किसान आंदोलन के दौरान तथाकथित प्रदर्शनकारी किसान अर्बन नक्सल, कट्टरपंथी इस्लामी और अलगाववादियों के समर्थन में बीते दिन पोस्टर और बैनर लहराते हुए नज़र आए थे। इसके बाद बॉलीवुड अदाकारा कंगना रनौत ने उस भ्रष्ट तंत्र (सिस्टम) पर सवाल उठाया जो राष्ट्र विरोधी ताकतों को बढ़ावा दे रहे हैं।
अपने ट्वीट की कड़ी में कंगना ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जो लोग ऐतिहासिक कृषि सुधार क़ानूनों का विरोध कर रहे हैं, वह बखूबी जानते हैं कि इससे आखिरकार किसानों का ही भला होगा। बॉलीवुड अभिनेत्री के मुताबिक़ कृषि सुधार क़ानून का विरोध करने वाले अपने घटिया फ़ायदों के लिए भोले किसानों को हिंसा भड़काने के लिए उकसा रहे हैं।
Problem is not just them but each and every individual who supports them and opposes #FarmersBill_2020 they are all aware how important this bill is for farmers still they provoke innocent farmers to incite violence, hatred and Bharat Band for their petty gains ( cont) https://t.co/JW2qU1LM0H
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) December 11, 2020
कंगना ने अपने ट्वीट में लिखा, “समस्या सिर्फ यही लोग (क़ानून का बड़े पैमाने पर विरोध करने वाले) नहीं हैं बल्कि हर ऐसा इंसान है जो इनका समर्थन करता है और कृषि क़ानून का विरोध करता है। यह सभी लोग जानते हैं कि यह क़ानून किसानों के लिए कितना अहम है फिर भी ये अपने तुच्छ फ़ायदों के लिए भोले किसानों को हिंसा भड़काने के लिए उकसा रहे हैं। किसानों के ज़ेहन में नफ़रत घोल रहे हैं और भारत बंद का लगातार समर्थन कर रहे हैं।”
ऐसे लोगों को बढ़ावा देने वाले तंत्र की आंतरिक कार्यशैली का खुलासा करते हुए कंगना ने कहा कि प्रियंका चोपड़ा और दिलजीत दोसांझ को अवार्ड्स मिल जाएँगे। इसके अलावा वामपंथी मीडिया, कट्टरपंथी इस्लामी और तमाम ब्रांड्स इनकी तारीफ़ करेंगे। पूरा सिस्टम ऐसे षडयंत्रों से लदा हुआ है जिसमें देश विरोधी ताकतों को पनपने का मौक़ा मिलेगा, इसके विपरीत राष्ट्रवादियों की संख्या कम है। बहुत जल्द ही इन हालातों में बदलाव होंगे।
कंगना ने अपने ट्वीट में लिखा, “वामपंथी मीडिया किसानों को भटकाने और उकसाने के लिए प्रियंका चोपड़ा और दिलजीत की जम कर तारीफ़ करेगा। इस्लाम समर्थक और भारत विरोधी फिल्म इंडस्ट्री, ब्रांड्स इन्हें ख़ूब ऑफर देंगे और अंग्रेज़ी-औपनिवेशिक नशे में चूर मीडिया घराने इन्हें अवार्ड्स से लाद देंगे।”
Problem is not just them but each and every individual who supports them and opposes #FarmersBill_2020 they are all aware how important this bill is for farmers still they provoke innocent farmers to incite violence, hatred and Bharat Band for their petty gains ( cont) https://t.co/JW2qU1LM0H
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) December 11, 2020
कंगना के ट्वीट का अगला हिस्सा यह था, “समस्या यह है कि पूरा तंत्र ऐसा बना हुआ है जिसमें देश विरोधी ताकतों को फलने-फूलने का मौक़ा मिलता है। इस भ्रष्ट तंत्र के विरुद्ध हमारी संख्या बहुत कम है लेकिन मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूँ कि एक न एक दिन बदलाव आएगा। अच्छाई और बुराई की हर लड़ाई में, बुराई हमेशा ही मज़बूत रही है। जय श्री राम।”
प्रियंका चोपड़ा और दिलजीत ने किया था किसान आंदोलन का समर्थन
बीते रविवार को प्रियंका चोपड़ा और खालिस्तानी समर्थक दिलजीत दोसांझ ने आंदोलनरत किसानों से भावुक अपील की थी। बॉलीवुड अदाकारा की अपील के मुताबिक़, “हमारे किसान भारत के खाद्य सिपाही (Food Soldiers) हैं। इनके डर का निस्तारण करना होगा, इनकी उम्मीदों को पूरा करना होगा। बतौर संपन्न लोकतंत्र हमें सुनिश्चित करना होगा कि किसानों की माँगें बिना देरी किए पूरी की जाएँ।”
Our farmers are India’s Food Soldiers. Their fears need to be allayed. Their hopes need to be met. As a thriving democracy, we must ensure that this crises is resolved sooner than later. https://t.co/PDOD0AIeFv
— PRIYANKA (@priyankachopra) December 6, 2020
ठीक इसी तरह दिलजीत दोसांझ ने भी कृषि क़ानूनों को लेकर जम कर विरोध किया था। इसके पहले दिलजीत गुरपटवंत पन्नू और खालिस्तान की माँग करने वाले सिख फ़ॉर जस्टिस (SFJ) का समर्थन करते हुए नज़र आए थे।
अर्बन नक्सल के लिए आवाज़ उठाते नज़र आए थे प्रदर्शनकारी
गुरुवार को टिकरी बॉर्डर पर मौजूद प्रदर्शनकारी जिनकी शुरुआत कृषि सुधार क़ानूनों के विरोध से हुई थी, वह कट्टरपंथी और आतंकी तत्वों के समर्थक गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, आनंद तेलतुम्बड़े और हिन्दू विरोधी दंगों के आरोपित उमर खालिद, शरजील इमाम और खालिद सैफी की रिहाई की माँग करते हुए नज़र आए थे।
भारतीय किसान यूनियन (BKU उगराह) ने मानवाधिकार दिवस पर बृहस्पतिवार (दिसंबर 10, 2020) को माओवादी-नक्सलियों के साथ संबंध के आरोप में ‘गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) संशोधन विधेयक (यूएपीए) UAPA के तहत गिरफ्तार किए गए कई आरोपितों की रिहाई की माँग उठाई थी।