मध्यप्रदेश के सरकारी कॉलेजों के शिक्षक तनख्वाह न मिलने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। मध्य प्रदेश कॉलेजियेट प्रोफेसर्स यूनियन के इस प्रदर्शन में तकरीबन 5000 शिक्षक आन्दोलन कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक यह आन्दोलन तीन चरणों में होगा जिसमें प्रदर्शन करने वाले शिक्षक 21 नवम्बर से प्रतिदिन राज्य की कॉन्ग्रेस सरकार को उनके (शिक्षकों के) बकाया पैसे देने के लिए पत्र लिखेंगे।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूनियन के अध्यक्ष कैलाश त्यागी ने कहा, “हम बड़े खुश थे जब हमने सुना कि हमारी तनख्वाह दिवाली से पहले ही दे दी जाएगी, मगर हमें आज तक सैलरी नहीं मिली। मुझे तो यह जानकारी भी मिली है कि कई कॉलेजों में तो शिक्षकों को दो महीने से तनख्वाह नहीं मिली।”
एक अन्य प्रोफ़ेसर ने बताया, “हम सबकी अपनी मजबूरियाँ हैं, परिवार की भी ज़िम्मेदारी है। हम ईएमआई तक नहीं भर पा रहे। आप समझ सकते हैं कि हम किन हालात से गुज़र रहे हैं।”
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए 24 से लेकर 30 नवम्बर तक काली पट्टी बाँधने का निश्चय किया है। सरकारी शिक्षकों के एक एसोसिएशन के सचिव प्रोफेसर आनंद शर्मा ने ने बताया कि 1 दिसंबर से सभी शिक्षक शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे।
शुरुआत में इस मुद्दे को टालने के लिए राज्य की कमलनाथ सरकार ने कहा था कि उनके पास शिक्षकों ऐसी कोई शिकायत ही नहीं पहुँची है। मगर इसके बाद सोमवार शाम राज्य के उच्च शिक्षा विभाग की ओर से सभी शिक्षकों को मैसेज भेजा गया जिसमें लिखा था कि उनकी अक्टूबर की सैलरी तत्काल प्रभाव से उन्हें भेज दी गई है।
शिक्षकों के प्रति मध्य-प्रदेश सरकार के उदासीन रवैये के खिलाफ लम्बे समय से वहाँ के शिक्षक अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। 5 सितम्बर को टीचर्स डे के दिन गेस्ट फैकल्टी के तौर पर काम करने वाले कई लेक्चरर अपना विरोध दर्ज कराने भोपाल पहुँचे थे। उनका कहना था कि प्रदेश की कॉन्ग्रेस सरकार उन्हें परमानेंट करने के अपने वादे से मुकर रही है।
भोपाल में शिक्षक दिवस पर शिक्षकों के प्रदर्शन से भड़क कर कमलनाथ के कैबिनेट मंत्री गोविन्द सिंह ने कहा था, “सरकार के पास पैसे पेड़ पर नहीं उगते, सरकार आने वाले पाँच साल में अपने वादे को पूरा करने की कोशिश करेगी।”
बता दें कि कॉन्ग्रेस पार्टी ने चुनाव पूर्व यह वादा किया था कि सत्ता में आने पर वे गेस्ट के तौर पर काम करने वाले 80,000 शिक्षकों को परमानेंट कर देंगे, मगर अभी तक इस सम्बन्ध में कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई है।