठ नागरिक संघ’ के प्रशासक एम डब्ल्यू जोशी से ऑपइंडिया ने बात की। उन्होंने कहा कि ईसाइयों ने यह कहकर कार्यक्रम के लिए हॉल लिया था कि वे प्रार्थना सभा आयोजित करना चाहते हैं और उनके पास इसके लिए कोई जगह नहीं है।

10 दिसंबर की सुबह ‘ज्येष्ठ नागरिक संघ’ के गेट पर लगा ताला

धर्मांतरण के प्रयासों और पोस्टर पर पादरी द्वारा किए गए झूठे दावों के बारे में पूछने पर जोशी ने कहा कि वे लोग सिर्फ एक साथ प्रार्थना करने के लिए जगह चाहते थे। हालाँकि, ऐसा लग रहा था कि संघ के पदाधिकारी को आयोजकों के उद्देश्यों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। आयोजन के तीसरे दिन शनिवार (10 दिसंबर, 2022) को ऑपइंडिया द्वारा जोशी से बात करने के बाद, सभा को रद्द कर दिया गया और कार्यक्रम स्थल ‘ज्येष्ठ नागरिक संघ’ के गेट पर ताले लगे देखे जा सकते हैं।

वहीं आरएसएस के एक स्थानीय सदस्य मुकुंद कुलकर्णी ने महाराष्ट्र में धर्मांतरण विरोधी कानून बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन नहीं होने चाहिए। उन्होंने कहा, “यह सब दिखावा है। वे (ईसाई) गरीब और जरूरतमंद लोगों को लुभाते हैं और उन्हें पैसे या बुनियादी सुविधाएँ देते हैं। वे यह भी सुनिश्चित करते हैं कि हिंदू धर्म जैसे अन्य धर्मों के गरीब लोग हिंदू धार्मिक देवी-देवताओं से घृणा करें और ईसाई मजहब में विश्वास करना शुरू कर दें। जीसस क्राइस्ट या ईसाई मजहब बुरा नहीं है, वास्तव में, कोई धर्म बुरा नहीं है। लेकिन लोगों को बहला-फुसलाकर, फर्जी दावे करके और धर्म-परिवर्तन के लिए मजबूर करना गलत है।”

(मूल रूप से अंग्रेजी में लिखी गई इस रिपोर्ट को विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।)

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Siddhi Somani
Siddhi Somani
Siddhi is known for her satirical and factual hand in Social and Political writing. After completing her PG-Masters in Journalism, she did a PG course in Politics. The author meanwhile is also exploring her hand in analytics and statistics. (Twitter- @sidis28)

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