झारखंड की राजधानी राँची के डोरंडा की रहने वाली राफिया नाज आज योग के क्षेत्र में एक जाना पहचाना नाम है। योग को धर्म से परे मानने वाली राफिया को आज योग के कारण ही निशाना भी बनाया जा रहा है। उनकी जान को अभी भी खतरा है, मगर प्रशासन की लापरवाही तो देखिए, इस मामले पर संज्ञान लेना तो दूर उनकी चिट्ठी तक नहीं रिसीव की गई।
राफिया नाज ने हमें इसकी जानकारी देते हुए बताया कि मंगलवार (जून 16, 2020) को इस संबंध में मुख्यमंत्री और उनके प्रधान सचिन को चिट्ठी देने गई तो उन्हें प्रोजेक्ट भवन के बाहर से ही भगा दिया गया। बकौल राफिया, “मैं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके प्रधान सचिव को चिट्ठी देकर ये मामला उनके संज्ञान में लाना चाहती थी, मगर मुझे गेट के बाहर से ही भगा दिया गया। जबकि मैंने साफ-साफ कहा कि मैं एक योगा टीचर हूँ। मेरी जान को खतरा है। मैं यहाँ पर सिर्फ चिट्ठी देने आई हूँ। उन्होंने कहा कि यहाँ पर कोई चिट्ठी रिसीव नहीं होती, जबकि मैंने पहले भी यहाँ पर चिट्ठी दी है। उन्होंने बिना मेरी कोई बात सुने भगा दिया। जब यहाँ पर आने के बाद ऐसा व्यवहार किया जाता है, तो फिर ये तो मेल वगैरह क्या खाक चेक करेंगे?”
ये कहते-कहते राफिया की आँखें नम हो जाती है। वो कहती हैं कि इतना करने के बाद भी जब सामने से ऐसी प्रतिक्रिया आती है तो बहुत दुख होता है। ये बातें उन्होंने फेसबुक लाइव करके भी कहा कि वो डेढ़ घंटे से गेट के बाहर खड़ी थी, लेकिन महिला सुरक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करने वाली झारखंड सरकार के राज में उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें कुछ होता है तो इसकी जिम्मेदार झारखंड सरकार होगी।
राफिया नाज इसको लेकर मुख्यमंत्री, SSP, DIG सबसे गुहार लगा चुकी है। उन्होंने मुख्यमंत्री जन संवाद केंद्र पर भी मेल किया। SSP, DIG सभी को सूचित किया मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। ट्विटर पर भी उनकी समस्या पर ये प्रतिक्रिया देकर प्रशासन निश्चिंत हो जाती है कि कार्रवाई की जाएगी। राफिया कहती है कि वो तो ये देखकर खुश हो जाती थी, मगर फिर बाद में उनके पास हताश होने के सिवा कोई और विकल्प नहीं बचता है। राफिया ने मंगलवार को SSP और DIG को लिखित में पत्र देकर अपनी समस्याओं से अवगत करवाया और तत्काल सुरक्षा देने की गुहार लगाई। इस दौरान उन्होंने अपने साथ घटी घटनाओं की कॉपी भी उपलब्ध करवाई।
दरअसल, लॉकडाउन में राहत मिलने के बाद अब राफिया को अनाथ बच्चों को योगा सिखाने के लिए जाना है और सितंबर 2019 में पुलिस का तरफ से उन्हें कहा गया था कि जब भी वो घर से बाहर निकले वो उन्हें सूचित करें, ताकि टाईगर मोबाइल और पीसीआर के जरिए उन्हें सुरक्षा मुहैया कराया जा सके। अब जब राफिया अपनी सुरक्षा के लिए गुहार लगा रही है तो कोई सुनने के लिए तैयार नहीं है। राफिया कहती हैं, “तो क्या थाने की तरफ से भेजा गया वो पत्र महज एक औपरचारिकता थी?”
