देश के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित (CJI UU Lalit) ने मंगलवार (11 अक्टूबर 2022) को अपने उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) के नाम की सिफारिश की है। सीजेआई यूयू ललित आगामी 8 नवंबर को अपने पद से रिटायर हो रहे हैं। जिसके बाद, 9 नवंबर को जस्टिस चंद्रचूड़ देश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कानून मंत्री किरण रिजिजू ने शुक्रवार (7 अक्टूबर 202) को सीजेआई यूयू ललित को पत्र लिखकर उनसे उनके उत्तराधिकारी का नाम बताने के लिए कहा था। इसके बाद सीजेआई ललित ने जस्टिस चंद्रचूड़ को अपना उत्तराधिकारी बताया। नियमानुसार, देश के वर्तमान न्यायाधीश जिसके नाम की भी सिफारिश करते हैं वही व्यक्ति देश का अगला मुख्य न्यायाधीश होता है।
Chief Justice of India UU Lalit recommends the name of Justice DY Chandrachud (in file pic) as his successor.
— ANI (@ANI) October 11, 2022
Justice Chandrachud to become the 50th CJI. Chief Justice UU Lalit is retiring on November 8 this year. pic.twitter.com/p0OymLfp0n
वर्तमान में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस उदय उमेश ललित (यूयू ललित) देश के 49वें मुख्य न्यायाधीश हैं और अब जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (डीवाई चंद्रचूड़) देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। सीजेआई यूयू ललित का कार्यकाल 8 नवंबर 2022 को खत्म हो रहा है। जबकि, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल 9 नवंबर से शुरू होकर 10 नवंबर 2024 तक होगा।
जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ (याईवी चंद्रचूड़) देश के 16वें मुख्य न्यायाधीश थे। उनका कार्यकाल 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक लगभग 7 साल का था। भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में यह अब तक का सबसे लंबा कार्यकाल है। पिता के रिटायर होने के 37 साल बाद अब जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ उसी कुर्सी पर बैठने जा रहे हैं।
11 नवंबर 1959 को जन्मे जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (डीवाई चंद्रचूड़) वर्तमान समय में सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज हैं। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी (LLB) की है। इसके अलावा उन्होंने, ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड लॉ स्कूल समेत देश-विदेश के कई लॉ स्कूलों में लेक्चर्स दिए हैं। साल 1998 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया था।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 13 मई 2016 से सुप्रीम कोर्ट के जज हैं। सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में पदभार संभालने से पहले वह इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं। इसके अलावा, जज नियुक्त होने से पहले वह देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं। यही नहीं, वह सबरीमाला भीमा कोरेगांव, समलैंगिकता, आधार और अयोध्या केस में भी जज रह चुके हैं।
इसके अलावा नोएडा का जो ट्विन टॉवर गिराया गया उसे लेकर भी डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाया था। इसके अलावा वह 2017-18 में अपने पिता द्वारा सुनाए गए फैसलों को पलटने के कारण भी चर्चा में आए थे। ये फैसला एडल्टरी लॉ और शिवकांत शुक्ला वर्सेज एडीएम जबलपुर केस में था। डीवाई चंद्रचूड़ ने इस केस को मौलिक अधिकार से जुड़ा केस माना था जबकि उनके पिता इसे मौलिक अधिकार नहीं माना था।
इसी तरह 1985 में तत्कालीन सीजेआई वाईवी चंद्रचूड़ की बेंच ने सौमित्र विष्णु मामले में आईपीसी की धारा 497 को बरकरार रखा था लेकिन 2018 में डीवाई चंद्रचूड़ वाली बेंच ने इसको बदल दिया था।