जहाँ एक तरफ पलामू में महाशिवरात्रि से पहले मुस्लिम भीड़ ने हिन्दू श्रद्धालुओं पर हमला कर दिया, जिसके बाद वहाँ की पुलिस पर हिन्दू समाज के विरुद्ध एकतरफा कार्रवाई के आरोप लग रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ अब झारखंड पुलिस पर एक पत्रकार के साथ बर्बरता करने का आरोप लगा है। आरोप है कि झारखंड पुलिस ने ‘पलामू TV’ और ‘जोहार झारखंड’ नामक मीडिया संस्थानों के लिए काम करने वाले पत्रकार कमलेश कुमार सिंह को घसीट-घसीट कर मारा।
बताया जा रहा है कि झारखंड पुलिस की पिटाई से कमलेश कुमार सिंह का सिर फूट गया है। जब उनके घर की महिलाएँ पुलिस के सामने दहाड़ मार कर रोने लगीं और मिन्नतें करने लगीं, तो उन्हें लहूलुहान अवस्था में छोड़ कर पुलिस वाले वहाँ से चले गए। पीड़ित पत्रकार ने ऑपइंडिया से बात करते हुए आपबीती सुनाई है। जहाँ ‘जोहार झारखंड’ एक अख़बार (प्रिंट मीडिया संस्थान) है, वहीँ ‘पलामू टीवी’ एक यूट्यूब चैनल है। कमलेश पिछले 6-7 महीने से पत्रकारिता कर रहे हैं, यानी इस क्षेत्र में उनकी शुरुआत ही है और उनके साथ ये हादसा हो गया।
उन्होंने जानकारी दी कि पलामू में संघर्ष के बाद धारा-144 लगाई गई और लोग इधर-उधर छिपने लगे, तो इस दौरान वो भी अपने घर चले गए। बकौल कमलेश कुमार सिंह, उन्होंने अपनी आईडी वगैरह घर में रख दी और बाहर निकले तो पुलिस वाले उन्हें खदेड़ना लगे। उनका कहना है कि अब वो घर में छिपे हुए थे, उस समय पुलिस-प्रशासन उनके घर में घुस गया और उनकी पिटाई की गई। साथ ही उनके साथ दो-तीन लोग थे, उनकी भी पिटाई की गई।
पांकी से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित चंद्रपुर के रहने वाले कमलेश कुमार सिंह ने ऑपइंडिया से बताया, “पुलिस ने मुझे इतना पीटा कि मैं उन्हें बता ही नहीं सका कि मैं पत्रकार हूँ। उस समय माइक या आईडी कार्ड मेरे पास नहीं थे। जब महिलाएँ रोने लगीं तो मुझे छोड़ दिया गया। पुलिस लोगों को खदेड़ते हुए 2 किलोमीटर से भी आगे बढ़ गई। पुलिस वाले आवेश में थे और जो बीच में आए उसे पीट रहे थे। इतने डंडे मुझे पड़े हैं कि मैं बता नहीं सकता।”
उन्होंने बताया कि इस पिटाई में उनका सिर भी फूट गया था, जिसके बाद उन्हें उपचार के लिए उन्हें डाल्टनगंज तक जाना पड़ा। कमलेश सिंह ने बताया कि दोनों तरफ से पत्थर चल रहे थे, उस दौरान भी उन्हें चोटें आईं। उसके बाद पुलिस ने उन्हें पीटा। उन्होंने बताया कि उनके साथ गाँव के ही पड़ोसी थे। उन्होंने कहा कि अगर उनका सिर नहीं फटता तो पुलिस उन्हें नहीं छोड़ती और साथ ले जाती। उन्होंने ‘जोहार झारखंड’ के संपादक को इसकी सूचना दी, लेकिन कॉल कट गया।
पलामू हिंसा: महाशिवरात्रि पर टूटी परंपरा, पांकी में नहीं निकली शिव बारात, MP सुनील सिंह ने बताया प्रशासनिक चूक#Palamuviolence #Mahashivratri2023 @DC_Palamu https://t.co/KjMvZ5mWsj
— Prabhat Khabar (@prabhatkhabar) February 18, 2023
क्या एक पत्रकार के साथ इस तरह की व्यवहार के संबंध में वो शिकायत करेंगे? इस सवाल के जवाब में पत्रकार ने कहा कि यहाँ अभी इंटरनेट नहीं चल रहा है, ऐसे में वो एक ट्वीट तक नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि पुलिस ने उन्हें पीटने के लिए 3 दरवाजे तोड़ डाले, छतों पर चढ़-चढ़ कर लोगों को निकाला गया और पीटा गया। कमलेश ने बताया कि उस समय ऐसा डर बैठ गया था कि उन्होंने मौके पर घायल अवस्था में अपनी कोई तस्वीर नहीं ली, लेकिन इंटरनेट बंद होने के कारण वो अपलोड नहीं कर सके।
पलामू में महाशिवरात्रि से पहले हुई थी हिंसा, मुस्लिम भीड़ को ‘तोरण द्वार’ से दिक्कत
झारखंड के पलामू में इसी माह 14 फरवरी को हुई हिंसा में पुलिस को महबूब खान नाम के आरोपित की तलाश है। बताया जा रहा है कि हमले की शुरुआत में तोरण लगा रहे हिन्दुओं पर हमले की शुरुआत उसी ने की थी। वहीं पलामू में जिस महाशिवरात्रि को हिन्दू समुदाय धूमधाम से मनाना चाहता था, वो अब बंदूकों के साये में धारा-144 के अंतर्गत चल रही है। हालात तनावपूर्ण, लेकिन सूनसान और प्रशासन के नियंत्रण में हैं। अब तक 13 गिरफ्तारियों की आधिकारिक पुष्टि हुई है।
एक दिन पहले ऑपइंडिया से बात करते हुए घटना के चश्मदीद होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति ने पहला हमला तोरण द्वार का विरोध कर रहे मुस्लिमों की तरफ से होने की जानकारी दी थी। तब नाम न उजागर करने की शर्त पर उन्होंने कहा था कि तोरण द्वारा का विरोध करने वाले मोबाइल दुकानदार कलीम अपने साथी महबूब के साथ 50-60 लोगों को बुला कर अचानक ही हमला कर दिया था, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच पथराव हुआ था। अब पुलिस उसी महबूब खान की तलाश में है।