Sunday, November 17, 2024
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जितेंद्र त्यागी बनने के बाद बेघर हुए वसीम रिजवी, वक्फ बोर्ड ने घर में लगा दिया ताला: हनुमान सेतु की पार्किंग में रात गुजारने को हुए मजबूर

"मकान के निर्माण में हमने करीब 25-30 लाख रुपए खर्च किए थे। एग्रीमेंट में यह तय हुआ था कि यतीमखाने को जब भी इस मकान की आवश्यकता होगी तो मुझे तीन माह पहले नोटिस दी जाएगी।"

यूपी शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी ने अपने मकान पर जबरन कब्जे का आरोप लगाया है। सआदतगंज यतीमखाने के पास स्थित वक्फ बोर्ड के किराए के मकान में तालाबंदी देख जितेंद्र नारायण त्यागी ने रविवार (29 मई, 2022) को देर शाम हनुमान सेतु मंदिर की पार्किंग में डेरा डाल दिया। उन्होंने घोषणा की है कि जबतक यतीमखाने के पास बने मकान की चाबी उन्हें नहीं मिल जाती वह पार्किंग में ही रातें गुजारेंगे। उन्होंने अप्पने समर्थकों के साथ वहीं पार्किंग में बिस्तर लगाया और लेट गए।

वहीं यह जानकारी मिलते ही उनके समर्थन में अखिल भारतीय हिंदू महासभा और अंतरराष्ट्रीय हिंदू महासभा के पदाधिकारी भी पहुँच गए थे। इसके बाद रात करीब 7:30 बजे कमिश्नर डीके ठाकुर से मुलाकात कर मकान के एग्रीमेंट से जुड़े दस्तावेज सौंपते हुए जितेंद्र त्यागी ने ऐलान किया कि जब तक मकान की चाबी नहीं मिलती, तब तक वह मंदिर के पीछे पार्किंग में ही रहेंगे

हालाँकि बाद में पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर और अन्य अधिकारियों के आश्वासन पर रविवार देर रात जितेंद्र नारायण त्यागी पार्किंग से हटे। इसके बाद वह नक्खास में रहने वाली अपनी बेटी के घर पहुँचे जहाँ उन्होंने रात गुजारी। वहीं जितेंद्र नारायण त्यागी से कल शाम एडीसीपी पश्चिम चिरंजीव नाथ सिन्हा सहित पुलिस अधिकारीयों ने मुलाकात की।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एडीसीपी चिंरजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि जितेंद्र नारायण त्यागी से सआदतगंज के पास यतीमखाना के पास स्थित आवास के संबंध दस्तावेज माँगे गए हैं। वह एग्रीमेंट से संबंधित जो भी दस्तावेज प्रस्तुत करेंगे उसके आधार पर शिया वक्फ बोर्ड से पूछताछ की जाएगी और जो भी तथ्य सामने आएँगे उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

एडीसीपी के मुताबिक दस्तावेजों के आधार पर यतीमखाना के पास स्थित आवास जितेंद्र नारायण की पत्नी के बाबा इब्ने हसन के नाम से आवंटित है न कि उनके नाम से। जितेंद्र त्यागी बने वसीम रिज़वी उस मकान में वर्ष 2016 से रह रहे थे। जब वह शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष थे। शिया वक्फ बोर्ड के हस्तक्षेप के बाद ही उसमें ताला बंद किया गया था।

वहीं, इस मामले में जितेंद्र नारायण त्यागी का कहना है, “मकान के निर्माण में मैंने करीब 25-30 लाख रुपए खर्च किए थे। एग्रीमेंट में यह तय हुआ था कि यतीमखाने को जब भी इस मकान की आवश्यकता होगी तो मुझे तीन माह पहले नोटिस दी जाएगी। इसके साथ ही मकान के निर्माण कार्य में उनका जो भी रुपया लगा होगा वह वापस कर दिया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

जितेंद्र त्यागी ने कहा कि बोर्ड के इशारे पर हुसैनी टाइगर्स के अध्यक्ष शमील शम्सी ने अपने साथियों और पुलिस के साथ मिलकर घरवालों को बाहर निकाल दिया और ताला जड़ दिया। उनका कहना है कि अगर किराया बकाया भी है तो बोर्ड नोटिस दे सकता है। उन्होंने दावा किया कि उनके पास इस वक्त कोई मकान नहीं है।

बता दें कि इसी बीच यह भी सूचना आ रही है कि जितेंद्र नारायण त्यागी ने 30 जून के बाद हरिद्वार में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंद रविंद्रपुरी व जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी यति नरसिंहानंद की मौजूदगी में संन्यास लेंगे। संन्यास लेकर वह सनातन धर्म के प्रचार प्रसार से जुड़ेंगे। संन्यासियों की तरह ही जीवन यापन करेंगे। वह अपना शेष जीवन सनातन धर्म के कार्यों में लगाएँगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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