राफिया ने कहा, “मैं धमकियों से नहीं डरती, ये तो मैं 3-4 सालों से झेलती आ रही हूँ, मगर अपनी जान तो सभी को प्यारा होता है। खुद से ज्यादा लोगों को अपने परिवार की चिंता होती है। मेरे भी मम्मी, पापा, भाई, बहन हैं, उन्हें भी तो वो लोग नुकसान पहुँचा सकते हैंं। आज जब मैं चीख-चीख कर कह रही हूँ कि मेरी जान को खतरा है तो कोई नहीं सुन रहा, कल को यदि मुझे कुछ हो जाता है, तो फिर ये प्रशासन जागकर क्या करेगी? क्या फायदा ऐसे जागने से? मैं तो लौट कर नहीं आऊँगी न? ये लोग मुझे मरवाकर ही छोड़ेंगे। जब मैं मरुँगी तो सबका नाम लिखकर जाऊँगी।”
जब राफिया सुरक्षा की गुहार लगाते-लगाते हर तरफ से थक गई तो उन्होंने झारखंड के पूर्व सीएम रघुवर दास के सामने अपनी समस्या रखी, क्योंकि रघुवर दास ने ही अपने कार्यकाल के दौरान 2017 में राफिया की सुरक्षा का संज्ञान लिया था और उन्हें 24 घंटे सुरक्षा मुहैया करवाया गया था। उनके घर के बाहर रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) और सीआरपीएफ के जवान तैनात रहते थे। मगर पता नहीं, मार्च 2020 के अंतिम सप्ताह में उसे हटा लिया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने राफिया को सुरक्षा मुहैया करवाने का आश्वासन दिया है। ऑपइंडिया ने भी इस बाबत रघुवर दास से बात की। उन्होंने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि मामला संज्ञान में आया है। जल्द ही इस पर कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा राफिया ने बताया कि जिस अनाथालय के बच्चों को योग सिखाती थी। उस अनाथालय को खाली करवा दिया गया। जिसके बाद बच्चे को जंगल की तरफ चले गए। वो सवाल उठाती हैं, “क्या इस स्थिति में बच्चे नक्सली नहीं बन जाएँगे?” वो आगे कहती हैं, “मुझे उन बच्चों को वापस लाना है। उनका भविष्य बनाना है। आज जब पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। सभी से इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कही जा रही है। बड़े लोग तो महँगी-महँगी चीजें खाकर इम्युनिटी बढ़ा रहे हैं, लेकिन ये बच्चे कैसे करेंगे? इनके लिए तो योग ही एक सहारा है और योग में तो सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा पालन होता है।”
उल्लेखनीय है कि झारखंड में ‘Yoga beyond religion’ अभियान का अहम हिस्सा बन चुकीं राफिया आज न केवल स्कूली बच्चों और विभिन्न संस्थानों में जाकर लोगों को नि:शुल्क योग का प्रशिक्षण देती हैं, बल्कि योग का एक स्कूल भी चलाती हैं। इसमें वो गरीब और अनाथ बच्चों को मुफ्त में योग सिखाती हैं और अब तक कई लोगों को उन्होंने योग सिखाकर योग शिक्षक के रुप में नौकरी भी उपलब्ध करवाई है।
राफिया को योग के कारण अपने ही समाज की कट्टरपंथियों के विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है। उन्हें न केवल फोन और सोशल मीडिया पर गंदी और भद्दी गालियाँ दी जाती है, बल्कि उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी जाती है। कई बार तो उन पर जानलेवा हमला भी किया गया। राफिया को हाल में ही एक बार फिर से धमकी मिली है। फोन पर भद्दी-भद्दी गालियाँ दी गईं। सोशल मीडिया पर उनके और उनके परिवार के ऊपर अश्लील टिप्पणियाँ की गई।
राफिया कहती है कि लॉकडाउन होने की वजह से उन्होंने ऑनलाइन FIR भी करवाया। मगर इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। आरोपित के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसमें आरोपित का नाम नजीब राजा बताया गया है, जिसने उन्हें फेसबुक पर गंदी गालियाँ दीं।
और तो और उनसे कहा गया कि अगर उन्हें फोन करके गंदी गालियाँ दी जा रही है, तो फोन यूज मत करो, नंबर बदल लो। जब सोशल मीडिया पर अश्लील टिप्पणियाँ की जाती है तो उनसे सोशल मीडिया इस्तेमाल न करके की सलाह दी जाती है। घर पर पत्थरबाजी होती है, तो कहा जाता है कि घर बदल लो। राफिया का कहना है कि ये तो कोई समाधान नहीं है। इससे तो अपराधियों के हौसले और भी बुलंद होंगे। वो कहती हैं कि लॉकडाउन के दौरान भी उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा, मगर वो देश की भलाई की खातिर चुप रही, क्योंकि देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। अपनी सुरक्षा की माँग कर रही योगा शिक्षिका राफिया आज प्रशासन की इस निष्क्रियता से काफी आहत हैं।