अयोध्या में 5 अगस्त को भूमिपूजन की तैयारियाँ अंतिम चरण में है। इस बीच लिब्राहन आयोग के चेयरमैन जस्टिस मनमोहन सिंह लिब्राहन ने कहा है कि वे जानते थे, एक दिन अयोध्या में राम मंदिर बनकर रहेगा।
उन्होंने यह बात दैनिक जागरण के अनुराग अग्रवाल को दिए इंटरव्यू में कही है। लिब्राहन आयोग का गठन विवादित ढॉंचा गिराए जाने की घटना की जॉंच के लिए हुआ था।
मंदिर और मस्जिद को लेकर 17 साल तक चले जाँच पर पूछे गए सवाल को लेकर लिब्राहन आयोग के चेयरमैन ने कहा कि गठन यह जानने के लिए नहीं किया गया था कि अयोध्या में राम मंदिर था या बाबरी मस्जिद। आयोग को सिर्फ यह जाँच करनी थी कि विवादित ढाँचा किसने गिराया और किसके कहने पर गिराया।
भूमिपूजन को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह बहुत अच्छी बात है कि देश के प्रधानमंत्री भूमिपूजन के लिए अयोध्या पहुँच रहे है। केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अनुपालन कर रही है। जो भी हो रहा है, अच्छा हो रहा है।
उन्होंने यह कहा कि मुझे तो पहले दिन से पता था कि अयोध्या में एक न एक दिन राम मंदिर का निर्माण होगा। मुझे विवादित ढाँचा गिराए जाने की जाँच 1992 में मिली, लेकिन मुझे इस बात का आभास 1981 से था कि राम मंदिर बनकर रहेगा।
एक सवाल के जवाब में जस्टिस लिब्राहन ने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी, दोनों ऐसे नेता हैं, जिनमें हर तरह की समझ है। उनका भाषायी ज्ञान अच्छा है। उन्हें परिस्थितियों को अपने अनुकूल करना आता है। उनकी एक विचारधारा है। दोनों ही एक परिपक्व राजनीतिक सोच के आदमी हैं। वाजपेयी अक्सर शांत रहते थे। वह इशारों में सारा काम करवा देते थे और खुद चुप बैठ जाते थे। उमा भारती और ऋतंभरा की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा दोनों एक से बढ़कर एक हैं।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार नरेंद्र मोदी अयोध्या जाएँगे। पाँच अगस्त को पीएम मोदी करीब 3 घंटा रामनगरी अयोध्या में रहेंगे। भूमि पूजन के बाद वे अयोध्या में पर्यटन पर भी कार्यक्रम देखेंगे।